टुकड़ेबंदी कानून रद्द करने का अध्यादेश जारी

राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले की जानकारी : 49 लाख परिवारों को मिलेगा लाभ

    06-Nov-2025
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पुणे/ मुंबई, 5 नवंबर (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)

 राज्य के नगरीय क्षेत्रों सहित प्रादेशिक योजनाओं में गैर-कृषि उपयोग की अनुमत भूमि के लिए टुकड़ेबंदी कानून रद्द कर दिया गया है. इस संबंध में राज्य सरकार ने हाल ही में एक अध्यादेश जारी किया है. इस अध्यादेश से 15 नवंबर 1965 से टुकड़ेबंदी कानून के कारण अटकी हुई घरों और प्लॉटों को वैध करने का मार्ग प्रशस्त हुआ है, ऐसी जानकारी राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने मंत्रालय में आयोजित पत्रकार परिषद में दी. महाराष्ट्र सरकार ने महाराष्ट्र धारित भूमि के टुकड़े करने पर प्रतिबंध और उनके एकत्रीकरण अधिनियम में संशोधन करने वाला अध्यादेश पारित किया है. इस निर्णय के अनुसार राज्य के सभी नगरीय क्षेत्रों में अब टुकड़ेबंदी कानून रद्द कर दिया गया है. इस फैसले से राज्य के लाखों परिवारों को न्याय मिलेगा और कई लंबित संपत्ति लेनदेन, उत्तराधिकार और विकास कार्यों को गति मिलेगी. इस संबंध में बावनकुले ने कहा कि इस अध्यादेश के अनुसार 15 नवंबर 1965 से 15 अक्टूबर 2024 के बीच हुए ऐसे टुकड़ों की खरीद-बिक्री के लेन-देन अब बिना किसी शुल्क के नियमित किए जाएंगे. राज्य सरकार का यह निर्णय ऐतिहासिक है और इससे राज्य के 49 लाख परिवारों को लाभ होगा. राज्य में वर्तमान में लागू टुकड़ेबंदी कानून कृषि क्षेत्र के लिए है. इस कानून के तहत बागायती या जिरायती जमीनों के लिए निश्चित मानक क्षेत्र निर्धारित किया गया है. लेकिन बढ़ते शहरीकरण के कारण कई लोगों ने शहरों और गांवों के आसपास अपनी आवश्यकता अनुसार इस मानक क्षेत्र से कम क्षेत्र की जमीनों के लेन-देन किए हैं. ऐसे लेन-देन को अब तक कानूनी दर्जा नहीं मिला था. इसी कारण राज्य सरकार ने 3 नवंबर 2025 को टुकड़ेबंदी कानून पर संशोधित अध्यादेश जारी किया है, जिसकी तत्काल प्रभाव से अमल शुरू किया जाएगा.यह निर्णय मनपा नगरपरिषद, नगरपंचायत क्षेत्रों, मुंबई, पुणे, नागपुर महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (एमएमआरडीए, पीएमआरडीए, एनएमआरडीए), ग्रोथ सेंटर्स और विशेष नियोजन प्राधिकरण क्षेत्रों के साथसाथ यूडीसीपीआर अंतर्गत शहरों और गांवों की परिधि वाले क्षेत्रों पर लागू होगा. जिन भूमि लेनदेन का पंजीकरण हुआ है लेकिन 7/12 उतारे पर नाम दर्ज नहीं हुए हैं, उन नामों को अब मालिकाना हक के रूप में दर्ज किया जाएगा. वहीं जिन लेनदेन का पंजीकरण नहीं हुआ है (नोटरीकृत लेनदेन), वे संबंधित उपप ंजीयक कार्यालय में पंजीकरण कराकर अपने अधिकार दर्ज करा सकेंगे. राजस्व विभाग इस संबंध में शीघ्र ही विस्तृत कार्यपद्धति तैयार करेगा और सभी विभागीय व जिलास्तरीय कार्यालयों को मार्गदर्शक निर्देश जारी करेगा, ऐसा भी बावनकुले ने कहा.