प्रतिष्ठित पुणे डर्बी, जाे भारत के सबसे प्रसिद्ध घुड़दाैड़ आयाेजनाें में से एक है, रविवार, 12 अक्टूबर काे पुणे के राॅयल वेस्टर्न इंडिया टर्फ क्लब (आरडब्ल्यूआईटीसी) रेस काेर्स में हाेने वाली है. इस एक दिवसीय घुड़दाैड़ का रेसिंग प्रेमियाें द्वारा बेसब्री से इंतज़ार रहता हैं. विशेष रूप से इस घुड़दाैड़ के प्रायाेजक डाॅ. सी.एस. पूनावाला हाेंगे.रेशम की चमक, गरजते खुराें और उत्साहिक दर्शकाें के पीछे एक गंभीर सच्चाई छिपी है. आरडब्ल्यूआईटीसी, एक संस्था जाे लंबे समय से भारतीय रेसिंग का उद्गम-स्थल रही है, अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही है.सालाें के आंतरिक कुप्रबंधन, कथित वित्तीय अनियमितताओं और कम हाेते विश्वास ने क्लब काे कगार पर ला खड़ा किया है जिससे एक गाैरवशाली विरासत अब खतरे में है और अनिश्चितता के इस दाैर में, एक बार फिर डाॅ. सी.एस. पूनावाला न केवल एक प्रायाेजक के रूप में, बल्कि भारतीय घुड़दाैड़ के रक्षक के रूप में उभरे हैं. उनका नाम ईमानदारी, दूरदर्शिता और इस खेल के प्रति निरंतर समर्थन का पर्याय है और उन्हें देश में घुड़दाैड़ के एक सच्चे संरक्षक के ताैर पर देखा जाता है.
डाॅ. साइरस एस. पूनावाला, दुनिया के सबसे बड़े टीका निर्माता, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के संस्थापक, अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक, न केवल घुड़दाैड़ के चैंपियन हैं, बल्कि जन स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त व्यक्ति भी हैं. उनके नेतृत्व में, सीरम इंस्टीट्यूट ने 1.3 बिलियन से अधिक टीकाें का उत्पादन किया है, जिससे दुनिया भर में अनगिनत लाेगाें की जान बचाई जा सकी है. एक पराेपकारी और दूरदर्शी, डाॅ. पूनावाला भारतीय घुड़दाैड़ के प्रति अपने आजीवन जुनून काे पाेषित करते हुए, समाज के उत्थान के लिए खुद काे समर्पित करते रहते हैं. चार दशकाें से भी ज़्यादा समय से, डाॅ. सी.एस. पूनावाला रेसिंग का समर्थन करते रहे हैं, वे न सिर्फ आर्थिक मदद से, बल्कि अटूट जुनून, दूरदर्शिता और व्यक्तिगत भागीदारी भी रखते हैं.