पुणे, 30 अक्टूबर, (आ.प्र.) पुणे पत्रकार सहकारी गृहरचना संस्था (लिमिटेड), पत्रकारनगर, सेनापति बापट रोड के पुनर्विकास प्रक्रिया में फ्लैट/फ्लोर वरीयता चयन और लॉटरी ड्रॉ के संबंध में उठाई गई आपत्तियों को सहकारिता विभाग ने गंभीरता से लिया है. 13 अक्टूबर को दो सदस्यों द्वारा दर्ज की गई शिकायत पर कार्रवाई करते हुए, सहकारिता विभाग ने संस्था के पंच समिति को नोटिस जारी कर 15 दिनों के भीतर स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है. यह नोटिस प्राप्त होने के बावजूद, 2 नवंबर को फ्लैट/फ्लोर वरीयता हेतु निर्धारित बैठक आयोजित करने में संस्था के पंच समिति की भूमिका इस नई पृष्ठभूमि में विवादास्पद होती जा रही है. सहकारिता विभाग के सब रजिस्ट्रार (सहकारी समितियां, पुणे शहर (1)) मिलिंद टांकसाले ने एक नोटिस में स्पष्ट किया है कि पुनर्विकास के संबंध में 4 जुलाई, 2019 को जारी नियमों का पालन करना अनिवार्य है. इन नियमों के अनुसार, नए इमारत में फ्लैटों का आवंटन ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट प्राप्त करने के बाद ही किया जाना है. यदि लॉटरी पद्धति अपनानी है, तो निर्माण पूरा होने के बाद ही लॉटरी निकाली जानी चाहिए. इसमें यह भी उल्लेख किया गया है कि यह लॉटरी सब रजिस्ट्रार कार्यालय के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में और वीडियो शूटिंग के साथ निकाली जानी अनिवार्य है. हालांकि, पत्रकारनगर संस्था की निर्माण योजना को अभी तक मनपा द्वारा अनुमोदित नहीं किया गया है, न ही पर्यावरणीय मंजूरी प्राप्त की गई है. कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी स्थिति में लॉटरी प्रक्रिया शुरू करना अवैध होगा. शिकायतकर्ताओं ने कहा है कि नए पुनर्विकास इमारत के लिए 32 मंजिलें बनाने की अनुमति तो दी गई है, लेकिन 1872 वर्ग फुट क्षेत्रफल वाले सदस्यों को केवल 1 से 23 मंजिलें ही चुनने का विकल्प दिया गया है. 24 से 32 मंजिलें पर प्रीमियम फ्लैट किसके लिए आरक्षित हैं? उन्होंने यह सवाल उठाया है. इस निर्णय को आम सभा में मंजूरी नहीं दी गई है और डेवलपमेंट एग्रीमेंट में इसका कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है, इसलिए यह समान अधिकार सिद्धांत का उल्लंघन है, ऐसा कानूनी विशेषज्ञों का दावा है. 
 
 सब रजिस्ट्रारमिलिंद टांकसाले द्वारा निर्देश सब रजिस्ट्रार, सहकारी समिति पुणे शहर (1) मिलिंद टांकसाले ने अपने नोटिस में कहा है कि क्या संस्था ने पुनर्विकास प्रक्रिया में 4 जुलाई, 2019 के सरकारी नियमों का वास्तव में पालन किया है? यदि 15 दिनों के भीतर संस्था का जवाब नहीं मिलता है, तो यह मानते हुए उचित कार्रवाई की जाएगी कि नियमों का पालन नहीं किया गया है. उन्होंने चेतावनी भी दी है कि संस्था को इस पत्र पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए. ऐसी स्थिति में बैठक आयोजित करना अवैध होगा और इसके माध्यम से किया गया फ्लैट आवंटन कानूनी दृष्टि से टिकेगानही.  
 
 सदस्यों में बढ़ती बेचैनी पुनर्विकास अधिनियम में मूल सदस्यों के लिए प्राथमिकता के अधिकार को रेखांकित किया गया है, लेकिन शिकायतकर्ताओं का कहना है कि सदस्यों को ऊपरवाले प्रीमियम फ्लैटों के अधिकार से वंचित करना अनुचित है.