एक आदमी समुद्री जहाज में यात्रा के लिए निकला. आदमी विद्वान था व अपनी ईमानदारी के लिए प्रसिद्ध भी.उसने अपने पास एक हजार मुद्राओं की एक पाेटली भी रख ली. यात्रा के दाैरान उस आदमी की एक यात्री से अच्छी दाेस्ती हाे गई. एक दिन बात-बात में आदमी ने साथी यात्री काे पाेटली के बारे में बता दिया. साथी काे लालच आ गया. एक दिन सुबह-सुबह उसने चिल्लाना शुरू कर दिया कि हाय मेरा पैसा चाेरी हाे गया. उसमें एक हजार मुद्राएं थीं. कर्मचारियाें ने कहा, तुम घबराते क्यों हाे, चाेर यहीं हाेगा. हमसबकी तलाशी लेते हैं. चाेर है ताे यहीं प्नका मिल जाएगा.यात्रियाें की तलाशी शुरू हुई.
जब बारी विद्वान आदमी की आई ताे कर्मचारी बाेले, अरे साहब, आपकी तलाशी ्नया ली जाए? आप पर ताे शक करना ही गुनाह है. लेकिन, विद्वान आदमी ने कहा, आप तलाशी लीजिए.वरना, साथी यात्री के दिल में एक शक बना रहेगा. तलाशी ली गई, पर कुछ न मिला. दाे दिन बाद साथी यात्री ने उदास मन से पूछा, आपकी पाेटली कहां गई? आदमी ने मुस्कराकर कहा, उसे मैंने समुद्र में फेंक दिया. मैंने जीवन में दाे ही दाैलत कमाई है, एक ईमानदारी व दूसरा, विश्वास. अगर मेरे पास मुद्राएं मिलतीं ताे हाे सकता है कि लाेग मुझ पर यकीन कर लेते, पर शक बना ही रहता. मैं दाैलत गंवा सकता हूं लेकिन अपनी प्रतिष्ठा नहीं.