युद्ध का रूप तेजी से बदल रहा है और साइबर व स्पेस टेक्नोलॉजी नई चुनौतियां पेश कर रही हैं. ऐसे समय में उन्नत तकनीक को आत्मसात किए बिना भविष्य की लड़ाइयाँ जीतना संभव नहीं है.अब जंग दिमाग से जीते जाएंगे. इसलिए 2047 तक देश को विकसित भारत बनाने के लक्ष्य के साथ हर कैडेट को खुद को तकनीकी रूप से सक्षम बनाना होगा. यह विचार यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन यूपीएससी के चेयरमैन डॉ. अजय कुमार ने नेशनल डिफेंस एकेडमी (एनडीए) के 149वें बैच के पदवीप्रदान समारोह में व्यक्त किए. उन्होंने कहा कि दुनिया बड़े बदलावों के दौर से गुजर रही है और आप सिर्फ इसके गवाह नहीं, बल्कि इसके आर्किटेक्ट ह्ैं. बदलती तकनीक के अनुरूप खुद को सक्षम बनाना महत्वपूर्ण है. देश सेवा के लिए त्याग और समर्पण को सलाम करता हू्ँ. आपके परिवारों को भी बधाई, जिन्होंने आपको प्रेरित किया. समारोह शनिवार को मेजर जनरल हबीबुल्लाह हॉल में आयोजित किया गया. एनडीए के कमांडेंट वाइस एडमिरल अनिल जग्गी, डिप्टी कमांडेंट एयर वाइस मार्शल सरताज बेदी, प्राचार्य डॉ. विनय दीप और अन्य फैकल्टी प्रमुख मंच पर उपस्थित थे. यूपीएससी चेयरमैन डॉ. अजय कुमार ने विभिन्न कोर्स में अव्वल स्थान प्राप्त करने वाले कैडेट्स को सम्मानित किया.
उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले कैडेट्स का सम्मान
बीएससी (साइंस) में प्रथम स्थान ः
कैडेट कार्तिक माहेेशरी (चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ ट्रॉफी तथा सिल्वर मेडल)
बीएससी (कंप्यूटर साइंस) में प्रथम :
कैडेट अनन्या बलोनी (चीफ ऑफ नेवल स्टाफ ट्रॉफी और सिल्वर मेडल)
बीए में प्रथम ः
कैडेट अनुराग गुप्ता (चीफ ऑफ एयर स्टाफ ट्रॉफी और सिल्वर मेडल)
बी.टेक में प्रथम :
कैडेट वेिशेश भालेराव (सीआईएसट्रॉफी और सिल्वर मेडल)
329 कैडेट्स को मिली जेएनयू की डिग्री
इस दीक्षांत समारोह में कुल 329 कैडेट्स को जवाहरलाल नेहरू वेिशविद्यालय की डिग्री प्रदान की गई : 72 बीएससी (साइंस), 92 बीएससी (कंप्यूटर साइंस), 54 बीए, 111 बी.टेक इनमें 15 मित्र राष्ट्रों के कैडेट्स और 15 महिला कैडेट्स शामिल थीं. यह महिला कैडेट्स का दूसरा बैच है जो आज पास आउट हुआ.
मैं एयरफोर्स में पायलट बनना चाहता हू्ँ
मेरे परिवार में सभी डॉक्टर हैं लेकिन मुझे एयरफोर्स का आकर्षण था. एनडीए का तीन साल का प्रशिक्षण पूरा कर अब मैं एयरफोर्स में पायलट बनना चाहता हू्ँ. पायलट बनकर में देश की सेवा करना चाहता हूं. इसकी प्रेरणा मुझे अपने माता-पिता से मिली. उनकी इच्छा थी कि मैं एनडीए जाइन करके देश सेवा करूं. मेरी बैच में 30 से अधिक मराठी भाषी कैडेट्स थे, जिससे गर्व महसूस होता है कि राज्य से सेवा भावना बढ़ रही है. - कैडेट वेिशेश भालेराव (पिंपले गुरव, पुणे)
प्रशिक्षण बेहद चुनौतीपूर्ण लेकिन सीख देने वाला रहा
मेरे परिवार में कोई डिफेंस बैकग्राउंड नहीं है. बचपन से सेना का आकर्षण था. यहाँ प्रशिक्षण बेहद चुनौतीपूर्ण लेकिन सीख देने वाला रहा. अब मैं आर्मी इंस्टीट्यूट में आगे का प्रशिक्षण लूंगा. - कैडेट कार्तिक माहेेशरी, (उत्तराखंड)
आर्मी ऑफिसर बनना चाहती हूं
मैं सिंगल चाइल्ड हू्ँ. परिवार में कोई रक्षा पृष्ठभूमि नहीं, इसलिए यहाँ प्रशिक्षण चुनौतीपूर्ण था, लेकिन ऑफिसर्स और ट्रेनर्स ने हर कदम पर मार्गदर्शन किया. आगे चलकर मैं आर्मी ऑफिसर बनना चाहती हू्ँ. जो भी लड़कियां एनडीए जॉइन करना चाहती हैं, उन्हें जरूर प्रयास करना चाहिए. - कैडेट अनन्या बलोनी, (उत्तराखंड)