शिवाजीनगर, 10 दिसंबर (आ.प्र.) सिम्बायोसिस स्कूल्स सेंट्रल डायरेक्टरेट ने जापान का एक स्टडी टूर ऑर्गनाइज किया. पुणे और नासिक के सिम्बायोसिस स्कूलों के ग्रेड 8 और 9 के 30 छात्रों का एक समूह इस यात्रा पर गया, जिनके साथ सिम्बायोसिस स्कूल की टीचर कविता लोंगानी और एसजीएस की डायरेक्टर क्षिप्रा पोतदार भी थीं. छात्रों ने टोक्यो और ताकासाकी के स्कूलों का दौरा किया, जहां उन्होंने जापान के अनुशासित अकादमिक गतिविधियां, मिल-जुलकर सीखना, एक-दूसरे के प्रति आदर और जिम्मेदारी जैसे नैतिक मूल्यों को देखा. जापानी छात्रों के साथ उन्होंने सांस्कृतिक आदान-प्रदान सत्र ने उन्हें अर्थपूर्ण वैेिशक रिश्ते बनाने में मदद की. यहां छात्रों ने जूडो क्लास, ओरिगामी वर्कशॉप, एक पारंपरिक टी सेरेमनी और युकाटा-वियरिंग सेशन जैसे हैंड्स-ऑन अनुभव के जरिए जापान की सांस्कृतिक विरासत में भी खुद को डुबो दिया. इन गतिविधीयों से माइंडफुलनेस, सृजन, अनुशासन और जापानी परंपरा की शिष्टता के बारे में अंतदृष्टि मिली. छात्रों ने देश की खान-पान की विरासत और रोजमर्रा की जिंदगी में साफ-सफाई और व्यवस्था पर जोर देने के बारे में और जानकारी ली. टोमियोका सिल्क मिल (यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट) के दौरे से जापान का रेशम उद्योग और देश के शुरुआती औद्योगीकरण में इसकी भूमिका के बारे में एक ऐतिहासिक नजरिया मिला. बताया गया कि जापान का शैक्षिक टूर सिम्बायोसिस छात्रों के लिए एक ज्ञान बढ़ाने वाला और बदलाव लाने वाला अनुभव था, जिसमें सांस्कृतिक आदानप्रदान, शैक्षिक खोज और व्यक्तीगत विकास शामिल था. जापान की पुरानी परंपराओं और नवोन्मेष, दोनों को अपनाकर, छात्र एक बड़े नजरिए, अलग-अलग संस्कृति के लोगों के बीच संबंधों की गहरी समझ और वैेिशक नागरिकता की एक नई भावना के साथ लौटे.