फुलगांव, 10 अक्टूबर (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क) मैंने अपनी स्त्रियों को विरोध करना या आक्रामक होना नहीं सिखाया. मेरी स्त्रियां गलत को स्वीकार नहीं करतीं. मेरे इष्ट ही मेरे पाठक हैं. मेरा यह भी मत है कि बच्चे वह नहीं करते जो माता-पिता कहते हैं बल्कि वह करते हैं जो माता-पिता को करते देखते हैं. बच्चों की नहीं बल्कि युवा माता-पिता की वर्कशॉप लेने की आवश्यकता है, यह विचार हिंदी की सुप्रसिद्ध कथाकार व उपन्यासकार डॉ. सूर्यबाला ने ‘सबरंग' कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में अपने संबोधन में व्यक्त किए. हिंदी आंदोलन परिवार, जाणीव-ए होम फॉर सीनियर सिटिजन्स एवं संस्कृति-सुषमा नेशनल म्यूजिक सर्कल के संयुक्त तत्वावधान में हाल ही में दो दिवसीय विशेष कार्यक्रम ‘सबरंग' 4 एवं 5 अक्टूबर को आयोजित किया गया था, यह जाणीव-ए होम फॉर सीनियर सिटिजन्स, फुलगांव, पुणे में संपन्न हुआ. प्रथम सत्र में हिंदी आंदोलन परिवार द्वारा मासिक साहित्यिक गोष्ठी आयोजित हुई. हिंआंप की यह 310वीं गोष्ठी थी, इसमें कविताएं, गीत, गजल, लघुकथा, संस्मरण, आलेख आदि का वाचन हुआ. प्रमुख सहभागी रचनाकारों में वीनु जमुआर, सुधा भारद्वाज, ऋता सिंह, रमा अग्रवाल, अरविंद तिवारी, डॉ. आशु गुप्ता, अपर्णा कडसकर, कंचन त्रिपाठी, डॉ ज्योति कृष्ण, पूर्णिमा पांडे, सुधीर कुमार मिश्रा, संदीप चौधरी, सुशील तिवारी, गौतमी चतुर्वेदी पांडेय, रीना पंत, डॉ मंजु चोपड़ा आदि सम्मिलित थे. उल्लेखनीय है कि हिंआंप गत 30 वर्षों से नियमित रूप से मासिक गोष्ठियां करता आ रहा है. द्वितीय सत्र में पुराने फिल्मी गीतों की मधुर प्रस्तुति हुई. यह प्रस्तुति दूरदर्शन के पूर्व कार्यक्रम अधिकारी डॉ. अेिशनी कुमार एवं उनकी धर्मपत्नी आराधना कुमार द्वारा की गई. गोष्ठी एवं संगीत संध्या का संचालन हिंदी आंदोलन परिवार के अध्यक्ष संजय भारद्वाज ने किया. तृतीय सत्र में परिसर के गणेश मंदिर में संजय भारद्वाज द्वारा संगीतमय प्रबोधन हुआ. संगीत-सेवा डॉ. अेिशनी कुमार एवं आराधना कुमार ने दी. आयोजन में जाणीव के ट्रस्टी वीनु जमुआर, अमिता शाह, कल्पना रायसोनी, वल्लरी गोयल तथा आमंत्रित जनों में विनीता सिन्हा, लाल साहब, सुरेंद्र जमुआर, अरुण अग्रवाल, डॉ अजीत शाह, जे.पी. त्रिपाठी, विनायक कडसकर, पूजा भारद्वाज, अलका पाटिल, विजय टाटिया, अभिषेक पांडेय, डॉ कृष्णचंद्र मिश्रा सहित अनेक गणमान्य उपस्थित थे. ‘सबरंग' का प्रबंधन सुधा भारद्वाज एवं वल्लरी गोयल ने किया. कार्यक्रम को सफल बनाने में श्रीमंत बंदीछोड़े, सचिन खिलारे, उमा राजू, सविता बंदीछोड़े का महत्वपूर्ण योगदान रहा.