पैसे बांटकर चुनाव जीतने की परंपरा खतरनाक है. यह प्रतिपादन आरबीआई के पूर्व गवर्नर सुब्बाराव ने किया. उन्हाेंने चुनावी रेवड़ियाें काे लेकर गंभीर चिंता जताते हुए कहा-मुफ्त याेजनाओं से वाेट ताे मिल जाएंगे पर देश का भविष्य मजबूतनहीं बनता है.
उन्हाेंने कहा-लालच देकर चुनाव जीतने का चलन लाेकतंत्र व देश के हित में किसी भी कीमत पर नहीं है. चुनावी वादाें काे पूरा करने के च्नकर मेें कई राज्य उधार के दलदल में फंसे हुए हैं. विस्तार से प्राप्त खबराें के अनुसार भारत में चुनावाें के दाैरान बढ़ते फ्रीबी कल्चर यानी मुफ्त सुविधाओं और नकद वादाें पर पूर्व रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के गवर्नर दुव्वुरी सुब्बाराव ने गंभीर चिंता जताई है.
उन्हाेंने अपने एक आर्टिकल में कहा कि इन मुफ्त याेजनाओं से भले ही चुनाव जीते जा सकते हैं.लेकिन इससे देश का भविष्य मजबूत नहीं हाेता.सुब्बाराव ने कहा कि उधार का पैसा बांटना आसान है, लेकिन उससे राष्ट्र नहीं बनते. सुब्बाराव ने बिहार विधानसभा चुनाव का उदाहरण दिया और कहा कि चुनाव प्रचार लाेकलुभावन वादाें की हाेड़ में बदल गया. उन्हाेंने कहा कि एनडीए सरकार ने चुनाव-प्रचार के दाैरान करीब 1.2 कराेड़ महिलाओं के खाताें में 10,000 रुपये भेजे, जबकि विपक्षी गठबंधन ने उससे बड़े वादे कर दिए- हर महिला काे 30,000 रुपये और हर घर में सरकारी नाैकरी. उनके अनुसार, चुनाव के दाैरान माहाैल ऐसा था जैसे राजनीतिक दलाें ने आर्थिक जिम्मेदारी और बजट की सीमाओं काे पूरी तरह भुला दिया हाे.