‌‘कृत्रिम बुद्धिमत्ता युग में मानव संसाधन' विषय पर प्री-समिट संपन्न

समावेशी एआई को अपनाने के लिए विश्वकर्मा यूनिवर्सिटी और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद द्वारा आयोजन

    17-Dec-2025
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वेिमाननगर, 16 दिसंबर (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
वेिशकर्मा यूनिवर्सिटी द्वारा सोमवार (15 दिसंबर) को ‌‘एआई युग में मानव संसाधन' विषय पर एआई प्री-समिट का आयोजन किया गया. होटल हयात इस्ता, में अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद तथा प्रमुख शैक्षणिक और औद्योगिक संस्थानों के सहयोग से आयोजित इस परिषद में नीति- निर्माता, उद्योग जगत के वरिष्ठ अधिकारी, शिक्षा विशेषज्ञ, तकनीकी पेशेवर और विद्यार्थी बड़ी संख्या में शामिल हुए. कृत्रिम बुद्धिमत्ता की तेजी से अर्थव्यवस्था, संस्थानों और शिक्षा प्रणाली को बदलने के दौर में, समावेशी और उत्तरदायी एआई को अपनाने के लिए भारत के मानव संसाधन को कैसे सक्षम बनाया जाए, इस पर गहन विचार-विमर्श किया गया. यह सम्मेलन भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और दूरसंचार मंत्रालय तथा इंडिया एआई के सहयोग से आयोजित किया गया. इसके अतिरिक्त, यूनिवर्सिटी ने कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री और तकनीकी क्षेत्र की अग्रणी कंपनी इन्फोसिस के साथ भी सहयोग किया. मुख्य भाषण में के प्रशिक्षण एवं अधिगम ब्यूरो के निदेशक एवं प्रमुख डॉ. सुनील लूथरा ने एआई से जुड़ी चर्चा के राष्ट्रीय और वैेिशक महत्व पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा, फरवरी 2026 में भारत ङ्गएआई इम्पैक्ट समिटफ की मेजबानी करेगा, जिसमें समावेशी मानव विकास, सामाजिक सशक्तिकरण और सतत प्रगति के लिए एआई को एक उत्प्रेरक के रूप में प्रस्तुत करने वाला भविष्य-उन्मुख वैेिशक एजेंडा साझा किया जाएगा. सम्मेलन को संबोधित करते हुए इन्फोसिस पुणे फेज-2 और मुंबई के प्रमुख तथा उपाध्यक्ष व डिलीवरी हेड प्रवीण कुलकर्णी ने कार्यप्रणाली और कार्यस्थलों के पुनर्गठन की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने कहा, एआई को अपनाना केवल तकनीक अपनाना नहीं है. मानवीय निर्णय क्षमता के साथ बुद्धिमान प्रणालियों को जोड़ने के लिए कार्यप्रणाली, मानव संसाधन और कार्यस्थल का पुनर्गठन आवश्यक है. तकनीक को लोगों की जगह नहीं लेनी चाहिए, बल्कि वेिशास, सहयोग और साझा मूल्यों के माध्यम से मानव क्षमता को बढ़ाना चाहिए. भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, इंडिया एआई, सीआयआय और इन्फोसिस के सहयोग से आयोजित इस सम्मेलन का उद्देश्य नीतिउन्म ुख दृष्टिकोण और व्यावहारिक रणनीतियों को सामने लाना था. इस कार्यक्रम ने विकसित भारत 2047 की राष्ट्रीय परिकल्पना के अनुरूप पुणे को शिक्षा, नवाचार और विचार नेतृत्व के केंद्र के रूप में और सुदृढ़ किया. वेिशकर्मा यूनिवर्सिटी की इस पहल ने अंतःविषय शिक्षा, नवाचार और सामाजिक प्रासंगिकता के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाया. देशभर से प्रतिभागियों की भागीदारी की अपेक्षा के साथ, इस सम्मेलन ने पुणे की पहचान को शिक्षा, नवाचार और विचार नेतृत्व के प्रमुख केंद्र के रूप में और मजबूत किया. ऐतिहासिक परिवर्तनों की तुलना करते हुए एफआईएस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (इंजीनियरिंग) रोहित रामानंद ने कहा, हम औद्योगिक क्रांति जैसे दौर में हैं. कुछ नौकरियां समाप्त होंगी और नई नौकरियां पैदा होंगी, लेकिन वे समान नहीं होंगी और उनके लिए आवश्यक कौशल भी अलग होंगे. शिक्षा और नेतृत्व के भविष्य पर बोलते हुए डसॉल्ट सिस्टम्स ग्लोबल सर्विसेज के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मनीष तांबे ने कहा, एआई के साथ काम करने के लिए बुद्धिमान प्रणालियों के साथ संवाद करने की क्षमता और रचनात्मकता, आलोचनात्मक सोच तथा नेतृत्व जैसे विशिष्ट मानवीय कौशलों को और मजबूत करना आवश्यक है. एआई नौकरियां छीनने के लिए नहीं, बल्कि उन्हें बेहतर बनाने के लिए है. सहयोग के महत्व को रेखांकित करते हुए आरएसबी ट्रांसमिशन्स (इंडिया) लिमिटेड के कार्यकारी निदेशक रजनीकांत बेहरा ने कहा, जब तक स्कूल और कॉलेज के छात्र उद्योगों के साथ मिलकर पाठ्यक्रम और समाधान विकसित नहीं करेंगे, तब तक विकसित भारत संभव नहीं है. सही मानव संसाधन के बिना एआई का कार्यान्वयन संभव नहीं है, और स्वास्थ्य सेवा, सतत विकास और लॉजिस्टिक्स जैसी राष्ट्रीय चुनौतियों से निपटने में ही एआई का वास्तविक मूल्य निहित है. दिनभर चले इस प्री-समिट में ‌‘विकसित भारत के लिए एआई रणनीतियां, विभिन्न क्षेत्रों में एआई की जागरूकता और प्रभाव, तथा सतत एआई जैसे विषयों पर सत्र आयोजित किए गए.  
 
कौशल, फैकल्टी क्षमता निर्माण पर ध्यान
 एआई प्री-समिट में उभरती कौशल आवश्यकताओं, पाठ्यक्रम परिवर्तन, फैकल्टी क्षमता निर्माण और आजीवन सीखने की रूपरेखा पर विशेष ध्यान दिया गया. मुख्य भाषणों और विशेषज्ञ चर्चाओं के माध्यम से यह विश्लेषण किया गया कि किस प्रकार मानवीय बुद्धिमत्ता, नैतिक निर्णय क्षमता और सामाजिक उत्तरदायित्व मशीन इंटेलिजेंस का पूरक बन सकते हैं.
 
एआई को तेजी से अपनाना हमारी जिम्मेदारी
 उद्घाटन भाषण में वेिशकर्मा यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष भरत अग्रवाल ने तकनीकी प्रगति में मानवीय तत्व के महत्व को रेखांकित किया. उन्होंने कहा, मानव पूंजी निवेश को आकर्षित करती है और बुनियादी ढांचे व प्रशासनिक सीमाओं के बावजूद शहरों के विकास को गति देती है. एआई युग में उद्योग पेशेवर, शिक्षाविद और छात्र एक साथ सीख रहे हैं, और कई बार छात्र शिक्षकों से अधिक जानते हैं. गैर-इंजीनियरिंग क्षेत्रों सहित सभी पेशों पर एआई का प्रभाव पड़ रहा है और इसे तेजी से अपनाना हमारी जिम्मेदारी है. पुणे शहर मानव प्रतिभा के विकास के कारण निरंतर आगे बढ़ रहा है.