हमारा रुपया डाॅलर के मुकाबले 100 रु. तक जा सकता है?

    12-Dec-2025
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बीते हफ्ते भारतीय मुद्रा रुपया 19 पैसा टूटकर पहली बार डाॅलर के मुकाबले 90.15 के स्तर पर आ गया था, जाे अब तक का सबसे न्यूनतम स्तर है. इस गिरावट के लिए कई कारण जिम्मेदार हैं, जिनमें सबसे प्रमुख है अमेरिका के साथ व्यापार समझाैते काे लेकर अनिश्चितता, व्यापार घाटा, डाॅलर की बढ़ती मांग, अनिश्चितता और शेयर बाजार से विदेशी निवेशकाें द्वारा निकासी.अमेरिकी राष्ट्रपति डाेनाल्ड ट्रंप की हठधर्मिता की वजह से अमेरिका के साथ भारत का व्यापार समझाैता नहीं हाे पा रहा है. ट्रंप ने भारत के ऊपर 25 फीसदी टैरिफ के साथ रूसी कच्चा तेल खरीदने की वजह से 25 फीसदी अतिर्नित दंडात्मक शुल्क लगा दिया है, जिससे हमारे निर्यात काे काफी झटका लग रहा है, खासकर श्रम आधारित निर्यात काे. उल्लेखनीय है कि अमेरिका के साथ ही हमारा व्यापार अधिशेष सबसे ज्यादा हाेता था, जिसमें गिरावट आने से व्यापार अधिशेष कम हाे रहा है, जिसका असर चालू खाते के संतुलन पर पड़ रहा है. नतीजतन हमारी मुद्रा कमजाेर पड़ रही है.
 
दूसरी बात, अमेरिका में शेयर बाजार अच्छा प्रदर्शन कर रहा है, लेकिन हमारे यहां शेयर बाजार की स्थिति उतनी अच्छी नहीं है. इसलिए विदेशी निवेशक लगातार हमारे शेयर बाजार से पैसा निकाल रहे हैं, उससे भी डाॅलर की मांग बढ़ रही है. तीसरी बात यह है कि पूरी दुनिया में अनिश्चितता का माहाैल है, इसलिए साेने की मांग बढ़ गई है. इसकी वजह से डाॅलर की साख भी कम हाे रही है.साेने की मांग बढ़ने से उसकी कीमत आसमान छू रही है.इसके अलावा, जबसे अमेरिका ने रूस पर प्रतिबंध लगाया है, तबसे पूरी दुनिया में यह डर समा गया है कि कहीं हमारे ऊपर भीअमेरिका प्रतिबंध न लगा दे और हमारी मुद्रा का मूल्य गिर न जाए्. इसलिए रिजर्व बैंक सहित दुनिया के विभिन्न देशाें के केंद्रीय बैंक ज्यादा साेना खरीद रहे हैं और अपने भंडार में डाॅलर कम रख रहे हैं.इससे भी साेने की कीमताें काे पंख लग गए हैं. इसका ुष्प्रभाव यह हुआ कि हमारे यहां साेने का आयात महंगा हाे गया है, जिससे हमारा भुगतान संतुलन गड़बड़ा रहा है और हमारी मुद्रा कमजाेर पड़ रही है.
 
अब जबकि रुपया गिरावट की ओर अग्रसर है, ताे रिजर्व बैंक चाहता है कि रुपया एकदम धड़ाम से न गिरे, धीरे-धीरे गिरे, क्याेंकि एकदम धड़ाम से अगर रुपया गिर जाएगा, ताे विदेशी निवेशक और ज्यादा डाॅलर की तरफ जाएंगे और उससे रुपया और ज्यादा गिरेगा. भारतीय रिजर्व बैंक ने भारतीय मुद्रा रुपया की गिरावट पर नियंत्रण रखने के लिए दखल देते हुए डाॅलर काे बेचा. सितंबर 2025 से रुपये के मूल्य काे स्थिर करने के लिए 26 अरब से ज्यादा डाॅलर बेचे गए हैं.लेकिन लगातार बाहरी दबावाें के चलते रुपये का मूल्य रिकाॅर्ड निचले स्तर पर चला गया. बड़े वित्तीय बाजार में यह दबाव स्पष्ट दिखा, जिसमें भारतीय शेयराें में गिरावट आई और टैरिफ काे लेकर चल रही अनिश्चितताओं के बीच निवेशकाें की भावना प्रभावित हुई्. रुपये की कमजाेरी का असर महंगाई और आयात लागत पर भी पड़ता है, हालांकि यह एक ऐसी समस्या है, जाे लगभग एक साल से बनी हुई है, जब मुद्रा डाॅलर के मुकाबले 87 के स्तर काे पार कर गई थी.
 
गिरते रुपये का असर भारत के कच्चे तेल के आयात और दूसरी जरूरी चीजाें पर भी पड़ता है.इसके साथ ही, इससे डाॅलर का प्रवाह देश में कम हाे जाता है और बहिर्वाह बढ़ जाता है. इससे अनिश्चितता बढ़ती जाती है तथा रुपया और भी ज्यादा कमजाेर हाेता है एवं डाॅलर मजबूत हाेता है. उच्च आयात मूल्य से व्यापार घाटा भी बढ़ता है, जिससे मुद्रा पर दबाव बढ़ जाता है.यही नहीं, इस सबका असर हमारे व्यवसाय पर भी पड़ता है, क्याेंकि अनिश्चितता के कारण निवेश कम हाे जाता है, और अंततः उसका असर हमारी विकास दर पर भी पड़ सकता है.रुपये में लगातार उतार-चढ़ाव से विदेशी निवेश पर भी काफी असर पड़ सकता है. वैसे भी 2025 में भारत में विदेशी संस्थागत निवेश नकारात्मक हाे गया, जिससे बड़े पैमाने पर निकासी हुई. अगर रुपया इसी तरह कमजाेर हाेता रहेगा, ताे विदेशी निवेशक और ज्यादा निकासी करेंगे, जिससे शेयर बाजार में भी गिरावट आ सकती है, हालांकि अभी शेयर बाजार में तेजी बनी हुई है.
 
निर्यातकाें काे कमजाेर रुपये से थाेड़ा फायदा हाे सकता है, क्याेंकि उनका सामान विदेशाें में ज्यादा प्रतिस्पर्धी हाे जाएगा, लेकिन आयातित कच्चे माल की बढ़ती लागत शायद उनके फायदे काे कम कर देगी. कुछ लाेगाें का यह भी कहना है कि रुपया कमजाेर हाेने से आयात कम हाे जाएगा और निर्यात बढ़ेगा. हाे सकता है कि भारतीय रिजर्व बैंक भी चाह रहा हाे कि हमारी मुद्रा में थाेड़ी गिरावट आए, ताकि टैरिफ से परेशान निर्यातकाें काे थाेड़ी राहत मिले. लेकिन मेरा मानना है कि अमेरिका ने हम पर कुल पचास फीसदी टैरिफ लगाया है, लेकिन इस वर्ष रुपये में गिरावट मात्र पांच फीसदी हुई है, इससे निर्यातकाें काे हुए नुकसान की भरपाई ताे नहीं हाे पाएगी, हां थाेड़ी राहत जरूर मिलेगी.रुपये के मूल्य में आई गिरावट काे पूरी तरह राेकना रिजर्व बैंक के हाथ में नहीं है. वह सिर्फ इतना कर सकता है. -प्राे. अरुण कुमार