शिवाजीनगर, 5 नवंबर (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क) युवा पीढ़ी में पठन संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए सूर्यदत्त एजुकेशन फाउंडेशन द्वारा कार्यान्वित सभी के लिए ‘निःशुल्क पुस्तकें पहल' सराहनीय है. मेधावी छात्रों को सम्मानित करके और पुस्तकें भेंट करके, सूर्यदत्त ने सामाजिक प्रतिबद्धता का एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत किया है. इस पहल ने पठन संस्कृति, ज्ञान वृद्धि और सामाजिक प्रतिबद्धता का संदेश दिया है, ऐसे शब्दों में गणमान्य व्यक्तियों ने प्रशंसा की. हाल ही में महाराष्ट्र साहित्य परिषद के सहयोग से पुणे पुस्तक मेला आयोजित किया गया. इसमें मसभी के लिए निःशुल्क पुस्तकेंफ और मेधावी छात्रों को सम्मानित करने वाला एक विशेष स्टॉल महत्वपूर्ण रहा. कई गणमान्य व्यक्तियों ने इस स्टॉल का दौरा किया और सूर्यदत्त के कार्यों की सराहना की. गणमान्य व्यक्तियों ने यह भी बताया कि यह पहल सूर्यदत्त के साहित्य प्रेम, समाज सेवा और शिक्षा के प्रति व्यापक दृष्टिकोण का जीवंत उदाहरण है. गौरतलब है कि इस पहल में 800 से अधिक निःशुल्क पुस्तकें वितरित की गईं. उल्लेखनीय है कि पुस्तक मेले में लगभग 65 स्टॉलों में से सूर्यदत्त एकमात्र ऐसा स्टॉल था जहां प्रत्येक पुस्तक प्रेमी को उसकी पसंद की एक पुस्तक निःशुल्क दी गई. सूर्यदत्त के संस्थापक अध्यक्ष प्रो. डॉ. संजय बी. चोरडिया के मार्गदर्शन में आयोजित इस पहल में, वर्ष 2024-25 में 10वीं और 12वीं की परीक्षा में 90 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को सूर्यदत्त की ओर से प्रमाण पत्र , स्वर्ण पदक और पुस्तक देकर सम्मानित किया गया. साथ ही साहित्य, कला और समाज सेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिए कई साहित्यकारों, कलाकारों और समाजसेवियों को ‘सूर्यदत्त स्वर्ण पदक' और पुस्तकों से सम्मानित किया गया. ‘सूर्यदत्त' की जनसंपर्क प्रबंधक स्वप्नाली कोगजे ने इस पहल का समन्वय किया. सोशल मीडिया और दृश्य-श्रव्य प्रस्तुतियां खुशी वाधवानी और चिन्मय सागर द्वारा दी गईं. संचालन प्रो. डॉ. सुनील धनगर ने किया.
शिक्षा समाज सेवा का एक प्रभावी माध्यम है शिक्षा केवल एक करियर नहीं, बल्कि समाज सेवा का एक प्रभावी माध्यम है. पुस्तक मेले के माध्यम से पठन संस्कृति, कला और ज्ञान का एक सुंदर संगम बनाकर सूर्यदत्त ने समाज को नई प्रेरणा दी. सूर्यदत्त की यह पहल पठन प्रेमियों, साहित्य प्रेमियों और विद्यार्थियों के लिए प्रेरणादायक रही है. सूर्यदत्त एक मूल्य-आधारित और संवेदनशील संस्थागत दृष्टिकोण के रूप में एक बार फिर सभी के मन में चमक उठा है. - प्रो. डॉ. संजय बी. चोरडिया, संस्थापक अध्यक्ष, सूर्यदत्त एजुकेशन फाउंडेशन