कोथरुड, 25 नवंबर (आ.प्र.)
इंसान जन्म से ही स्पेस को लेकर आकर्षित रहा है. समय के साथ स्पेस का विकास, स्पेस रिसर्च, कम्युनिकेशन, स्पेस में इंसान की मौजूदगी, रिसर्च और स्टडी ये सभी चीजें इंसान की तरक्की और शांति पाने के लिए जरूरी है. इसमें हो रहे बदलाव अब इंसान की नजरों से बच नहीं सकते. स्पेस साइंस इंटरनेशल सहयोग को बढ़ावा देता है. ऐसे विचार स्पेस एप्लीकेशन सेंटर के पूर्व डायरेक्टर पद्मश्री डॉ. प्रमोद काले ने रखे. एमआइटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी, वेिशशांति केंद्र (आलंदी), माईर्स एमआइटी, पुणे, भारत और संतश्री ज्ञानेेशर-संतश्री तुकाराम महाराज स्मृति व्याख्यान श्रृंखला के संयुक्त तत्वावधान में युनेस्को अध्यासन के तहत 30वीं दार्शनिक संतश्री ज्ञानेेशर तुकाराम स्मृति व्याख्यान श्रृंखला का उद्घाटन कोथरूड स्थित एमआईटी डब्ल्यूपीयू के संतश्री ज्ञानेेशर सभामंडप में किया गया. नई दिल्ली से आए आध्यात्मिक वैज्ञानिक डॉ. सी. के. भारद्वाज प्रमुख अतिथि के रुप में थे. कार्यक्रम की अध्यक्षता एमआईटी डब्ल्यूपीयू के संस्थापक अध्यक्ष और यूनेस्को अध्यासन के प्रमुख प्रो. डॉ. वेिशनाथ दा. कराड ने निभाई. यह व्याख्यान श्रृंखला माईर्स एमआईटी के मैनेजिंग ट्रस्टी और एग्जीक्यूटिव चेयरमैन डॉ. राहुल वि. कराड के नेतृत्व में हो रही है. कार्यक्रम में डॉ. प्रमोद काले को लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया गया. प्रो. डॉ. वेिशनाथ दा. कराड ने कहा, यहां गुणों की पूजा ही भगवान की सच्ची पूजा है. डब्ल्यूपीयू के कुलपति डॉ. आर. एम. चिटणीस ने स्वागत पर भाषण दिया. व्याख्यान श्रृंखला के कोऑर्डिनेटर प्रो. डॉ. मिलिंद पात्रे ने व्याख्यान श्रृंखला की जानकारी दी. सूत्रसंचालन डॉ. गौतम बापट ने किया. माईर्स के रजिस्ट्रार डॉ. रत्नदीप जोशी ने आभार व्यक्त किया.
उर्जा का इस्तेमाल इंसानियत के लिए होना चाहिए डॉ. सी. के. भारद्वाज ने कहा, अभी पूरी दुनिया में अध्यात्म और शांति की जरूरत है. पढ़ाई में अध्यात्म और विज्ञान की संकल्पना लाना जरूरी है. यूनिवर्स में मौजूद उर्जा का सही इस्तेमाल इंसानियत और खुद की बेहतरी के लिए किया जाना चाहिए.