भीड़ से मु्नत हाेकर ही परमात्मा काे जान पाओगे !

    10-Dec-2025
Total Views |
 
 

Osho 
इसलिए तुमने अपने छाेटे-छाेटे विराट बना लिये हैं..क्षुद्र विराट! तुम कहते हाे, मैं हिंदू हूं. हिंदू कहने से तुम अकेले नहीं रह गये; बीस कराेड़ लाेग तुम्हारे साथ हैं. एक विराट हाे गया..छाेटा विराट; लेकिन एक विराट हाे गया. तुम्हारा आकार बड़ा हाे गया.तुम क्षुद्र न रहे. तुम्हारी चमड़ी की सीमा तुम्हारी सीमा न रही. तुमने एक छाेटा-सा कल्पित विराट कर लिया. यह कल्पित है और झूठा है, क्याेंकि भीड़ का काेई अस्तित्व नहीं है. अस्तित्व ताे व्यक्ति का है.दाे अस्तित्व हैं..या ताे व्यक्ति का या समष्टि का. या ताे व्यक्ति का अस्तित्व है या अनंत का; मध्य की सारी बातें कल्पना है. ताे अगर तुमने समझा कि तुम हिंदू हाे ताे तुम साै कराेड़ से जुड़ गये. तुमने एक बड़ा घेरा बना लिया.. कितना ही बड़ा हाे, लेकिन साै कराेड़ भी सीमा है और गिनी जा सकती है, इसलिए छाेटा है. लेकिन फिर भी थाेड़ी तृप्ति देता है. नहीं ताे उस चमड़ी में बंद तुम बहुत छाेटे लगते हाे.. इतने छाेटे कि आत्मा राजी नहीं हाेती. इसलिए ताे लाेग आंदाेलनाें में सम्मिलित हाेते हैं.
 
तुम कम्यूनिस्ट हाे जाओ ताे तुम हिंदू से बड़े हाे गये. क्याेंकि, आधी दुनिया कम्यूनिस्ट है. काेई दाे अरब लाेग कम्यूनिस्टहै. ताे तुमने एक बड़े विराट समूह के साथ अपना संबंध जाेड़ लिया और अब तुम छाेटे नहीं. तुम मराेगे.. कम्यूनिज्म रहेगा. तुमने एक तरह की अमरता पा ली जाे कि झूठी है. तुम मराेगे; देश सदा रहेगा, जाति सदा रहेगी. ताे, तुमने एक अमरता से संबंध जाेड़ लिया. लेकिन तुम भी मराेगे, हिंदू भी मरेंगे, कम्यूनिस्ट भी मरेंगे. सच ताे यह है कि तुम थाेड़े-बहुत जीते भी हाे हिंदू, कम्यूनिस्ट का र्काेई जीवन नहीं है; वे भ्रांतियां हैं.व्यक्ति का ताे अस्तित्व है; भीड़ का काेई अस्तित्व नहीं है. भीड़ का मतलब बहुत-से व्यक्ति इकट्ठे खड़े हैं, बस इतना ही. लेकिन भीड़ में भी हर व्यक्ति अलग है, भिन्न है. भीड़ ऊपरी धाेखा है. समाज है कहां? अगर तुम खाेजने जाओ, कहीं तुम समाज पाओगे? जहां भी पाओगे व्यक्ति काे पाओगे. व्यक्ति यथार्थ है; समाज ताे संज्ञा है, एक शब्द है.
 
तुम यहां बैठे हाे. एक-एक व्यक्ति सत्य है, लेकिन तुम्हारे इकट्ठे बैठने की क्या सचाई? उसमें क्या रखा है? अगर तुम एक-एक करके विदा हाे जाओगे ताे क्या यहां कुछ भीड़ पीछे छूट जायेगी? काेई भीड़ यहां मैं नहीं पाऊंगा, जब तुम एक-एक करके विदा हाे जाओगे, भीड़ भी चली गई.अगर एक-एक हिंदू अलग कर लाे ताे पीछे काेई हिंदुत्व बचेगा? काेई हिंदुत्व न बचेगा.हिंदुत्व ताे संज्ञा थी.राष्ट्र, समाज, जातियां संज्ञायें हैं.लेकिन, आदमी के मन में बड़ी गहरी प्यास है विराट हाेने की. वह प्यास ताे सच्ची है, लेकिन उसकाे तुम झूठे पानी से भरते हाे. उस प्यास में कुछ भी भूल नहीं है. वह प्यास ताे यह कह रही है कि जब तक तुम परमात्मा न हाे जाओगे तब तक तुम प्यासे रहाेगे.