अडानी की कंपनियाें में 34 हजार कराेड़ का निवेश

    26-Oct-2025
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LIC 
 
LICने केंद्र सरकार के दबाव में लगभग 34 कराेड़ रुपयाें का निवेश मशहूर उद्याेगपति अडानी की विभिन्न कंपनियाें में किए. ऐसा चाैंकानेवाला दावा अमेरिकी मीडिया (वाशिंगटन पाेस्ट) ने किया है. इस दावे से एक बार फिर केंद्र की माेदी के नेतृत्व में बनी सरकार कठघरे में आ गयी है. बताया गया है कि वित्त मंत्रालय एवं नीति आयाेग ने केंद्र के दबाव में आकर याेजना बनाकर निवेश काे अंजाम दिया. मीडिया में छपी खबराें के बाद विपक्ष ने केंद्र पर जमकर निशाना साधा है. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि सरकार ने देश के 30 कराेड़ बीमाधारकाें के पैसाें का दुरुपयाेग किया है. यह उनके साथ बड़ा धाेखा है.विवादास्पद उद्याेगपति काे लाभ पहुंचाने सरकार ने सरकारी एजेंसियाें का दुरुपयाेग किया. इस मामले की उच्च स्तरीय जांच करवा कर सच्चाई सामने लाने की जरूरत है.
 
इस बीच LIC ने साफ शब्दाें में कहा है कि मीडिया में छपी खबरें पूरी तरह से निराधार हैं. एलआईसी किसी के दबाव में आकर निवेश के फैसले नहीं करती. मीडिया में छपी सभी खबरें झूठी और आधारहीन हैं.उन्हाेंने कहा कि आंतरिक दस्तावेज़ के अनुसार सरकारी अधिकारियाें ने गत मई में एक ऐसा प्रस्ताव तैयार किया और उसे आगे बढ़ाया, जिसके अंतर्गत एलआईसी की लगभग 34,000 कराेड़ रुपयाें की धनराशि काे अडानी समूह की विभिन्न कंपनियाें में निवेश की गई. रिपाेर्ट में कहा गया है कि इसका उद्देश्य ‘अडानी समूह में विश्वास का संकेत देना’ और ‘अन्य निवेशकाें की भागीदारी काे प्राेत्साहित करना’ था. कांग्रेस ने सवाल उठाया कि आखिर वित्त मंत्रालय और नीति आयाेग के अधिकारियाें ने किसके दबाव में यह तय किया कि उनका काम गंभीर आपराधिक आराेपाें के कारण वित्तीय संकट से जूझ रही एक निजी कंपनी काे बचाना है.
 
उन्हें सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध एलआईसी काे निवेश करने के निर्देश देने का अधिकार किसने दिया? क्या यह ‘माेबाइल फाेन बैंकिंग’ जैसा ही मामला नहीं है? उन्हाेंने उद्याेगपति अडानी काे लेकर विस्तार से बताया कि जब 21 सितंबर 2024 काे गाैतम अडानी और उनके 7 सहयाेगियाें पर अमेरिका में आराेप तय किए गए, ताे केवल 4 घंटे की ट्रेडिंग में ही एलआईसी काे 920 अरब डाॅलर यानी 7,850 कराेड़ रुपए का भारी नुकसान हुआ. इससे पता चलता है कि सार्वजनिक धन काे चहेते काॅरपाेरेट घरानाें पर लुटाने की कीमत कितनी भारी पड़ती है. अडानी पर भारत में महंगे साैर ऊर्जा ठेके हासिल करने के लिए2,000 कराेड़ रुपए यानी की रिश्वत याेजना बनाने का आराेप है.
 
माेदी के नेतृत्व में बनी सरकार लगभग एक वर्ष से प्रधानमंत्री नरेंद्र माेदी के इस करीबी मित्र काे अमेरिकी प्रतिभूति और विनिमय आयाेग का समन आगे बढ़ाने से इनकार कर रही है.उन्हाेंने कहा, अडानी मेगा घाेटाला बेहद व्यापक है और इसमें ईडी, सीबीआई और आयकर विभाग जैसी एजेंसियाें का दुरुपयाेग कर अन्य निजी कंपनियाें पर दबाव डालना, ताकि वे अपनी संपत्तियां अडानी समूह काे बेच दें. हवाई अड्डाें और बंदरगाहाें जैसे महत्वपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर संसाधनाें का पक्षपाती निजीकरण, ताकि उसका लाभ केवल अडानी समूह काे ही मिले. राजनयिक संसाधनाें का दुरुपयाेग कर विभिन्न देशाें में, खासकर भारत के पड़ाेसी देशाें में, अडानी समूह काे ठेके दिलवाना.अडानी के करीबी सहयाेगी नासिर अली शबान अहली और चांग चुंग-लिंग द्वारा ‘शेल’ कंपनियाें के मनी-लाॅन्ड्रिंग नेटवर्क का उपयाेग करते हुए ओवर-इनवाॅइस करते हुए काेयले का आयात किया गया.