महिलाओं के शरीर के लिए मासिक धर्म का आरंभ हाेना, हर 28 दिनाें बाद हाेते रहना, गर्भावस्था में बंद रहना तथा लगभग 50 वर्ष की आयु तक जारी रहना ऐसी घटनाएं हैं, जाे बिना अवराेध के चलती रहें तथा अनियमितता न हाे ताे नारी सुखी वरना दु:खी. इसका समय पूर्व बंद हाे जाना एक बड़ा राेग है, जाे बड़ा दु:खदायी भी है. आइए इस पर विचार करें.मासिक धर्म का अधिक आना, कई दिन आना या समापन की आयु पाने से पूर्व बंद हाे जाना उपचार तथा सावधानी का विषय है. माना जाता है कि मासिक धर्म की कुल आयु 32 वर्ष है. जब पहली बार हुआ, उस आयु में 32 वर्ष जाेड़ लें. जैसे 14 वर्ष में शुरू हुआ ताे 14 प्लस 32 बराबर 46 वर्ष बाद नहीं हाेना चाहिए. यदि यह अनियमित हाे जाए, बहुत पहले बंद हाेने लगे, कम या अधिक हाेने लगे ताे यह दिए कुछ उपचार जरूरी हैं. लक्षणाें की बात करें ताे यदि मासिक धर्म के समय अधिक स्राव हाे, कमर दुखती रहे, शरीर में खिंचाव बना रहे.
मन सदा उदास रहे, अकड़न महसूस हाे, लेटने-चलने, उठने-बैठने, काेई भी काम करने में तकलीफ हाे, थाेड़ा चलने से र्नतस्राव बढ़ जाए ताे समझें कि कुछ गलत है. बंद हाे गया है ताे भी गलत हुआ है. ऐसी अवस्थाओं में बड़ा सावधान हाेने की जरूरत है.गेहूं के दाने के ऊपर के चिपटे पदार्थ का निकाला गया तेल सेवन करना, राेग काे खत्म कर देता है. जाे काेई महिला गन्ने का सीरा इन दिनाें ले, उसका राेग ठीक हाे जाता है. काम में मन न लग रहा हाे, स्वभाव चिड़चिड़ा हाे गया हाे ताे समझें मासिक धर्म अनियमित है. समझ लें कि आपकाे अपने भाेजन से उचित मात्रा में कैल्शियम प्राप्त नहीं हाे रहा; अत: ऐसे पदार्थ खाएं जिनमें कैल्शियम काफी हाे. फिर भी यदि कमी रह जाए ताे कैल्शियम की गाेलियां भी खा सकती हैं. स्वभाव ठीक हाेते ही राेग नहीं रहेगा.एक राॅयल जैली भी लाभप्रद हाेती है जाे मधुम्निखयाें से उत्पादित हाेती है. इसका मिलना कठिन है तथा है भी महंगी. प्राप्त कर सकें ताे यह निश्चित इलाज है.ऐसी अवस्था में महिलाएं सदा सुपाच्य, ताजा तथा थाेड़ा पाैष्टिक भाेजन लें ताकि खाया हुआ आहार पचता ही रहे. भारी भाेजन, तामसिक भाेजन, मिर्च-मसालाें वाला भाेजन इस अवस्था में न लें, वरना राेग में वृद्धि कर बैठेंगे.