हमास और इजरायल के युद्ध से दुनिया ्नया सबक ले?

    11-Oct-2025
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हालांकि यह तय नहीं है, लेकिन अगर इस हफ्ते गाजा में युद्ध रूक जाता है, ताे मेरा मानना है कि इससे मिलने वाले सबक काे लेकर एक अन्य बहस छिड़ सकती है. माया एंजेलाे की चेतावनी पर वर्ष 1988 में ही यकीन करना चाहिए था, जब हमास ने अपनी स्थापना के व्नत ही यहूदियाें का कत्लेआम करने की मंशा जाहिर की थी. लेकिन वैचारिक सुविधा के कारण इजरायल हमास काे बर्दाश्त करता रहा, क्योंकि प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के लिए विभाजित फिलिस्तीनी राजनीति अनुकूल थी और अंतरराष्ट्रीय जगत भी हमास काे उखाड़कर फेंकने के प्रति अनिच्छुक था. इस दुर्दांत समूह काे 7 अ्नटूबर, 2023 तक बर्दाश्त किया गया, जबकि उस दिन मारे गए 1,200 लाेगाें के लिए तब तक बहुत देर हाे चुकी थी.
 
हमास और इजरायल के बीच लगातार संघर्ष के बावजूद गाजा पर नियंत्रण करने की इजरायल की नीति में काेई बदलाव नहीं आया है, क्योंकि जैसा कि व्हाइल इजरायल स्लीप्ट नामक किताब के सह-लेखक याकाेव काट्ज ने मुझे लिखा, आयरन डाेम जैसी तकनीकाें के चलते इजरायल इस भ्रम में रहा कि ‘वह अभेद्य’ है. लेकिन 7 अ्नटूबर काे इजरायल की सिग्नल इंटेलिजेंस, मिसाइन इंटरसेप्टर, दुरुस्त बाड़ और भूमिगत अवराेध जैसी उच्च तकनीकें हमास के कम तकनीकी क्षमता वाले पैराग्लाइडराें और बुलडाेजराें के आगे अनुपयाेगी साबित हुई.डाेनाल्ड रम्सफेल्ड ने कहा था, ‘कमजाेरी उत्तेजक हाेती है’ लेकिन कमजाेरी का आभास भी उत्तेजक हाेता है.
 
हमास के दिवंगत नेता याह््या सिनवार ने तभी इजरायल की कमजाेर ग्रंथि का अंदाजा लगा लिया था, जब इजरायल ने अपने सिर्फ एक सैनिक गिलाद शलित के बदले में उसे और अन्य सैकड़ाें फिलिस्तीनी कैदियाें काे रिहा किया था. लेकिन सात अ्नटूबर के हमले से कुछ महीनाें पहले तक इजरायल इतना कमजाेर कभी नहीं दिखा था, क्योंकि नेतन्याहू सरकार ने न्यायिक ‘सुधार’ के लिए काफी जाेर लगाया था.इजरायल की सरकार से बेहतर ताे वहां के आम लाेग हैं.इसका सबसे अच्छा उदाहरण 60 वर्षीय सेनानिवृत्त जनरल नाेआम टिचाेर हैं, जाे अपनी पत्नी गैली के साथ गाड़ी चलाकर अपने बेटे आमिर और उसके परिवार काे बचाने के लिए किबुत्ज पहुंचे थे, जिस पर हमास का कब्जा हाे गया था.
 
अगले दिन टिबाेन ने द टाइम्स से कहा था, ‘हम जानते थे कि अगर हम उन्हें बचाने नहीं गए, ताे काेई नहीं जाएगा.’ नाेआम ने अपने परिवार काे बचाने में कामयाबी हासिल की, जबकि गैली ने घायल इजरायलियाें काे सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया. ऐसी कई कहानियां हैं. सामुदायिक जिम्मेदारी के ताल्मुद विचार- ‘सभी इजराइली एक-दूसरे के लिए जिम्मेदार हैं.’ ने ही 7 अ्नटूबर काे यहूदियाें काे बचाया था.विडंबना है कि मांन्ट्रियल से लेकर मेलबर्न तक के इजरायल - विराेधी, जाे यूराेपीय भाषाएं बाेलते हैं और ऐसी जमीन पर रहते हैं, जाे अ्नसर मूल निवासियाें से छीनी गई थी, हिब्रू भाषी इजरायल काे उपनिवेशवाद का प्रतीक मानने लगे हैं. इजरायली समर्थकाें काे एक यहूदी राज्य के रूप में अपने अस्तित्व के अधिकार के बारे में दलील देने की जरूरत है. यह आयरिश लाेगाें के आयरिश राज्य या यूनानियाें के ग्रीक राज्य के अधिकार से अलग नहीं है.
 
यह बहस का विषय नहीं हाे सकता कि यहूदी ज्यादा पीड़ित हैं या फिलिस्तीनी. इजरायल का जन्म यहूदियाें के उत्पीड़न काे खत्म करने के लिए हुआ था, न कि उसे प्रदर्शित करने के लिए.यहूदी लाेगाें के प्रति शत्रुता यहूदी-विराेध काे जन्म देती है और यहूदी-विराेध यहूदी लाेगाें के प्रति शत्रुता पैदा करता है. बीते हफ्ते थाेम किप्पुर के दिन जिहाद अल-शमी नाम के एक ब्रिटिश व्य्नित ने मैनचेस्टर के एक यहूदी उपासना गृह में अपनी कार घुसा दी, जिसमें दाे लाेगाें की माैत हाे गई. पुलिस ने कहा कि कि वह ‘हमले के पीछे की मंशा काे समझने की काेशिश कर रही है.’ वाकई, यह हमला दर्शाता है कि कैसे अकादमिक सेमिनाराें और वामपंथी पत्रिकाओं के बाहर ‘यहूदी’ और ‘यहूदीवाद’ के बीच का अंतर उन लाेगाें के लिए या ताे अदृश्य है या दिखावटी, जाे किसी न किसी काे नुकसान पहुंचाना चाहते हैं.निश्चित रूप से फिलिस्तीन पीड़ित है, लेकिन इसका कारण हमास है.
 
बीते 2 वर्षाें से जाे लाेग इजरायल विराेधी रैलियां निकालकर ‘तत्काल युद्ध विराम’ का राग अलाप रहे हैं, वह यह भूल जाते हैं कि 7 अ्नटूबर, 2023 से पहले तक युद्ध विराम ही था, जिसका हमास ने सबसे भयावह तरीके से उल्लंघन किया. जाे लाेग फिलिस्तीनी नागरिकाें की पीड़ा की निंदा करते हैं, उन्हें इसकी भी निंदा करनी चाहिए कि हमास लगातार और जानबूझकर आम गाजावासियाें काे युद्ध छेड़कर खतरे में डालता रहा है. बीते दाे वर्षाें में यदि हमास ने हथियार डाल दिए हाेते, ताे यह युद्ध कब का समाप्त हाे गया हाेता, जिससे वह अब भी कतरा रहा है. इजरायल से लगातार युद्ध विराम की मांग करने वाले प्रदर्शनकारी यह मांग हमास से क्यों नहीं करते? यदि हमास या काेई अन्य आतंकी समूह सैन्य या राजनीतिक ताकत के रूप में बचे रहेंगे, ताे काेई फिलिस्तीनी राज्य नहीं हाेगा. हाल ही में फ्रांस, ब्रिटेन और अन्य कम महत्व के देशाें ने इजरायल पर दबाव बनाने के लिए फिलिस्तीनी राज्य काे मान्यता देने का निरर्थक कूटनीतिक कदम उठाया है, जिससे काेई फायदा नहीं हाेने वाला है.स्थायी फिलिस्तीनी राज्य का एकमात्र व्यावहारिक उपाय फलस्तीनियाें के बीच एक सांस्कृतिक क्रांति है, जाे इजरायल के विनाश की कल्पना काे हमेशा के लिए समाप्त कर दे.
-बे्रट स्टीफेंस