डॉक्टर में कड़ी मेहनत व सेवा का जअबा आवश्यक !

मेडिकल प्रोफेशन में सफल डॉक्टरों ने सुनाए अपने अनुभव : डॉक्टरी नोबल प्रोफेशन, इसमें ईमानदारी जरूरी

    05-Oct-2025
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पुणे, 4 अक्टूबर (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
हर डॉक्टर के जीवन में चुनौतियां और जिम्मेदारियां अलग होती हैं, लेकिन उनकी लगन, मेहनत और साहस ही उन्हें आगे बढ़ने में मदद करती है. डॉक्टर बनने के लिए कड़ी मेहनत के साथ-साथ लगन होना भी जरूरी है. साथ ही डॉक्टर का प्रोफेशन नोबल प्रोफेशन हैं, जिसमें पेशेंट की सेवा पूरे दिल से करनी होती है. इस प्रोफेशन में सक्सेस पाने के लिए काम के प्रति ईमानदार सबसे ज्यादा जरूरी हैं. डॉक्टर बनने के लिए पढ़ाई में फोकस के साथ-साथ जिंदगी भर 24 घंटे पेशेंट के प्रति सेवा-भाव की जरूरत होती है. कुछ डॉक्टरों से दै. आज का आनंद के लिए प्रो. रेणु अग्रवाल ने बातचीत की. यहां प्रस्तुत है डॉक्टरों से बातचीत के कुछ अंश: प्रो. रेणु अग्रवाल (मो. 8830670849)  
 
सेवा, साधना और नेतृत्व की प्रेरक कहानी
जनवरी 1996, संतनगरी शेगांव में ‌‘जीवनज्योति हॉस्पिटल' के नाम से 12 बेड का, आईसीयू फैसिलिटी के साथ हॉस्पिटल में सफलतापूर्वक मरीजों की सेवाएं करते हुए 45 बेड के ‌‘जीवनज्योती मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल' में विस्तार किया. वैद्यकीय क्षेत्र के साथ-साथ सामाजिक क्षेत्र में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान देते हुए पिछले 20 सालों से गायत्री सेवा-कुंज नामक गोशाला से जुड़े रहे. इसके अंतर्गत गायत्री सेवा कुंज नामक गोशाला में प्रमुख प्रभारी के तौर पर 220 गायों की सेवा के साथ - साथ ऑर्गे निक फॉर्मिंग के महत्व को जन-मानस में लाने का महत्वपूर्ण कार्य और जनता में जागरुकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं. आर्ट ऑफ लिविंग संस्था में हैप्पीनेस कोर्स के टीचर के रूप में सुदर्शन क्रिया के द्वारा जनता में आध्यात्मिक, शारीरिक, बौद्धिक विकास से जीवन में उत्साह, आनंद मनःशांति की अनुभूति कराने और लोगों को संस्था के कार्यों से जोड़ने का अथक प्रयास कर रहे हैं. अग्रवाल समाज में भी 5 सालों तक, (2017-2023) तक अग्रसेन समिति के अध्यक्ष के रुप में कार्य कर समाज की प्रगती के लिए कार्य किया. आईएमए अध्यक्ष (2023-2025) शेगांव ब्रांच का सफल संचालन किया.
- डॉ. हरीश मक्खनलाल सराफ
 

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डॉक्टर का प्रोफेशन बड़ा ही नेक प्रोफेशन
 मैं पिछले 29 सालों से vitreo reting स्पेशलाइजेशन में प्रैक्टिस कर रहा हू्‌ं‍. पिछले कई सालों से प्रैक्टिस करते वक्त यह ध्यान में आ रहा है कि दिन प्रतिदिन डॉक्टर और मरीज के बीच का रिश्ता बद से बदतर होता जा रहा है. आजकल मरीज अपने डॉक्टर पर उतना वेिशास नहीं रखते जितना पहले रखते थे. अब हमें मरीजों को वेिशास दिलाने के लिए उनसे बातचीत कर बात को सही तरीके से समझाना पड़ता है. डॉक्टर का प्रोफेशन एक बड़ा ही नेक प्रोफेशन है. यह एक बेहतरीन पेशा है, जिसमें मरीजों की सेवा पूरे दिल से करनी होती हैं. डॉक्टर बनने के लिए कड़ी मेहनत के साथ-साथ दिलचस्पी होना भी जरूरी है. सफलता पाने के लिए शुरूआत में बहुत ज्यादा इनवेस्टमेंट और वक्त भी ज्यादा जाता है, इसलिए सोच-समझकर ही विद्यार्थियों को डॉक्टर बनने का निर्णय लेना चाहिए.
- डॉक्टर संतोष अग्रवाल, छत्रपति संभाजी नगर
 

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दिन-प्रतिदिन डॉक्टर के प्रति रिस्पेक्ट भी कम होती जा रही !
मेरी उम्र 70 साल है और पिछले 49 सालों से में बतौर चाइल्ड स्पेशलिस्ट मेडिकल प्रैक्टिस कर रहा हू्‌ं‍. हमारा 18 बेड्स का नर्सिंग होम मुंबई में है. मुंबई में ही तीन कॉरपोरेट हॉस्पिटल में भी में प्रैक्टिस कर रहा हू्‌ं‍. मैंने जब 1970 में मेडिकल फील्ड में इंटर किया था, तब विद्यार्थियों को मरीजों की सेवा करना प्रथम उद्देश्य और बाद में पैसा शोहरत कमाना यह सब सिखाया जाता था लेकिन अब मेडिकल फील्ड कमर्शियल हो गया है. बड़े-बड़े कॉर्पोरेट मेडिकल हॉस्पिटल के जो सीईओ हैं, उन्होंने डॉक्टर की डिग्री नहीं बल्कि मैनेजमेंट की डिग्री ली है जिससे उनका उद्देश्य अस्पताल से सिर्फ पैसा कमाना है. इस वजह से मेडिकल फील्ड अब बदनाम हो रही है. पहले डॉक्टर को भगवान मानते थे लेकिन अब वह रिस्पेक्ट नहीं रही. जितनी डॉक्टरों की हमें जरूरत है, उससे कई गुना ज्यादा डॉक्टर रोज डिग्री लेकर प्रैक्टिस कर रहे हैं. गवर्नमेंट ने हर प्रकार के डॉक्टर को प्रैक्टिस करने की इजाजत दी है. मेडिकल फील्ड अब टोटली कमर्शियल हो गया है. जो भी विद्यार्थी इस प्रोफेशन में आना चाहते हैं, मैं उनसे यही कहूंगा कि अपनी उम्र के 30 साल कड़ी मेहनत पढ़ाई करने के बाद भी अगर आप ठीक-ठाक इन्कम पर खुश हो तो इस प्रोफेशन में आना ठीक है. दिन-प्रतिदिन डॉक्टर के प्रति रिस्पेक्ट भी कम होती जा रही है और कम्पटीशन भी बढ़ता जा रहा है जिसे देखकर बड़ा दुख होता है. इन सब को रोकने के लिए अब गवर्नमेंट ने कड़ी कानून व्यवस्था करना बहुत जरूरी हो गया है.
- डॉ. रोहित अग्रवाल, मुंबई
 

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काम के प्रति ईमानदार और कड़ी मेहनत सबसे ज्यादा जरूरी
मैं पिछले 30 सालों से होमियोपैथिक कंसलटेंट हूं. मैं रेस्पिरेटरी गाइनेकोलॉजिकल, स्किन और अलगअलग यूरोलॉजी डिसऑर्डर्स के लिए ट्रीटमेंट करती हू्‌ं‍. अलग-अलग बीमारियों का इलाज अनेकों तरीकों से किया जाता है. सबका अपना महत्व और असर होता है, लेकिन समाज में इलाज करने के अलग-अलग तरीकों के बारे में अनेकों गलतफहमियां हैं. उन्हें सही वैज्ञानिक उदाहरण से समझाना पड़ता है कि होम्योपैथिक इलाज करने का एक ऐसा तरीका है जिससे बीमारी पूरी जड़ से खत्म हो जाती है,वह भी किसी भी साइड इफेक्ट के बिना. विद्यार्थियों को मैं यही कहना चाहूंगी कि किसी भी प्रोफेशन में सक्सेस पाने के लिए अपने काम के प्रति ईमानदार और कड़ी मेहनत सबसे ज्यादा जरूरी है.
- डॉक्टर अनघा करमरकर, औंध, पुणे.
  

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लोगों ने डॉक्टर की तरफ रिस्पेक्ट और वेिशास रखना चाहिए
हमारे घर में सास-ससुर, देवर-देवरानी और तीन बच्चे रहते हैं. मैं एमएस. ओबीजीवाई गायनेकोलॉजिस्ट हू्‌ं‍ और पिछले 11 सालों से प्रैक्टिस कर रही हू्‌ं‍. इतने सालों से प्रैक्टिस करते हुए यह ध्यान में आता है कि लोगों का मेडिकल और डॉक्टर की तरफ देखने का नजरिया बिल्कुल बदल गया है. मरीज अब अपना इलाज खुद अलग-अलग ऑनलाइन या किसी और से पूछ कर करते हैं जिससे उन्हें साइड इफेक्ट भी होते हैं. मैं हमेशा अपने मरीज को काउंसिलिंग कर पूरे इलाज की जानकारी देती हू्‌ं‍ और मेडिसिन का पूरा कोर्स करने के लिए प्रेरित करती हू्‌ं‍. जो भी विद्यार्थी इस प्रोफेशन में आना चाहते हैं उन्हें अपनी पढ़ाई पर पूरा ध्यान देना जरूरी है. उसी के साथ पढ़ाई पूरी होने के बाद भी शुरुआत में बहुत ज्यादा इन्कम की अपेक्षा भी नहीं करनी चाहिए क्योंकि करियर की शुरुआत में ज्यादा मेहनत और इन्वेस्टमेंट भी ज्यादा होता है. डॉक्टर हमेशा 24 घंटे मरीजों की सेवा करते हैं, लोगों ने भी डॉक्टर की तरफ रिस्पेक्ट और वेिशास रखना चाहिए.
- डॉक्टर सोनिया अमित चोरडिया, पड़ेगांव, औरंगाबाद.
 

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डॉक्टर को पूरी जिंदगी 24 घंटे दूसरों के प्रति सहानुभूति के साथ पेश आने की जरूरत होती है
हमारे घर में मेरी पत्नी, दो बेटे, दो बहुएं और पोता-पोती, ऐसा भरापूरा परिवार है. मैं एम.बी.बी.एस. , फिजिशियन हूं और पिछले 45 सालों से पेडियाट्रिक एंड जनरल फिजिशियन में प्रैक्टिस कर रहा हू्‌ं‍. मैंने देखा है कि लोगों को बीमारी का नहीं बल्कि बीमारियों के लक्षणों का इलाज करना करना होता है. हमें अपने मरीज को यह समझाना कठिन हो जाता है कि कोई भी बीमारी अचानक नहीं आती. धीरे-धीरे पहले उसके लक्षण हमें दिखाई देते हैं और फिर बीमारी हमें जकड़ लेती है, ऐसे में पूरा ट्रीटमेंट होना जरूरी होता है. मरीजों की और एक प्रॉब्लम होती है कि वे डॉक्टर द्वारा बताया हुआ कोर्स कभी भी कंप्लीट नहीं करते, इलाज बीच में ही छोड़ देते हैं, जो सबसे खतरनाक है. कई मरीज ऑनलाइन अपना इलाज गूगल के माध्यम से करते हैं जिसके कई साइड इफेक्ट्स भी होते हैं. मेरा सभी से यही कहना है कि अपना इलाज हमेशा डॉक्टर से ही कराना चाहिए. जो भी विद्यार्थी डॉक्टर बनना चाहते हैं, उनसे मेरा कहना है कि डॉक्टर बनने के लिए पढ़ाई में फोकस के साथ-साथ जिंदगी भर 24 घंटे दूसरों के प्रति सहानुभूति के साथ पेश आने की भी जरूरत होती है.
- डॉक्टर प्रकाश चोरडिया, औरंगाबाद

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