पुणे, 19 नवंबर (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क) सुरक्षा एक संवेदनशील विषय है. इसकी जिम्मेदारी पुलिस के साथ-साथ आम नागरिकों की भी होती है. महिला सुरक्षा, साइबर सुरक्षा, सड़क सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य के प्रति सतर्क रहना आवश्यक है. इसी उद्देश्य से पुणे पुलिस द्वारा आयोजित ‘सिक्योर होराइजन्स इन एजुकेशन' कार्यक्रम में विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों ने अपने सुझाव प्रस्तुत किए. इस अवसर पर शिक्षाविदों और पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लागू की जाने वाली योजनाओं का रोडमैप तैयार किया और उस पर अमल की तैयारी का संकेत दिया. वरिष्ठ शिक्षाविद् डॉ.एस.बी. मजुमदार ने सुरक्षा के मजेनजर कॉलेजों और वेिशविद्यालयों में काउंसलिंग सेंटर शुरू करने का सुझाव दिया. यहां सिम्बायोसिस यूनिवर्सिटी के संस्थापक डॉ. एस.बी. मजूमदार सावित्रीबाई फुले पुणे वेिशविद्यालय के कुलपति डॉ. सुरेश गोसावी, वरिष्ठ अधिवक्ता एस. के. जैन, विद्या येरवडेकर, पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार, अतिरिक्त पुलिस आयुक्त संजय पाटिल, अतिरिक्त पुलिस आयुक्त मनोज पाटिल और अतिरिक्त पुलिस आयुक्त पंकज देशमुख सहित कई अधिकारी मंच पर उपस्थित थे. कार्यक्रम में अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और कर्मचारी भी बड़ी संख्या में मौजूद थे. यह कार्यक्रम बुधवार (19 नवंबर) को सेनापति बापट रोड स्थित होटल जे. डब्ल्यू. मैरिएट में सुबह 11 बजे से दोपहर साढ़े 2 बजे तक आयोजित किया गया था. कार्यक्रम में सिंबायोसिस, एमआईटीएडीटी, अण्णासाहेब मगर कॉलेज, एसएनडीटी कॉलेज और जाधवर ग्रुप के विद्यार्थियों ने महिला सुरक्षा, साइबर सुरक्षा, नशे की लत पर नियंत्रण, विद्यार्थियों के समुपदेशन, जेंडर सेफ्टी और सेंसिटाइजेशन, नशामुक्ति, तथा मानसिक स्वास्थ्य पर प्रेजेंटेशन के माध्यम से अपने सुझाव दिए. पुलिस प्रशासन ने भी इन सुझावों पर विचार कर अमल करने का ओशासन दिया. इसी के तहत 2026 तक तैयार किए गए रोडमैप में ओरिएंटेशन वर्कशॉप, रोड सेफ्टी वीक, जेंडर सेफ्टी एंड सेंसिटाइजेशन, नशामुक्ति जागरूकता, मानसिक स्वास्थ्य और साइबर सुरक्षा जैसी गतिविधियां शामिल की गई हैं. पुणे पुलिस द्वारा विद्यार्थियों को केंद्र में रखकर पहली बार इस प्रकार का कार्यक्रम आयोजित किया गया. डॉ. मजूमदार के आग्रह पर उपस्थित श्रोताओं ने पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार को स्टैंडिंग ओवेशन दिया. कार्यक्रम का संचालन स्नेहल दामले ने किया और धन्यवाद ज्ञापन पुलिस उपायुक्त (क्राइम) निखिल पिंगले ने किया. पुलिस की अनूठी पहल ः मजुमदार डॉ. एसबी मजुमदार ने कहा कि पुणे पुलिस ने सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए शिक्षा संस्थानों के सहयोग से यह कार्यक्रम पहली बार आयोजित किया है. मैं पिछले 62 वर्षों से शिक्षा क्षेत्र में कार्यरत हूं. समय के साथ शिक्षा क्षेत्र में बड़ा परिवर्तन आया है. पहले पुणे में केवल एक वेिशविद्यालय था, अब वेिशविद्यालयों और विद्यार्थियों दोनों की संख्या बढ़ गई है. विद्यार्थियों की जनसांख्यिकी पर ध्यान दें तो किसी भी कक्षा में अब लगभग 60 विद्यार्थी पुणे के बाहर के होते हैं. इस बदलाव के कारण विद्यार्थियों में मानसिक तनाव भी बढ़ा है, और कुछ गलत रास्ते पर भी चले जाते हैं. इससे बचने के लिए हर कॉलेज और वेिशविद्यालय में काउंसलिंग सेंटर अनिवार्य होना चाहिए, क्योंकि इन्हीं विद्यार्थियों में से भविष्य के शोधकर्ता, वैज्ञानिक और प्रशासक तैयार होंगे.
शिक्षा परिसर सुरक्षित बना रहना जरूरी : डॉ. सुरेश गोसावी
कुलपति डॉ. सुरेश गोसावी ने कहा, पुणे अब केवल शिक्षा हब नहीं, बल्कि आईटी, ऑटो और बायो-इंजीनियरिंग हब भी बन चुका है. बाहर के विद्यार्थी भी पुणे को प्राथमिकता देते हैं. ऐसे में सामाजिक सुरक्षा को ध्यान में रखना अत्यंत आवश्यक है. विदेशों से आने वाले विद्यार्थियों की संख्या भी काफी है, इसलिए शिक्षा परिसर सुरक्षित बने रहना जरूरी है.
शिक्षा संस्थान और पुलिस साथ में आकर काम करें : अमितेश कुमार
पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार ने कहा, पुणे में अधिकतर विद्यार्थी केवल पढ़ाई के उद्देश्य से आते हैं. पिछले डेढ़ वर्ष में सुरक्षा संबंधी कई घटनाएं सामने आई हैं. पोर्श कार हादसा भी इसी शहर का उदाहरण है. मेरा सभी शिक्षा संस्थानों से अनुरोध है कि विद्यार्थियों की विभिन्न समस्याओं के समाधान के लिए पुलिस और शैक्षणिक संस्थान मिलकर काम करें. महिला सुरक्षा, साइबर जागरूकता, नशामुक्ति, ट्रैफिक समस्याएँ और मानसिक स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर संयुक्त रूप से काम करना आवश्यक है. जब शिक्षा संस्थान और पुलिस साथ आएँगे, तभी हम अभिभावकों को वेिशास दिला सकेंगे कि पुणे विद्यार्थियों के लिए पूरी तरह सुरक्षित है.
मोड ऑफ टीचिंग में बदलाव की जरूरत : एड्. एस. के. जैन जब हम कॉलेज में पढ़ते थे तो प्राचार्य को देखते ही पूरा वर्ग अनुशासित हो जाता था, लेकिन अब अधिकांश विद्यार्थी कक्षाओं से अनुपस्थित रहते हैं. शिक्षा क्षेत्र की यह स्थिति चिंताजनक है. ऐसे में शिक्षक विद्यार्थियों को क्या पढ़ाएँगे और विद्यार्थी क्या सीखेंगे, इस पर विचार करना आवश्यक हो गया है. अब ‘मोड ऑफ टीचिंग' में बदलाव की भी जरूरत है. एटीकेटी प्रणाली पर नियंत्रण लाना होगा. कोचिंग क्लासेस का बढ़ता प्रभाव भी कॉलेजों में अनुपस्थिति के लिए जिम्मेदार है. विद्यार्थियों के संगठनों को भी केवल मांगें रखने के बजाय विद्यार्थियों के हित में काम करना चाहिए. तभी शिक्षण परिसर सुरक्षित रह पाएगा.