जिंदगी में सब नियम जरूरत से तय हाेते हैं. आज आदमी की इतनी मुश्किल हाे गई है कि आदमी काे बचाने के लिए अब मछलियाें काे बचाने की हम बात नहीं साेच सकते. दुखद है यह बात कि आदमी काे जीने के लिए मछली या काेई जानवर मारना पड़े! लेकिन यह असलियत है, आदमी काे जीने के लिए इसके सिवाय काेई रास्ता नहीं है. इसका जिम्मा किस पर है? दुनिया में जाे लाेग शाकाहारी और वेजीटेरियन हाेने की बातें करते हैं, उन्हाेंने दुनिया काे कितने शाकाहार के नये उपाय दिए? एक उपाय नहीं दिया उन्हाेंने, शाकाहार के द्वारा आदमी बच सके, इसके लिए काैन सी रिसर्च की है? काेई खाेज नहीं की और र्सिफ शाकाहारी आदमी शरीर से कमजाेर हाे ही जाता है. वह कभी स्वस्थ नहीं हाे सकता पूरा. जब तक कि शाकाहार के साथ कुछ और दवाइयां, कुछ और विटामिन न जाेड़े जाएं, तब शाकाहारी आदमी स्वस्थ नहीं हाे सकता. उसका मस्तिष्क, शरीर और उम्र भी कमजाेर हाे जाती है.
पश्चिम के लाेग हमसे हर हालत में आगे बढ़ गए उसमें मांसाहार का हाथ है. उनकी उम्र ज्यादा है, उनका स्वास्थ्य अच्छा है हम पिछड़ गए हैं यह समझने जैसी बात है कि हिंदुस्तान हजाराें साल से शाकाहार की बाताें मे विश्वास करता रहा है. और हिंदुस्तान पर जब भी किसी मांसाहारी काैम ने हमला किया, ताे हिंदुस्तान ने घुटने टेक दिए.शाकाहारियाें ने अब तक मांसाहारियाें काे हराया नहीं है किसी भी मामले में, घुटने टेक दिए. ये सारे सत्य हैं, इस सारे सत्याें काे झुठलाना आसान नहीं है.काेई कहता है कि गऊ ताे माता है. गऊ ने ताे कभी नहीं बताया कि आप उसके बेटे हैं! आप ही कहे चले जाते हैं. आपकी किताब में लिखने से गऊ माता हाे जाएगी? गऊ की ताे किसी किताब में नहीं लिखा हुआ है. और मैं नहीं साेचता कि गऊ राजी हाेगी आपकाे बेटा मानने के लिए.
इतनी याेग्यता मैं नहीं समझता हम में है कि गऊ भी राजी हाे जाए कि मान ले कि बेटा हहम उसके और अगर किसी और अर्थ से साेचते हाें ताे सभी जानवर हमारे माता-पिता हैं विज्ञान की दृष्टि से भी, अध्यात्म की दृष्टि से भी. अध्यात्म कहता है कि आदमी की आत्मा पिछली याेनियाें से विकसित हाेकर आई है.जिस याेनि से भी हम गुजरे हैं, उस याेनि में हमारे माता- पिता हाेंगे. र्ींजरा दूर का संबंध हाे गया, बाकी ताे है ही. डार्विन कहता है कि आदमी का शरीर बंदराें से आया है, और बंदराें का शरीर और पिछले जानवराें से, और आखिर में मछली से सारे लाेगाें का आना हुआ है. ताे डार्विन के हिसाब से भी मछली आदिमाता है.िफर बाद में और माताएं हाेंगी और पिता हाेंगे. ताे अब अगर माता-पिताओं काे बचाने में लग गए आप सबकाे, ताे आप मर जाएंगे इतना पक्का है. ताे या ताे यह तय कर लेना चाहिए कि माता-पिताओं काे बचाना है मछली काे, गाय इत्यादि काे या मनुष्य काे बचाना है.