लोकमान्यनगर पुनर्विकास की रोक हटाने सीएम को पोस्टकार्ड लिखे

    19-Nov-2025
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पुणे, 18 नवंबर (आ.प्र.)

 लोकमान्यनगर की 57 इमारतों के पुनर्विकास पर लगी रोक के विरोध में नागरिकों ने अनोखे तरीके से आवाज उठाई. कुल 525 नागरिकों ने पोस्टकार्ड भेजकर मुख्यमंत्री से यह रोक हटाने का अनुरोध किया. लोकमान्य नगर में एकत्रित हुए नागरिकों की ओर से यह पोस्टकार्ड एडवोकेट गणेश सातपुते की पहल पर मंत्रालय को भेजे गए. राज्य शासन के नियम 79 के तहत 57 इमारतों में से 803 परिवारों ने दो-तीन-चार इमारतों के समूह बनाकर डेवलपर्स नियुक्त किए थे. इमारतें गिराकर नया निर्माण शुरू होने ही वाला था कि स्थानीय विधायक हेमंत रासने द्वारा भेजे गए पत्र के आधार पर मुख्यमंत्री ने अस्थायी रोक लगा दी, ऐसा नागरिकों का आरोप है. इस रोक के कारण हजारों लोगों के नए घर का सपना टूट गया है और क्षेत्र में नाराजगी बढ़ गई है. 60 साल से अधिक पुराने, लोड-बेयरिंग ढांचे पर खड़े ये निर्माण अत्यंत खतरनाक घोषित किए गए हैं. समिति का कहना है कि इन इमारतों में 803 निवासी अपनी जान जोखिम में डालकर रह रहे हैं. रोक हटाने के लिए बने लोकमान्य नगर बचाव समिति ने अगस्त से लेकर अब तक कई लोकतांत्रिक रास्तों से संघर्ष किया है. इसमें आंदोलन, मोर्चा, ज्ञापन, उपमुख्यमंत्री और म्हाडा अधिकारियों से मुलाकात, हस्ताक्षर अभियान और सैकड़ों ईमेल के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक अपनी बात पहुंचाना शामिल है. चार दिन पहले समिति के प्रतिनिधियों ने मुंबई में प्रवीण दरेकर (अध्यक्ष, पुनर्विकास महामंडल) से मुलाकात की. उनके माध्यम से म्हाडा के उपाध्यक्ष जायसवाल से भी भेट हुई. जायसवाल ने छह इमारतों का ‌‘मिनी क्लस्टर' बनाने का विकल्प सुझाया. लेकिन कई सोसायटियां प्रक्रिया में काफी आगे बढ़ चुकी थीं, इसलिए यह विकल्प संभव नहीं है, समिति ने साक्ष्यों सहित स्पष्ट किया. हालांकि बातचीत सकारात्मक दिशा में बढ़ी है, ऐसा समिति ने बताया. लोकतांत्रिक तरीके से संघर्ष कर रही समिति ने अब स्पष्ट कहा है कि यदि रोक नहीं हटाई गई तो अदालत का रास्ता अपनाना पड़ेगा.