पुणे, 5 नवंबर (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क) शहर के छह सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) की निविदाओं की तकनीकी जांच करने वाली प्राइमूव इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कंसल्टेंट प्रा. लि. इस सलाहकार कंपनी की भूमिका के कारण यह निविदा प्रक्रिया अब और भी संदेह के भंवर में फंस गई है. इस सलाहकार कंपनी ने वेिशराज एनवायरनमेंट प्रा. लि. कंपनी द्वारा टेंडर में प्रस्तुत किए गए दर 6.5 प्रतिशत अधिक बताए और प्रशासन को दर कम करने के लिए प्रयास करने की सूचना दी. टेंडर समिति ने भी सलाहकार की ही राय कायम रखते हुए दर कम करने का निर्णय लिया. लेकिन 15 अक्टूबर से 29 अक्टूबर के बीच हुई बैठकों के बाद इसी सलाहकार कंपनी ने वेिशराज कंपनी की निविदा की जांच के दौरान गलतियां होने की बात स्वीकार की, जिससे प्रशासन पर संदेह का साया मंडराने लगा है. शहर के छह पुराने एसटीपी के आधुनिकीकरण और नवीनीकरण का टेंडर मंजूर किया गया है. केंद्र सरकार के हेम मॉडल के तहत निकाली गई इस परियोजना के लिए 842 करोड़ रुपये खर्च का डेवलपमेंट प्लान तैयार किया गया. हेम मॉडल के अनुसार इस प्रोजेक्ट के लिए केंद्र और राज्य सरकार से 505 करोड़ रुपये का अनुदान मिलेगा. जबकि यह काम प्राप्त करने वाली वेिशराज एनवायरनमेंट कंपनी शेष राशि कर्ज से जुटाएगी. इस कंपनी की निविदा राशि 1,058 करोड़ रुपये है. साथ ही प्रोजेक्ट स्थापित होने के बाद अगले 15 वर्षों तक इस कंपनी को परियोजना के रखरखाव और दुरुस्ती का कार्य भी सौंपा गया है. इस कार्य का भी निविदा में समावेश है और इसके लिए 15 वर्षों में मनपा 283 करोड़ रुपये का भुगतान करेगी. इन दोनों कार्यों को मिलाकर कुल 1,328 करोड़ रुपये का काम वेिशराज कंपनी को दिया गया है. इस बीच, निविदा के बी पैकेट खोलने के बाद तकनीकी जांच के लिए मनपा ने प्राइमूव इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कंसल्टेंट कंपनी की नियुक्ति की थी. खास बात यह है कि पुराने छह एसटीपी के नवीनीकरण की रिपोर्ट तैयार करने का काम पहले महाप्रीत कंपनी को दिया गया था. इस कंपनी का काम संतोषजनक न होने के कारण छह में से दो यानी बहिरोबा और तानाजीवाड़ी एसटीपी का काम प्राइमूव कंपनी को सौंपा गया. इस कंपनी ने बहिरोबा और तानाजीवाड़ी के पुराने एसटीपी को तोड़कर क्षमता बढ़ाने और पूरी तरह से नया प्रकल्प तैयार करने की रिपोर्ट दी. बाकी चार परियोजनाओं में पुराने निर्माण को बनाए रखते हुए केवल मशीनरी को बदला जाना प्रस्तावित है. प्राइमूव कंपनी ने टेंडरों की तकनीकी जांच की रिपोर्ट 15 अक्टूबर को मनपा को सौंपी. इसमें उन्होंने बताया कि सभी छह परियोजनाओं की संयुक्त कीमत 6.5 प्रतिशत अधिक है. इस पर टेंडर समिति की बैठक हुई. सलाहकार की राय के अनुसार ही समिति ने दर कम करने के लिए वेिशराज कंपनी को सूचित करने का निर्णय लिया. तब तक यह विषय केवल परियोजना निर्माण कार्य की 1,058 करोड़ रुपये की राशि तक सीमित था. प्रशासन ने वेिशराज कंपनी से पत्राचार कर दर कम करने का अनुरोध किया. इसके बाद वेिशराज कंपनी ने 110 करोड़ रुपये दर कम करने की तैयारी जताई. इस बीच, प्राइमूव द्वारा दी गई रिपोर्ट में बताया गया कि ठेकेदार कंपनी द्वारा लिए गए कर्ज पर वार्षिकी पद्धति (एन्युटी) के अनुसार, यानी परियोजना पूर्ण होने के बाद अगले 15 वर्षों के दौरान, बैंक के 9 प्रतिशत प्रचलित ब्याज दर और नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) के परिपत्र के अनुसार ब्याज दर में परिवर्तन के लिए अतिरिक्त 3 प्रतिशत को शामिल नहीं किया गया था. इस रिपोर्ट के अनुसार, वेिशराज कंपनी ने भले ही 110 करोड़ रुपये कम किए हों, परंतु परियोजना पूर्ण होने के बाद 15 वर्षों के लिए कंपनी द्वारा लिए गए लगभग 400 करोड़ रुपये के कर्ज और उस पर 12 प्रतिशत ब्याज मिलाकर निविदा की वास्तविक राशि 1,869 करोड़ रुपये तक पहुंच गई. यह सभी संशोधन करते हुए 30 अक्टूबर की रात तक प्रस्ताव तैयार किया गया और 31 अक्टूबर को स्थायी समिति में उसे मंजूरी दी गई. पंद्रह दिन पहले परियोजना की दर 6.5 प्रतिशत अधिक बताने वाली प्राइमूव जैसी कंपनी का कुछ ही दिनों में गणना में गलती बताना ही बड़ा संदेह उत्पन्न करता है. जिस कंपनी ने परियोजना रिपोर्ट तैयार की, उसी ने जांच भी की, इस कारण प्राइमूव के कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं. इस संदर्भ में पत्राचार भी परियोजना की मूल फाइल से गायब होने के कारण संदेह का धुंध और गहराता जा रहा है.
नियमानुसार कम दर वाले टेंडर पर विचार किया इस टेंडर प्रक्रिया से संबंधित सभी दस्तावेज उपलब्ध कराए जाएंगे. संपूर्ण परियोजना की प्रस्तुति भी दी जाएगी. हेम पद्धति से चलाई गई निविदा प्रक्रिया मेरी नियुक्ति से पहले ही शुरू हुई थी. नियमानुसार सबसे कम दर वाली निविदा का विचार किया गया है. कंपनी से समझौता कर 110 करोड़ रुपये दर कम कराए गए हैं. स्थायी समिति ने निविदा मंजूर की है, लेकिन अंतिम स्वीकृति राज्य सरकार की हाई पॉवर कमेटी द्वारा दी जाएगी. इस बीच यदि कोई परिवर्तन हुआ तो उसकी जानकारी इस कमेटी को दी जाएगी. - नवल किशोर राम, मनपा आयुक्त.
हेम मॉडल से मनपा के 500 करोड़ रुपये पर डाका : प्रशांत बधे अमृत योजना के तहत केंद्र और राज्य सरकार से 50 प्रतिशत अनुदान लेकर यदि मनपा ने स्वयं के खर्च से या कर्ज लेकर परियोजना बनाई होती, तो 9 प्रतिशत ब्याज दर पर कर्ज उपलब्ध होता. जायका परियोजना के अंतर्गत 11 नए एसटीपी का कार्य चल रहा है. इनमें से एक परियोजना वर्तमान बहिरोबा एसटीपी के पास ही है. इस परियोजना की क्षमता बढ़ा दी जाती तो 395 करोड़ रुपये का काम बचाया जा सकता था, ऐसा आरोप पूर्व नगरसेवक प्रशांत बधे ने लगाया है. काम की पुनरावृत्ति और हेम मॉडल की वार्षिकी ब्याज व्यवस्था के कारण मनपा के लगभग 500 करोड़ रुपये पर डाका डाला गया है, ऐसी तीखी टिप्पणी भी उन्होंने की है.