शहर में अक्टूबर महीने में 45 हजार नये वाहन बढ़े!

जिले में एक महीने में 80 हजार वाहन जुड़े : जीएसटी में कमी के बाद अक्टूबर में बढ़ा कारोबार

    14-Nov-2025
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शिवाजीनगर, 13 नवंबर (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)

पुणे में यातायात जाम एक गंभीर समस्या बन गई है. हालांकि, अक्टूबर महीने में, दशहरा और दिवाली के अवसर पर, पुणे क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (आरटीओ) में लगभग 45,000 नए वाहनों का पंजीकरण हुआ. यह राज्य में किसी एक आरटीओ में पंजीकरण की सबसे अधिक संख्या है. पुणे जिले में कुल 80,000 वाहन बिके, जो राज्य में सबसे अधिक पंजीकरण संख्या है.केंद्र सरकार द्वारा वाहनों पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) कम करने के बाद, दशहरे के बाद से वाहनों की खरीदारी में तेजी आई है. यही वजह है कि दशहरा और दिवाली के दौरान पुणे में वाहनों की खरीदारी में बढ़ोतरी देखी गई. इस साल फोर-व्हीलर वाहनों की खरीदारी में भी बढ़ोतरी देखी गई है. अक्टूबर महीने में पुणे आरटीओ में 44 हजार 669 वाहनों का पंजीकरण हुआ है. यह आंकड़ा राज्य में सबसे अयादा है. पिंपरी-चिंचवड़ आरटीओ 29,453 वाहनों की बिक्री के साथ दूसरे स्थान पर है. नासिक आरटीओ 17,362 वाहनों की बिक्री के साथ तीसरे स्थान पर है. अक्टूबर में राज्य में चार लाख 45 हजार वाहन बिके, जबकि जिलों के हिसाब से सबसे अयादा वाहन पुणे में पंजीकृत हुए. पुणे जिले में, पुणे आरटीओ ने 44,699 वाहन पंजीकृत किए हैं, पिंपरी-चिंचवड़ आरटीओ ने 29,453 वाहन पंजीकृत किए हैं, और बारामती आरटीओ ने 6,061 वाहन पंजीकृत किए हैं. इस सूची में ठाणे (36,333) दूसरे, मुंबई (28,104) तीसरे और नासिक (22,740) चौथे स्थान पर है. पिछले साल अक्टूबर में पुणे आरटीओ में 40 हजार 856 वाहन पंजीकृत हुए थे. इस साल अक्टूबर महीने में वाहनों की बिक्री में लगभग चार हजार की बढ़ोतरी हुई है. इस साल अक्टूबर महीने में 44 हजार 699 वाहन बिके हैं. इसमें टू-व्हीलर वाहनों की बिक्री में बड़ी बढ़ोतरी हुई है. इस साल अक्टूबर में 29 हजार 788 टू-व्हीलर वाहन खरीदे गए हैं, जबकि साढ़े दस हजार कारें बिकी हैं. सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था में सुधार की जरुरत पुणे में यातायात की समस्या गंभीर हो गई है. सड़कों पर सुबह-शाम भारी यातायात के कारण, नागरिकों को कुछ किलोमीटर की दूरी तय करने में काफी समय लग जाता है.टॉम-टॉम संस्था द्वारा 2024 में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि यातायात भीड़भाड़ के मामले में पुणे दुनिया में तीसरे स्थान पर है. यातायात भीड़भाड़ की समस्या को हल करने की आवश्यकता तो है, लेकिन इसके लिए कोई प्रयास नहीं किए जा रहे हैं. पुणे में वाहनों की संख्या हर साल तेजी से बढ़ रही है. इसलिए, सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था में सुधार पर ध्यान देने की आवश्यकता है.
 
अगली तिमाही में भी रिकॉर्ड तोड़ बिक्री का अनुमान

जीएसटी लागू होने के बाद से वाहनों की कीमतों में और अधिक पारदर्शिता आई है. लोगों को अब कीमतों को लेकर स्पष्टता मिल गई है. उपभोक्ता ओशस्त होने लगे हैं. इस वर्ष पुणे में रिकॉर्ड तोड़ वाहनों की बिक्री दर्ज की गई है, जो उद्योग के लिए सकारात्मक है और यह दर्शाता है कि उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति में वृद्धि हुई है. पेट्रोल और डीजल वाहन बिक रहे हैं. इसके साथ ही, इलेक्ट्रिक वाहन और सीएनजी भी बड़ी मात्रा में बिक रहे हैं. पुणे में हाइब्रिड, ग्रीन और इलेक्ट्रिक वाहनों को प्राथमिकता दी जा रही है. एक उद्योग के रूप में इस प्रवृत्ति के और बढ़ने की उम्मीद है. अक्टूबर से दिसंबर तक वाहनों की बिक्री रिकॉर्ड तोड़ रही. अनुमान है कि अगले कैलेंडर वर्ष की तिमाही में भी रिकॉर्ड तोड़ बिक्री होगी. मार्च में जब वार्षिक लेखा बंद होगा, तो पिछले वर्ष की तुलना में 20 से 25 प्रतिशत की वृद्धि देखी जा सकती है. - सारंग धांदे, कार्यकारी निदेशक, एमएकेएस ग्रुप
 
कीमतें कम होने से ग्राहकों में उत्साह बढ़ा

जीएसटी में कटौती की घोषणा अगस्त में की गई थी. उस समय, उपभोक्ताओं को यह समझ आ गया था कि टू-व्हीलर वाहनों की कीमतों में लगभग 10,000 से 12,000 रुपये की कमी आएगी. इसलिए, लोगों ने इंतजार करना बेहतर समझा. नई जीएसटी योजना 22 सितंबर से लागू हुई. इसके बाद, लोगों ने नवरात्रि की शुरुआत से ही गाडी खरीदना शुरू कर दिया. 2 अक्टूबर को दशहरा था. दशहरा ग्रामीण इलाकों में कारों की खरीदारी का एक बड़ा त्यौहार माना जाता है. इसलिए, ग्रामीण इलाकों में कारों की खरीदारी के लिए भारी उत्साह देखा गया. पिछले साल तक, आम परिवारों को टू-व्हीलर वाहन खरीदने के लिए 1 लाख रुपये से 1 लाख 10 हजार रुपये तक चुकाने पड़ते थे. इसलिए, वे ग्राहक गाड़ी खरीदने से पहले सोच-विचार करते थे. हालांकि, जीएसटी में कमी के साथ, अब कारें 90,000 से 95,000 रुपये में उपलब्ध हैं. इसलिए, सभी ग्राहकों ने इसका लाभ उठाया. गाड़ियों की कीमतों में कमी के कारण इस साल फाइनेंस और क्रेडिट कार्ड से भुगतान की राशि में कमी देखी गई है. इसके अलावा, जिन लोगों ने लोन पर गाड़ियां खरीदी थीं, उनकी ईएमआई कम हो गई है. अगस्त से सितंबर तक का महीना सुस्त रहा. लेकिन, उसके बाद भी, दिवाली में तैयार सभी कारें बिक चुकी हैं. अभी भी गाड़ियों के लिए वेटिंग है और ट्रांस्पोर्टेशन पर भारी लोड है. - भरत ठक्कर, सेंचुरी टीवीएस, भांडारकर रोड