पुणे, 6 नवंबर (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क) लोकमान्यनगर क्षेत्र की सावली सहकारी गृहनिर्माण सोसायटी और स्थानीय निवासी डॉ. मदन मोहन कोठुले ने उनकी जर्जर इमारतों के पुनर्विकास पर लगाई गई रोक को लेकर कड़ी नाराजगी जताई है. 40 वर्ष से अधिक पुरानी और खतरनाक इमारतों में रहने वाले नागरिकों ने शासन और म्हाडा प्रशासन पर निष्क्रियता के आरोप लगाए हैं. इस पृष्ठभूमि में सावली सोसायटी ने डॉ. कोठुले के माध्यम से वकीलों (एड. रंजीत गवारे और ॲड. भाग्यश्री बेलकर) के जरिए मुख्यमंत्री, पुणे कलेक्टर, महाराष्ट्र गृहनिर्माण महामंडल और पुणे मनपा को कानूनी नोटिस भेजी है. इस नोटिस में कहा गया है कि इमारतें अत्यंत जर्जर अवस्था में हैं और निवासियों की सुरक्षा पर खतरा उत्पन्न हो गया है. इसके बावजूद लोकमान्यनगर क्षेत्र में क्लस्टर डेवलपमेंट के नाम पर सभी पुनर्विकास परियोजनाओं पर एक समान रोक लगाना अन्यायपूर्ण है. नोटिस के अनुसार, सावली सोसायटी की इमारत 40 वर्ष से अधिक पुरानी है और पुनर्विकास के लिए यह प्रस्ताव सभा में अनुमोदित किया गया था. लेकिन स्थानीय विधायक हेमंत रासने ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर सभी इमारतों का एक संयुक्त क्लस्टर डेवलपमेंट प्रकल्प लागू करने की मांग की, जिसके परिणामस्वरूप मुख्यमंत्री के निर्देश पर शासन ने सभी पुनर्विकास परियोजनाओं पर रोक लगा दी. डॉ. कोठुले के अनुसार, पूरे लोकमान्यनगर की सभी इमारतें एक जैसी स्थिति में नहीं हैं कुछ इमारतें पूरी तरह जर्जर हैं, कुछ का पुनर्विकास शुरू है और कुछ की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. ऐसी स्थिति में बिना किसी वस्तुनिष्ठ स्थल निरीक्षण के एक समान रोक लगाना नागरिकों की सुरक्षा से खिलवाड़ है. सोसायटी ने महाराष्ट्र महानगरपालिका कानून की धारा 365 का हवाला देते हुए कहा है कि 30 वर्ष से अधिक पुरानी इमारतों की स्थिरता की जांच करना कानूनी रूप से अनिवार्य है, और ऐसी इमारतों के पुनर्विकास को रोकना उचित नहीं है. सोसायटी के वकील ॲड. गवारे ने कहा कि सरकार को लोकमान्यनगर के पुनर्विकास पर लगी रोक पर तुरंत पुनर्विचार करना चाहिए. अन्यथा हमें न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा.
मुख्यमंत्री के आदेश के बाद भी म्हाडा की रिपोर्ट नहीं
इस बीच, लोकमान्यनगर के निवासी डॉ. मदन कोठुले ने 3 अक्टूबर 2025 को पुणे गृहनिर्माण व क्षेत्र विकास प्राधिकरण (म्हाडा) को एक पत्र भेजकर पूछा कि मुख्यमंत्री के 11 मार्च 2025 के आदेश के अनुसार लोकमान्यनगर के एकात्मिक विकास के बारे में तैयार की जाने वाली वस्तुनिष्ठ रिपोर्ट आखिर कहां है? इस पर म्हाडा ने 29 मार्च 2025 को उत्तर देते हुए स्वीकार किया कि अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में 27 मार्च 2025 को बैठक बुलाई गई थी, लेकिन वह बैठक हुई ही नहीं. इसलिए शासन को कोई वस्तुनिष्ठ रिपोर्ट भेजी नहीं गई. इस पत्र से पुनर्विकास पर लगी रोक की पूरी प्रक्रिया में शासन और म्हाडा प्रशासन की निष्क्रियता का गंभीर मुद्दा सामने आया है. डॉ. कोठुले ने कहा कि मुख्यमंत्री के स्पष्ट निर्देशों के बाद भी म्हाडा आज तक रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं कर पाया है, यह निवासियों के लिए गंभीर और अन्यायपूर्ण है. छह महीने बीत जाने के बाद भी पुनर्विकास के मामले में कोई प्रगति नहीं हुई है. इसलिए हमने संबंधित विभाग को कानूनी नोटिस भेजी है और न्यायालयीन लड़ाई शुरू की है.
निवासियों में आक्रोश, बिल्डर को लाभ पहूंचाया जा रहा लोकमान्यनगर की कई सोसायटियों ने स्वतंत्र रूप से म्हाडा के नियमों के अनुसार पुनर्विकास की प्रक्रिया शुरू की थी. कुछ सोसायटियों को म्हाडा की मंजूरी भी मिल चुकी थी. लेकिन विधायक रासने के पत्र के बाद शासन ने संयुक्त प्रकल्प का प्रस्ताव आगे बढ़ाया. निवासियों के अनुसार, यह निर्णय लोकहित का नहीं बल्कि राजनीतिक और बिल्डर हित का है.