मानसिक तनाव दूर करे आयुर्वेदिक शिराेधारा

    26-Oct-2025
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Health 
 
शिराेधारा - शिराे का अर्थ है सिर और धारा का अर्थ है प्रवाह. शिराेधारा काे आयुर्वेद की सभी चिकित्साओं में सबसे उपयाेगी माना गया है. शिराेधारा 5000 वर्ष पुरानी एक प्राचीन तकनीक है, जिसका उपयाेग मानसिक थकान से संबंधित बीमारियाें का उपचार करने के लिए किया जाता है. इस प्रक्रिया के लिए जड़ी-बूटियाें से निर्मित खास तेल और तकनीक का उपयाेग किया जाता है. शिराेधारा के लिए उपयाेग किये जाने वाले तरल पदार्थ तेल, दूध या फिर म्नखन से निर्मित हाेते हैं, जिनमें कई सारी जड़ी-बूटियां मिलाकर उसे औषधीय बनाया जाता है.शिराेधारा से काेई भी दुष्प्रभाव नहीं हाेता. यह तन एवं मन दाेनाें काे स्वस्थ बनाये रखने में एक अहम भूमिका निभाती है.
 
विश्रांति की अद्भुत प्रक्रिया में व्य्नित के सिर की त्वचा तथा मस्तक पर गुनगुने औषधीय तेल की एक पतली सी धारा प्रवाहित की जाती है. शिराेधारा से अत्यंत शांति मिलती है, साथ ही यह आपकाे याैवन प्रदान करती है. आपके केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (सेंट्रल नर्वस सिस्टम) की कार्यप्रणाली काे भी यह सुधारती है.इसका प्रयाेग बहुत सी परिस्थितियाें में किया जा सकता है, जैसे आंखाें के राेग, साइनाेसाइटिस और स्मृति लाेप.्नया है शिराेधारा शिराेधारा के तहत रिलै्नसेशन के लिएसबसे पहले ताे हैड और स्पाइन मसाज आती है. इसमें बाॅडी मसाज भी हाे सकती है, जिसके लिए जड़ी-बूटियाें से बने खास तेल का इस्तेमाल किया जाता है. उसके बाद शिराेधारा की प्रक्रिया अपनाई जाती है. शिराेधारा के लिए जाे तरल पदार्थ इस्तेमाल किया जाता है, वह तेल, दूध या बटर मिल्क से बना हाेता है, जिसमें कई तरह की जड़ी-बूटियां मिला कर औषधीय किया जाता है.
 
शिराेधारा की प्रक्रिया
 
शिराेधारा आयुर्वेद पंचकर्म की प्राचीन विधि है, जाे सिरदर्द के इलाज के लिए अच्छी थेरेपी मानी जाती है. इसके अंतर्गत नसाें के आराम के लिए सबसे पहले ताे सिर और स्पाइन मसाज की जाती है, फिर बाॅडी की.उसके बाद शिराेधारा की प्रक्रिया अपनाई जाती है. शिराेधारा में बड़े से मटके में तेल काे डाला जाता है.मटके के बीच में हल्का-सा छेद कर दिया जाता है, जिसके द्वारा उसके अंदर का तरल प्रदार्थ बहते हुए भाैहाें के पास पहुंचाया जाता है, जाे ठंडक पहुंचाने और तनावमु्नत बनाए रखने में मदद करता है.राेगी की आंखाें में तेल न जाए, इसके लिए उसके सिर पर एक ताैलिया बांध दिया जाता है. यह उपचार एक दिन में लगभग 45 मिनट तक दिया जाता है.इस चिकित्सा से व्य्नित की तंत्रिकाआें काे आराम मिलता है.
 
शिराेधारा के फायदे अनेक
 
* आयुर्वेद के अनुसार, वात एवं पित्त के असंतुलन से पीड़ित व्य्नितयाें के लिए शिराेधारा अत्यधिक लाभदायक है. जब वात असंतुलित हाेता है ताे व्य्नित में भय, असुरक्षा की भावना, चिंता या पलायनवादी विचार जैसे लक्षण दिखाई देते हैं. जब पित्त अंसतुलित हाेता है ताे व्य्नित में क्राेध, चिड़चिड़ाहट, कुंठा और गलत निर्णय लेना आदि लक्षण दिखाई देने लगते हैं.
 
* शिराेधारा थकान काे कम करती है और मस्तिष्क काेशिकाओं पर सुखदायक प्रभाव पैदा करती है. इसके तहत माथे की त्वचा की नसाें के माध्यम से तरल पदार्थाें काे शांत और सुटखदायक ऊर्जा के साथ मस्तिष्क में ले जाते हैं, जाे तनाव काे कम करने और नींद की स्थिति काे बेहतर करने में मदद करते हैं. सिर पर तरल पदार्थाें के निरंतर प्रवाह के कारण शिराेधारा मन काे शांत और तनाव मु्नत हाे जाता है. इस्तेमाल किए जाने वाले तरल पदार्थ के गुण मनुष्य के शरीर के दाेषाें काे संतुलित करते हैं.शिराेधारा का द्रव व्य्नित के मस्तिष्क, सिर की त्वाचा तथा तंत्रिका तंत्र काे आराम तथा पाेषण प्रदान करता है तथा दाेषाें काे संतुलित करता है. इसके लिए विशेषज्ञाें के चयन में सावधानी बरतना जरूरी है.
 
सावधानी  शिराेधारा विशेषज्ञ द्वारा ही करवानी चाहिए, अन्यथा यह नसाें काे नुकसान पहुंचा सकती है.