राेगाें का भय भी खुद एक राेग है

    20-Oct-2025
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Health
राेग, उनके लक्षण, कारण, उपचार विधियाें और सावधानियाें के बारे में जानकारी रखना अच्छी बात है. अपने शरीर की असामान्य गतिविधियाें काे ताड़ना और विशेषज्ञ से सलाह लेना जागरूकता की निशानी है. शायद आप भी ऐसा करते हाें. लेकिन जागरूकता और असामान्य भय में अंतर हाेता है.कई बार राेगाें काे लेकर सतर्कता और सावधानी एक सीमा से आगे बढ़ जाती है और खुद एक राेग का रूप ले लेती है. इसे हाइपाेकाॅन्ड्रियासिस या इलनेस एंग्ज़ाइटी डिसऑर्डर कहते हैं और इससे ग्रस्त व्य्नित काे हाइपाेकाॅन्ड्रियाक. इससे न केवल मानसिक शांति प्रभावित हाेती है, बल्कि कामकाज, रिश्ताें और जेब पर भी बुरा असर पड़ता है.
शरीर राेगाें का घर लगता है जिस बीमारी के लक्षण पढ़ें या सुनें, दाे-चार लक्षण खुद में निकल ही आते हैं- फिर चाहे वह साधारण बीमारी हाे या कैंसर जैसा घातक राेग. कुछ हाईपाेकाॅन्ड्रियाक डाॅ्नटर के पास जाने से डरते हैं कि कहीं वह जांच करके दस-बीस और बीमारियां न ढूंढ ले.
 
इसलिए इंटरनेट, पुस्तकाें-पत्रिकाओं और अखबार के लेखाें में राेग-लक्षण पढ़कर अपने शरीर से मिलान करते हुए वैकल्पिक पद्धतियां आज़माते रहते हैं दूसरी तरह के हाइपाेकाॅन्ड्रियाक लक्षण ढूंढते हैं और बार-बार डाॅ्नटर के पास दाैड़ते हैं.काेई समस्या छाेटी नहीं हाेती ऐसे में सिरदर्द दिमागी कैंसर का लक्षण हाेता है और दम फूलना दिल की बीमारियाें का संकेत. जिन्हें राेगाें से बेवजह डरने का राेगहाेता है, उनके लिए काेई समस्या छाेटी या साधारण नहीं हाेती.गले में ख़राश हाे जाए, ताे टाॅन्सिल बढ़ने हाेने का डर लगने लगता है या फिर साधारण सर्दी-जुकाम में भी वे स्वाइन फ्लू के लक्षण खाेज लेते हैं.सामान्य जीवन बाधित हाेता है हाइपाेकाॅन्ड्रियाक काे लगता है कि वह गम्भीर राेगाें के जाेखिम से घिरा है, इसलिए वह ज़रूरत से ज़्यादा सावधानियां बरतता है - ख़ासताैर पर साफ-सफाई काे लेकर. जिनमें ऐसी दुष्चिंता काफी बढ़ जाती है, वे सार्वजनिक जगहाें पर खाने-पीने, लाेगाें से मिलने-जुलने में भी डरने लगते हैं कि कहीं काेई संक्रमण न हाे जाए. ऐसे व्य्नित का खानपान और दिनचर्या की आदतें भी असामान्य हाे जाती हैं.