जनरल प्रैक्टिशनर स्वास्थ्य सेवा प्रणाली की वास्तविक नींव

पुणे मेगा जीपीकॉन 2025 में लेफ्टिनेंट जनरल डॉ. ए. के. दास ने व्यक्त किए विचार

    14-Nov-2025
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सातारा रोड, 13 नवंबर (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
जनरल प्रैक्टिशनर हमारे देश की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली का एक अत्यंत महत्वपूर्ण हिस्सा हैं. उन्हें अपने उन्नत और पेशेवर कौशल का विस्तार करके भविष्य के लिए खुद को तैयार रखने की आवश्यकता है. भारतीय सेना चिकित्सा सेवा के पूर्व महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल डॉ. ए. के. दास ने कहा कि जनरल प्रैक्टिशनर भारत की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली की वास्तविक नींव हैं. वे 35वें वार्षिक चिकित्सा सम्मेलन - मेगा जीपीकॉन 2025 में बोल रहे थे. जनरल प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन (पुणे) द्वारा आयोजित यह सम्मेलन अन्नाभाऊ साठे सभागार में आयोजित किया गया था. इस दो दिवसीय चिकित्सा सम्मेलन को राज्य और देश भर के सैकड़ों डॉक्टरों, मेडिकल छात्रों और शोधकर्ताओं से भारी प्रतिक्रिया मिली. उद्घाटन समारोह का संचालन डॉ. ए. के. दास ने किया. मोहनभाई पालेशा और रूबी हॉल क्लीनिक के चिकित्सक एवं ट्रस्टी डॉ. साइमन ग्रांट विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित थे. यह कार्यक्रम आयोजन अध्यक्ष डॉ. सुनील भुजबल, सचिव डॉ. भाग्यश्री मुनोत- मेहता, आयोजन सचिव डॉ. राजेश दोशी और सह-अध्यक्ष डॉ. अप्पासाहेब काकड़े के नेतृत्व में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ. डॉ. ए. के. दास ने कहा, हमारा देश बहुत बड़ा है और हमारी जनसंख्या भी बहुत अधिक है. वर्तमान में, लगभग 70% प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं सरकारी संस्थानों द्वारा और केवल 30% निजी क्षेत्र द्वारा प्रदान की जाती हैं. सरकार ने आयुष्मान भारत योजना शुरू करके बीमा कवर बढ़ाने और अधिक लोगों को स्वास्थ्य सेवा के दायरे में लाने का प्रयास किया है. लेकिन फिर भी, हम देश भर में लगभग 5 लाख डॉक्टरों की कमी का सामना कर रहे हैं. राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के अनुसार, वर्तमान में हमारे पास 13.5 लाख एलोपैथिक डॉक्टर और 7.5 लाख आयुष डॉक्टर पंजीकृत हैं. कुल मिलाकर, हमारे पास प्रत्येक 810 लोगों पर एक डॉक्टर है, जो वेिश स्वास्थ्य संगठन के मानकों से बेहतर है. यह केवल सामान्य चिकित्सकों के योगदान से ही संभव हो पाया है. डॉ. सुनील भुजबल ने कहा कि इस वर्ष के मेगा जीपीसीओएन का विषय ‌‘स्वस्थ भविष्य के लिए रोकथाम, संरक्षण और संवर्धन' था. रोकथाम इलाज से बेहतर है केवल एक मुहावरा नहीं, बल्कि हमारे चिकित्सा पेशे की धड़कन है. डॉ. भाग्यश्री मुनोत-मेहता ने कार्यक्रम का संचालन किया. डॉ. राजेश दोशी ने आभार व्यक्त किया. विभिन्न विषयों पर मार्गदर्शन किया इस सम्मेलन में डॉ. नुस्ली इचापोरिया, डॉ. समीर सोनार, डॉ. पीयूष लोढ़ा, डॉ. अनुज दरक, डॉ. हसमुख गुजर, डॉ. हिमानी तपस्वी, डॉ. सुश्रुत सावे और डॉ. संजय राउत ने अपने-अपने विषयों पर गहन मार्गदर्शन प्रदान किया. उद्घाटन सत्र में डॉ. उर्मि सेठ ने ‌‘हीमेटोलॉजी' विषय पर व्याख्यान देकर सम्मेलन की शुरुआत की. इसके बाद, डॉ. नीरज अडकर, डॉ. यशवंत माने, डॉ. रितेश भल्ला, डॉ. मनोज श्रीवास्तव, डॉ. सुनील जावले, डॉ. ऋषिकेश बड़वे, डॉ. निखिल ऋषिकेश और डॉ. विशाल सेठ ने विभिन्न नैदानिक विषयों पर व्यावहारिक और शोध सत्रों के माध्यम से उपस्थित चिकित्सकों को नए दृष्टिकोण से परिचित कराया.