उत्तराखंड की 7 बेटियाें ने पिता की अर्थी उठाई

    17-Dec-2025
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उत्तराखंड में बेटे ही नहीं बेटियां भी आज के समय में बेटाें की तरह माता-पिता के प्रति पूरा फर्ज निभा रही हैं. बेटाें की ओर से की जाने वाली धार्मिक रस्माें काे निभा रही हैं. समय के साथ समाज भी बेटियाें के इन कदमाें काे स्वीकार करने के साथ ही उनका समर्थन करने लगा है. चीन-नेपाल सीमा से सटे पिथाैरागढ़ की 7 बेटियाें ने रूढ़िवादी परंपराओं काे ताेड़कर न केवल पिता की अर्थी काे कंधा दिया, बल्कि घाट पर जाकर चिता काे मुखाग्नि भी दी. सीआईएसएफ में तैनात एक बेटी वर्दी पहनकर पिता के अंतिम संस्कार में शामिल हुई और मुंडन भी कराया.इन बेटियाें काे पुत्र जैसा फर्ज अदा करते देख सभी की आंखें नम हाे गईं. पिथाैरागढ़ जिले के गंगाेलीहाट तहसील मुख्यालय से करीब आठ किमी दूर सिमलकाेट ग्रामसभा के ऊकाला गांव निवासी पूर्व सैनिक किशन कन्याल का दाे दिन पूर्व स्वास्थ्य खराब हाे गया था. परिजन उन्हें सीएचसी गंगाेलीहाट ले गए.
 
हालत गंभीर हाेने पर डाॅक्टराें ने उन्हें हाॅयर सेंटर ले जाने की सलाह दी. हल्द्वानी ले जाते समय उन्हाेंने रास्ते में दम ताेड़ दिया. उनके निधन के बाद अंतिम संस्कार की बारी आई ताे मृतक की साताें बेटियां आगे आईं और सभी रस्माें काे उन्हाेंने पूरा करने का निर्णय लिया. दिवंगत कन्याल की सात बेटियाें में तीसरे नंबर की बेटीकरन वर्तमान में सीआईएसएफ में तैनात हैं. पिता के निधन की सूचना मिलते ही वह घर पहुंची थीं.बहादुर बेटी ने मुंडन कराया और वर्दी में पिता की अर्थी काे कंधा दिया. इसके बाद सभी बहनें शव यात्रा में रामेश्वर घाट पहुंची.जहां पर किरन समेत अन्य पांच बहनाें शाेभा, चांदनी, नेहा, बबली व दिव्यांशी ने पिता की चिता काे मुखाग्नि दी. एक अन्य बहन मंजू कुछ कारणाें से श्मशान घाट नहीं आ सकीं, लेकिन पिता की अर्थी काे उन्हाेंने कंधा जरूर दिया. बेटी हाेने के बावजूद बेटाें की तरह कर्तव्य निभाने वाली इन बेटियाें काे देखकर सभी भावुक हाे गए.लाेगाें ने कहा कि कन्याल परिवार की बेटियाें ने यह कदम उठाकर पूरे समाज काे एक बड़ा संदेश दिया है.