प्रश्न: आज की और भविष्य की नारी के लिए सती का क्या मूल्य है? आज की स्त्री भी सती की ऊंचाई काे छू सके, इसके लिए क्या आवश्यक है?
पूछा है स्वामी याेग चिन्मय ने. किसी स्त्री काे पूछने दाे. पुरुष हाेकर ये प्रश्न तुम्हें उठे क्याें? पुरुष हाेकर तुम्हें प्रश्न उठना चाहिए कि स्त्रियां ताे इतनी सती हुई, पुरुष कैसे सती हाे? इतनी स्त्रियां अपने प्रेमियाें की याद में चिता पर चढ़ गईं, काेई पुरुष कैसे चढ़े? नहीं; चिन्मय यह नहीं पूछते, क्याेंकि उसमें झंझट है. उसमें चिन्मय काे चढ़ना पड़े किसी चिता पर. स्त्रियां कैसे चढ़ें- इसमें रस है उनका. सभी पुरुषाें का इसमें रस रहा.स्त्रियाें का सती हाेना ताे बड़ी महिमा की बात है, लेकिन पुरुषाें का इसमें उत्सुकता लेना बड़ी हिंसा की बात है.जघन्य अपमान है.यह तुम्हारे मन में सवाल क्याें उठता है? पुरुष क्याें स्त्री काे चिता पर चढ़ाना चाहे? अगर यह प्रश्न प्रेम काे समझने के लिए उठा है, ताे पुरुष की तरफ से ताे पुरुष काे यही पूछना था कि मैं भी कैसे चढ़ूं?
इतनी स्त्रियां चढ़ गईं प्रेम में, कब वह घड़ी आएगी जब कभी पुरुष भी चढ़ेगा? पुरुष ने बड़ी ज्यादती की है. पुरुष ने स्त्रियाें के साथ ऐसा व्यवहार किया है जैसे वह संपत्ति है. कहते हैं इस देश में- स्त्री संपत्ति. ताे जब पुरुष मर गया ताे उसकाे डर है कि मेरी संपत्ति काे काेई और न भाेग ले. ताे वह चाहता है कि वह उसी के साथ जल मरे. यह पुरुष का अहंकार है और कुछ भी नहीं.जीते जी भी उसने बंधन बना कर रखा था कि उसकी स्त्री किसी और की तरफ कभी प्रेम की आंख से न देख ले. मर कर भी उसकाे बेचैनी है. वह मर कर भी डर रहा है कि अब मैं ताे चला, कहीं मेरी स्त्री किसी के प्रेम में न पड जाए!यह डर भी यही बता रहा है कि प्रेम ताे हुआ ही नहीं था. प्रेम ही हाेता, ताे भय कैसा?
प्रेम ही हाेता ताे ईष्रया कैसी? प्रेम-व्रेम ताे कुछ था नहीं; यह एक तरह का अधिकार था. स्त्री परिग्रह थी पुरुष का. अब मरकर भी कब्जा रखना चाहता है! यह ताे हद्द हाे गई! मुर्दा जिंदा पर कब्जा रखना चाहे! लेकिन समाज पुरुषाें का था. ताे पुरुषाें ने स्त्रियाें काे समझाया कि पति परमात्मा है. पुरुष ही समझा रहे हैं स्त्रियाें काे- कि पति परमात्मा है! और स्त्रियां मान कर बैठ गईं कि पति परमात्मा है.हालांकि पति में परमात्मा जैसा कुछ नहीं दिखाई पड़ता.सच ताे यह है कि अगर परमात्मा भी पति जैसा है, ताे स्त्रियां उससे भी डरने लगेंगी.पति में परमात्मा जैसा कुछ नहीं दिखता; मगर घबड़ाहट हाे सकती है कि कहीं परमात्मा में पति जैसा कुछ न हाे.पुरुषाें ने बड़ी हिंसा की है. मनुष्य- जाति के प्रति पुरुषाें के अपराध जघन्य हैं.उसमें सती एक जघन्य अपराध है.