गुरू गुरूनानक देवजी का 556 वां प्रकाश पर्व उत्साह से मनाया

हजारों श्रद्धालुओं ने लिया लंगर का लाभ; विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों सहित हेल्थ चेकअप कैम्प का भी किया गया आयोजन

    06-Nov-2025
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पुणे, 5 नवंबर (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)

 वाहे गुरू जी का खालसा, वाहे गुरू जी की फते का जयघोष करते हुए, एक दूसरे को गुरूनानक देवजी के प्रकाश परब की बधाई देते हुए, बढे उत्साह,आनंद और धार्मिक परंपरा के अनुसार गुरूबाणी का पठण,भजन-कथा कीर्तन के मंगलमय वातावरण में शहर की गुरुद्वाराओं में बुधवार (5 नवंबर) को श्रीगुरूनानक देवजी का 556 वें प्रकाश परब मनाया गया और लाखो नागरिकों ने लंगर का स्वाद चखा. इस अवसर पर गुरुद्वाराओं में मेडिकल कैम्प भी लगवाए गए थे. कार्तिक पूर्णिमा के दिन सिख धर्मीयों के पहले गुरू श्रीगुरूनानक देवजी का जन्मदिन गुरूपुरब नाम से जाना जाता है.रात 12 से डेढ बजे तक जन्म कीर्तन भी आयोजित किया गया था. पुणे शहर, पिंपरी-चिंचवड, देहूरोड में स्थित विभिन्न गुरूद्वाराओं में भी बुधवार को धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया था. सिख, सिंधी नागरिकों सहित विभिन्न धर्मीय नागरिकों ने भी गुरूद्वारा में जाकर श्रीगुरूग्रंथसाहिब के सामने अपना माथा टेका और लंगर का भी स्वाद चखा. गुरूनानक देवजी के जन्मदिन के अवसर पर गुरूद्वाराओं में पिछले तीन दिन से धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. आकर्षक रोशनाई से गुरूद्वाराओं को सजाया गया था. विशेष रुप से महिलाओं के लिए मेडिकल कैम्प का आयोजन किया गया, जिसमें लेडी डॉक्टर, नर्स द्वारा महिलाओं का चेकअप किया गया. दोपहर 2 बजे तक 75 से ज्यादा महिलाओं ने मेडिकल कैम्प का लाभ उठाया. इसके साथ ही डॉ.मुलानी द्वारा नेत्र शिविर तथा रोटरी क्लब के सहयोग से रक्तदान शिविर भी आयोजित किया गया था. राज्य और केंद्र सरकार के कई गणमान्य नेता, रक्षा एवं पुलिस विभाग के अधिकारीगण ने भी श्री गुरू ग्रंथ साहिब जी के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त किए. प्रत्येक श्रद्धालु को सहज दर्शन का अनुभव हो, इसलिए लगभग 1000 से अधिक स्वयंसेवकों ने 24 बाय 7 अपनी सेवा दी. बुजुर्ग और दिव्यांग लोगों के लिए गुरुव्दारा की ओर से मुफ्त में, रेस कोर्स पार्किंग से गुरूद्वारा तक पहुंचने के लिए 20 कारें और 50 ई-रिक्शा की विशेष व्यवस्था की गई थी. यह भी जानकारी गुरुद्वारा गुरूनानक दरबार के अध्यक्ष चरणजीत सिंह साहनी और मोहिंदर सिंह खंदावा ने दी. गणेश पेठ स्थित गुरूद्वारा श्रीगुरूसिंह सभा शहर का सबसे पुराना गुरूद्वारा है. गुरू नानक देव जी के प्रकाश परब के अवसर पर गुरुद्वारा को आकर्षक विद्युत सजावट की गई थी और विशेष गुरमत समागम का आयोजन किया गया था. गुरुद्वारा श्रीगुरुसिंह सभा के अध्यक्ष भोलासिंह अरोरा ने जानकारी दी कि, 18 अक्टूबर से 5 नवंबर तक हररोज प्रभात फेरी का आयोजन किया गया था. पिछले शनिवार को नगरकीर्तन का आयोजन किया गया था. बुधवार को सुबह आयोजित प्रभात फेरी में दो सौ से भी ज्यादा श्रद्धालु शामिल हुए थे. बुधवार को सहज पाठ की समाप्ति हुई.भाई गुरदीप सिंह, ग्यानी पदमसिंह, भाई संतोक सिंह, भाई कुलविंदर सिंह, ग्यानी प्रताप सिंह और ग्यानी जगदेव सिंह ने कीर्तन और प्रवचन सेवा दी. रात 12 से डेढ बजे तक जन्म का कीर्तन आयोजित किया गया था. कई सालों से प्रभात फेरी में शामिल हो रहे 35 श्रद्धालुओं के परिवारजनों का ट्रॉफी देकर उचित सम्मान किया गया. इस बार सरदार सुरिंदरसिंग जी सेवासिंग जी गुरुदत्ता को निष्काम सेवा ॲवॉर्ड से सम्मानित किया गया. पिछले कुछ दिन पहले पंजाब में बाढ आने के कारण वहां के गांवों का नुकसान हुआ. गुरुद्वारा द्वारा वहां के डेराबाबा नानक जिले के तीन गांव दत्तक लेकर वहां एक ट्रक राशन भेजा गया और वहां के 150 घरों की मरम्मत के लिए चार लाख रुपये धनराशि दी गई. दिनभर राजनेताओं सहित सामाजिक कार्यकर्ता और विभिन्न क्षेत्रों के मान्यवरों ने गुरुद्वारा में श्रीगुरूग्रंथ साहिब जी के दर्शन किए. सुबह से मेडिकल कैम्प और रक्तदान शिविर में भी कई नागरिकों ने अपनी जांच करावाई. दिनभर में 8 से 10 हजार तक श्रद्धालुओं ने लंगर का स्वाद चखा. श्रद्धालुओं के लिए शरबत की भी व्यवस्था की गई थी.
 
लाखों श्रद्धालुओं ने दर्शन का लाभ लिया

कैम्प स्थित गुरूद्वारा गुरूनानक दरबार में दिनभर लगभग डेढ लाख से भी ज्यादा श्रद्धालुओं ने दर्शन किए. गुरूद्वारा गुरूनानक दरबार के अध्यक्ष चरणजीत सिंह साहनी ने जानकारी दी कि, बडी श्रद्धा और भक्तिभाव से गुरूनानक देवजी का प्रकाश परब मनाया गया. लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने श्रीगुरू ग्रंथ साहिब जी के दर्शन किए. गुरुबाणी कीर्तन और प्रवचन का भी आयोजन किया गया था. भाई बलबीर सिंह, ग्यानी अमरजीत सिंह, भाई जोधवीर सिंह, भाई अर्जुन सिंह, जगदेवसिंह पन्नू ने अपनी कीर्तन सेवा दी. साथ ही श्रद्धालुओं ने मिक्स वेजिटेबल, बटर दाल, ड्राय फ्रूट खीर, रोटी, चावल के लंगर का स्वाद उत्साह से चखा. शाम और रात्रि के पूर्ण प्रकाश उत्सव में अधिकांश श्रद्धांलु शामिल हुए थे.