धारा-21 महिलाओं को बच्चे की अस्थायी कस्टडी का अधिकार देती है

एड. बी.एस. धापटे की घरेलू हिंसा मामले में महत्वपूर्ण राय : यह धारा सुनिश्चित करती है सुरक्षा व भलाई

    12-Oct-2025
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पुणे, 11 अक्टूबर (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क) :
घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 (Protection of Women from Domestic Violence Act, 2005) की धारा 21 महिलाओं को यह अधिकार देती है कि यदि पति के पास बच्चे की हिरासत है और पत्नी ने घरेलू हिंसा का मामला दर्ज किया है, तो वह बच्चे की अस्थायी हिरासत के लिए आवेदन कर सकती है. यह धारा न केवल महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा व भलाई सुनिश्चित करती है, बल्कि न्यायालय को यह शक्ति भी देती है कि वह बच्चे के सर्वोत्तम हित में तुरंत आदेश पारित कर सके. यह महत्वपूर्ण सलाह एड. बी.एस.धापटे ने दै.आज का आनंद से बातचीत करते हुए दी. प्रस्तुत है उनसे बातचीत के प्रमुख अंश-   एड. भालचंद्र धापटे मोबाइल-9850166213
 
प्रश्न: अगर पति के पास मेरे बच्चे की हिरासत है और मैंने घरेलू हिंसा के मामले में आवेदन किया है, तो क्या मुझे मेरे बच्चे की अस्थायी हिरासत मिल सकती है?
उत्तर: -हाँ, बिल्कुल Domestic Violence Act, 2005 के Section 21 के अनुसार, मैजिस्ट्रेट को आवेदन की सुनवाई के किसी भी चरण में बच्चे की temporary custody देने का अधिकार है. यह धारा कहती है Notwithstanding anything contained in any other law for the time being in force, the Magistrate may at any stage of hearing of an application for protection order or any other relief under this act, grant temporary custody of any child to the aggrieved person or to the person making an application on her behalf. मतलब, यदि पत्नी पर पति से शारीरिक, मानसिक या आर्थिक अत्याचार हो रहा है और वह संरक्षण आदेश के लिए आवेदन करती है, तो न्यायालय उसकी बच्चों की temporary custody उसे दे सकता है. उदाहरण के लिए पुणे में एक मामले में पति ने पत्नी को घर से बाहर निकाल दिया, लेकिन दो साल के बच्चे को अपने पास रखा. पत्नी ने Section 12 के तहत आवेदन किया और साथ ही Section 21 के अनुसार बच्चे की हिरासत मांगी. मजिस्ट्रेट ने उसकी सुरक्षा और बच्चे के हित को देखते हुए बच्चे की अस्थायी हिरासत मां को दे दी. क्योंकि न्यायालय का प्राथमिक ध्यान हमेशा welfare of the child पर होता है.
प्रश्न: Section 21 मजिस्ट्रेट को बच्चे की हिरासत के संबंध में कौन से अधिकार दिए गए हैं और क्या वह पिता को मिलने से रोक सकता है?
उत्तर: -हाँ, मैजिस्ट्रेट को इस धारा के तहत व्यापक अधिकार दिए गए हैं वह केवल temporary custody ही नहीं दे सकता, बल्कि पिता से मिलने के समय, शर्तें और सीमाएं तय कर सकता है. धारा में स्पष्ट रूप से लिखा है. The Magistrate may specify if necessary the arrangements for visit of such child by the respondent. लेकिन, यदि मैजिस्ट्रेट के अनुसार इन मुलाकातों से बच्चे के हित या मानसिक स्थिति को खतरा हो, तो वह पिता की मुलाकात को पूरी तरह नकार भी सकता है. उदाहरण मुंबई में एक मामले में, पिता शराब के नशे में बच्चा मिलने आता था और मुलाकातों से बच्चे में डर और अस्थिरता पैदा हो रही थी. मैजिस्ट्रेट ने इसकी दृष्टि से पिता की मुलाकात पर रोक लगाई और स्पष्ट किया. The welfare and safety of the child shall override the right of visitation. इससे सिद्ध होता है कि पालकों के अधिकार child’s welfare के अधीन होते हैं.
प्रश्न: यदि पति कहता है कि उसके पास आर्थिक स्थिरता है और पत्नी काम नहीं करती, तो क्या बच्चे की हिरासत माँ को दी जा सकती है?
 उत्तर: - हां, न्यायालय केवल आर्थिक स्थिति पर निर्णय नहीं करता. सर्वो च्च न्यायालय ने Gaurav Nagpal v. Sumedha Nagpal (2009) में स्पष्ट किया है. The rights of parents are subservient to the welfare of the child. मतलब, पालकों की आर्थिक स्थिति नहीं, बल्कि बच्चे के Emotional, Educational And Mental development के लिए उचित वातावरण कौन दे सकता है, यह देखा जाता है. उदाहरण यदि माँ काम नहीं करती लेकिन बच्चे को सुरक्षित, प्यार और स्थिर वातावरण दे सकती है, तो मजिस्ट्रेट उसे Temporary custody दे सकता है. इसके विपरीत, यदि पिता के पास पैसा है लेकिन वह हिंसक, व्यसनाधीन या अस्थिर है, तो न्यायालय बच्चे के हित के अनुसार उसे मां को देती है.

प्रश्न: मेरे मामले में पिता ने बच्चे की हिरासत रखी है और मैंने हिरासत मांगी, तो क्या यह धारा अन्य कानूनों की तुलना में प्रभावी है?
उत्तर: - हां, Section 21 में Notwithstanding any thing contained in any other law का पेप-obstante clause है. इसका मतलब है कि अन्य कोई भी कानून (जैसे Guardians and Wards Act, 1890 या Hindu Minority and Guardianship A ct, 1956) इस धारा की प्रक्रिया में बाधा नहीं डाल सकता. उदाहरण यदि पिता Guardians and Wards act के तहत दावा करता है कि वह ही कानूनी संरक्षक है, तब भी पत्नी को घरेलू हिंसा के मामले में Section 21 के तहत Temporary custody का अधिकार रहता है. सर्वोच्च न्यायालय ने भी कहा है The object of the Domestic Violence Act is to provide immediate and effective relief to the aggrieved woman and her children. मतलब यह कानून महिलाओं और बच्चों को त्वरित सुरक्षा और राहत देने के लिए बनाया गया है और यह अन्य कानूनों पर प्राधान्य रखता है.

प्रश्न: अगर मैंने बच्चों की हिरासत के लिए आवेदन किया और पिता ने रोड़ा डाला, तो न्यायालय क्या त्वरित कार्रवाई कर सकता है?
उत्तर: - न्यायालय स्थिति के अनुसार तुरंत Interim custody order जारी कर सकता है. Section 21 मजिस्ट्रेट को at any stage of hearing अधिकार है, इसलिए पूरी सुनवाई समाप्त होने तक इंतजार करने की जरूरत नह्‌ीं‍.मतलब, यदि मां बताती है कि पिता बच्चों से मिलने नहीं देता या हिंसा का खतरा है, तो न्यायालय तुरंत आदेश जारी कर सकता है और पुलिस को लागू करने के निर्देश दे सकता है. उदाहरण नागपुर में एक मामले में, मां के आवेदन के बाद न्यायालय ने तुरंत Temporary custody मां को दी और स्थानीय पुलिस को बच्चों की सुरक्षा में सहायता करने का निर्देश दिया. बाद में दोनों पक्षों की सुनवाई कर अंतिम आदेश पारित किया गया. इससे स्पष्ट है कि न्यायालय का उद्देश्य children’s welfare की रक्षा तुरंत करना है.