सारसबाग, 3 अक्टूबर (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क) श्री महालक्ष्मी मंदिर (सारसबाग) ने हर साल की तरह इस साल भी दशहरे के अवसर पर श्री महालक्ष्मी देवी को 16 किलो सोने की साड़ी पहनाई. यह सोने की साड़ी दक्षिण भारत के कारीगरों द्वारा बनाई गई है. मंदिर प्रशासन द्वारा देवी को यह साड़ी पहनाने की परंपरा है. श्री महालक्ष्मी देवी के इस स्वर्णिम परिधान के दर्शन के लिए हर साल की तरह देवी के भक्त उमड़ पड़े थे. यह साड़ी श्री महालक्ष्मी मंदिर सारसबाग, श्री बंसीलाल रामनाथ अग्रवाल धार्मिक एवं सांस्कृतिक न्यास द्वारा वर्ष में दो बार पहनाई जाती है. मंदिर के संस्थापक न्यासी राजकुमार अग्रवाल, मुख्य न्यासी अमिता अग्रवाल, न्यासी एड. प्रताप परदेशी, डॉ. तृप्ति अग्रवाल, भरत अग्रवाल, प्रवीण चोरबेले, हेमंत अर्नालकर, नारायण काबरा, नीलेश लद्दड, मुरली चौधरी, राजेश सांकला आदि ने इस महोत्सव का आयोजन किया. डॉ. तृप्ति अग्रवाल ने बताया कि दशहरे के दिन सोना लूटने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है. उस परंपरा के अनुसार, भक्त सोने की साड़ी में श्री महालक्ष्मी देवी के दर्शन कर सकते हैं, इसलिए दशहरे और लक्ष्मी पूजन के दिन देवी को यह साड़ी पहनाई जाती है. मुख्य ट्रस्टी राजकुमार अग्रवाल ने बताया कि, मंदिर में महालक्ष्मी देवी पर पहनाई गई सोने की साड़ी और रावण दहन देखने के साथ-साथ इस वर्ष पूरे नवरात्रि में भक्तों की रिकॉर्ड तोड़ भीड़ देखी गई. हम देवी के सभी भक्तों और नवरात्रि में सहयोग करने वाले सभी लोगों के आभारी हैं.
25 फुट ऊंचा रावण विभिन्न सामाजिक मुद्दों को उजागर करने के लिए मंदिर के सामने एक प्रतीकात्मक रावण दहन कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस अवसर पर 25 फुट ऊंचा प्रतीकात्मक रावण तैयार किया गया था. भगवान श्रीराम की वानर सेना और रावण की सेना के बीच युद्ध का सजीव चित्रण भी प्रस्तुत किया गया. इस अवसर पर प्रतीकात्मक रावण के पुतले का दहन कर समाज में महिला सशक्तिकरण का संदेश दिया गया. मुख्य ट्रस्टी अमिता अग्रवाल ने बताया कि पुणेकर बड़ी संख्या में इस कार्यक्रम में शामिल हुए.
आकर्षक कढ़ाई से बनी है सोने की साड़ी
मंदिर प्रशासन की ओर से बताया गया कि इस साड़ी को बनाने का काम लगभग 6 महीने पहले शुरू हुआ था. एक भक्त ने देवी को यह साड़ी अर्पित की है. इस साड़ी का वजन 16 किलो है. इस सोने की साड़ी को आकर्षक कढ़ाई से बनाया गया है.