नई दिल्ली, 13 नवंबर (आ. प्र.) राज विद्या केंद्र, दिल्ली में श्री हंस जी महाराज की 125वीं जयंती के अवसर पर 8 और 9 नवंबर को दो दिवसीय विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया|‘हंस जयंती' श्री हंस जी महाराज के जन्म और जीवन का उत्सव है| वे प्रेम रावत जी के पिता थे. इस अवसर पर प्रेम रावत जी ने देश के विभिन्न राज्यों और विदेशों से आए हजारों श्रोताओं को संबोधित किया. अपने प्रेरणादायक संदेश में उन्होंने लोगों को मानवीय मूल्यों, आंतरिक शांति और अपनी समझ को विकसित करने के सकारात्मक दृष्टिकोण पर बल दिया. कार्यक्रम के दौरान चार विशेष सत्रों का आयोजन किया गया, जिनमें जीवन में शांति और समझ के संदेश को सरल और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया गया. श्री हंस जी महाराज का जन्म वर्ष 1900 में उत्तराखंड में हुआ और उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन एक सरल और निष्कलंक संदेश के प्रचार में समर्पित किया कि शांति हर मनुष्य के भीतर निहित है. हर वर्ष 8 नवंबर को देशभर से लोग उनके जीवन और शिक्षाओं को श्रद्धा और आनंद के साथ स्मरण करते ह्ैं. यह अवसर केवल उनकी याद में ही नहीं, बल्कि उनके द्वारा किए गए प्रयासों के सम्मान में भी मनाया जाता है, जो आज भी प्रेम रावत जी के कार्यों के माध्यम से वेिशभर में प्रसारित हो रहे ह्ैं. वर्ष 2025 एक विशेष महत्व रखता है क्योंकि श्री हंस जी महाराज के जन्म को 125 वर्ष पूर्ण हो रहे हैं. इस अवसर पर आयोजित ‘हंस जयंती समारोह' भक्ति, उत्सव और प्रेरणा से परिपूर्ण रहे. प्रेम रावत जी ने एक उदाहरण देते हुए समझाया कि जिस प्रकार एक जलती हुई मोमबत्ती एक बुझी हुई मोमबत्ती को जला सकती है, उसी प्रकार जब मनुष्य अपने जीवन के वास्तविक अर्थ और उसकी महत्ता को समझता है और उसकी अच्छाइयों को अपनाता है, तब उसका प्रभाव न केवल उसके जीवन में होता है, बल्कि उसके आस-पास के लोगों और समाज पर भी पड़ता है. जिस प्रकार जलते दीपक से और दीप जलते हैं, उसी तरह हमारी समझ का महत्व भी यही है कि हम अपने जीवन की क्षमताओं को समझें और उन्हें अपनाएं. श्री हंस जी महाराज के शांति संदेशों को जन-जन तक पहुंचाने का कठिन प्रयास प्रेम रावत जी ने नौ वर्ष की आयु से किया. दुनियाभर में लोगों ने उनके प्रयासों की सराहना की है. आज उनका संदेश दुनिया के 100 से अधिक देशों में देखा और सुना जा रहा है| माननीय कार्यों के परिणामस्वरूप अनेक लोगों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आए हैं. भारत सहित दुनिया के कई देशों में पीस एजुकेशन प्रोग्राम का लाभ अब तक पांच लाख से अधिक लोगों ने लिया है| यह कार्यक्रम देश-विदेश के अनेक जेलों में भी संचालित किया जा रहा है, जहाँ इसके परिणामस्वरूप रचनात्मक और सुखद परिवर्तन देखे गए हैं. हंस जयंती कार्यक्रम में भाग लेने आए लोगों ने इसका भरपूर आनंद लिया. इस अवसर पर राज विद्या केंद्र में एक विशेष प्रदर्शनी भी लगाई गई, जिसमें श्री हंस जी महाराज के जीवन-काल और उनके प्रयासों को दर्शाया गया. इसके अतिरिक्त, संगीत ने कार्यक्रम को और भी रोचक और आनंददायक बना दिया. इन दो दिवसीय विशेष कार्यक्रमों का आनंद हजारों लोगों ने टाइमलेस टुडे एप और वेबसाइट पर ऑनलाइन भी लिया.