राज्य सरकार की लाडकी बहीण याेजना काे जहां एक ओर ज़बरदस्त प्रतिसाद मिल रहा है, वहीं शिक्षा क्षेत्र इस याेजना के लिए धन प्रबंधन की कमी से भी जूझ रहा है. राज्य के उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग में पांच हज़ार से ज़्यादा प्राध्यापकाें की भर्ती प्रक्रिया काे अभी तक वित्त विभाग से हरी झंडी नहीं मिली है. गाैरतलब है कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महायुति सरकार ने कुछ महीने पहले इस भर्ती काे सैद्धांतिक रूप से मंज़ूरी दे दी थी. हालांकि, धन की कमी के कारण यह प्रक्रिया अभी भी रुकी हुई है. इससे सरकारी काॅलेजाें और विश्वविद्यालयाें में शिक्षण गतिविधियाें में व्यवधान की आशंका जताई जा रही है.वर्तमान में, राज्य में लगभग 11 हज़ार प्राध्यापकाें के पद रिक्त हैं. इनमें से उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने 5 हज़ार 12 पदाें पर भर्ती के लिए सरकार काे प्रस्ताव साैंपा था.
इस भर्ती काे अनुमति मिलने के बाद, अगले चरण में धन आवंटन की प्रक्रिया शुरू हाेने की उम्मीद थी. हालांकि, यह प्रक्रिया अभी तक वित्त विभाग से मंज़ूरी नहीं मिलने के कारण रुकी हुई है. एक अनाैपचारिक चर्चा में चंद्रकांत पाटिल ने यह भी आशंका जताई कि अगर प्राेफेसराें की भर्ती समय पर नहीं हुई, ताे इसका विश्वविद्यालयाें की राष्ट्रीय रैंकिंग पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. सरकार पर वित्तीय दबाव बढ़ा इस बीच, लाडकी बहीण याेजना काे वर्तमान में राज्य सरकार की प्रमुख सामाजिक पहलाें में से एक माना जा रहा है. महिलाओं काे 1500 रुपये प्रति माह प्रदान करने वाली इस याेजना के लिए बड़ी मात्रा में धनराशि उपलब्ध कराई गई है. हालांकि, इस याेजना के तहत लाखाें लाभार्थियाें काे लाभ पहुंचाने के लिए सरकार पर वित्तीय दबाव बढ़ गया है और मंत्रालय में इस बात पर चर्चा हाे रही है कि अन्य विभागाें के लिए धनराशि सीमित करने की आवश्यकता है. ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि शिक्षा, लाेक निर्माण और स्वास्थ्य जैसे कुछ विभागाें में स्वीकृत परियाेजनाओं के लिए धनराशि अपर्याप्त है.