लक्ष्मी रोड, 18 दिसंबर (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क) पिछले एक साल से चांदी की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. पिछले छह महीनों में प्रति किलो चांदी की कीमत दोगुनी हो गई है. गुरुवार (18 दिसंबर) को चांदी एक बार फिर 2,01,500 रुपये प्रति किलो के ऐतिहासिक ऊंचाई पर पहुंच गई. इस सारी बढ़ोतरी के पीछे क्या कारण हैं, क्या यह बढ़ोतरी जारी रह सकती है..? इस बढ़ोतरी का इंडस्ट्री, कंज्यूमर और ज्वैलर्स पर क्या असर पड़ रहा है..? इन सवालों के साथ ङ्गआज का आनंदफ के स्पेशल कॉरेस्पोंडेंट स्वप्निल बापट ने जाने-माने कमोडिटी एक्सपर्ट अमित मोडक से बात की. उस साक्षात्कार के मुख्य अंश ‘आज का आनंद' के पाठकों के लिए पेश हैं.
सवाल - न सिर्फ पिछले साल बल्कि पिछले दो-तीन दिनों में भी चांदी की कीमत में करीब 10,000 रुपये की बढ़ोतरी हुई है. 2 लाख रुपये प्रति किलो का यह माइलस्टोन सोच से भी परे लगता है. इस सबका असर व्यापार, उद्योग, ग्राहक और सर्राफा व्यवसायियों पर क्या हो रहा है..?
जवाब - व्यापार कम हो रहा है. तैयार चांदी के आइटम की डिमांड कम हो रही है. क्योंकि अगर हम एक छोटा सा उदाहरण लें, तो पहले चांदी के बर्तन, कटोरे और घड़े गिफ्ट में दिए जाते थे. शुभ कामों में जो गिफ्ट दिए जाते थे, वे आम तौर पर 80 से 100 ग्राम के बीच होते थे. जब चांदी करीब 70,000 रुपये प्रति किलो थी, तो 7-8 हजार रुपये तक का गिफ्ट देना मुमकिन लगता था. लेकिन, अब अगर आप यही गिफ्ट देना चाहते हैं, तो आज उसकी कीमत करीब 20 हजार रुपये है. इसलिए, जब से गिफ्ट देने का बजट लिमिट से बाहर हो गया है, ऐसे आइटम की डिमांड कम हो गई है.
सवाल - क्या चांदी के दूसरे सामान के लिए भी यही हाल है?
जवाब- पहले, शो पीस के रुप में चांदी के सामान लोग कम मांगते थे क्योंकि मेकिंग चार्ज भी ज्यादा लगता था. अब ग्राहक सोचते हैं कि मेकिंग चार्ज भी बर्बाद होगा, साथ ही कीमत भी बढ़ गई है. इन दोनों वजहों से इसकी डिमांड कम हो रही है. एक उदाहरण के तौर पर देखें तो गिफ्ट वगैरह के तौर पर किसी समारोह में चांदी की प्लेट देना एक रेगुलर बात होती थी. चांदी की प्लेटें आम तौर पर 80 ग्राम से 125 ग्राम तक की होती थीं. 125 ग्राम की प्लेट 10,000 रुपये की कीमत पर 70,000 रुपये में भी खरीदी जा सकती थी. लेकिन, आज 125 ग्राम की प्लेट की कीमत 25 से 30 हजार रुपये के बीच है. इन सब बातों को देखते हुए, इन इस्तेमाल होने वाली चीजों या दुकानों में आमतौर पर बेची जाने वाली चांदी की चीजों की डिमांड काफी कम हो गई है.
सवाल-कीमत बढ़ने की वजह से लोग चांदी के सामान नहीं खरीद रहे हैं. लेकिन, कौन से ग्राहक अभी भी रिटेल काउंटर पर आते हैं?
जवाब- अभी, जो लोग चांदी खरीदने आते हैं, वे इसे इन्वेस्टमेंट के तौर पर देखने लगे हैं. उन्होंने इसे यूटिलिटी आइटम के तौर पर देखना बंद कर दिया है. इसका कारण यह है कि इसमें रिस्क बढ़ गई है. एक उदाहरण से समझाता हूं. हम घर में टेबल पर आसानी से चांदी का कोई बर्तन या ग्लास रख देते थे. अब अगर हम उस ग्लास को रखना चाहें, तो यह 25 से 30 हजार रुपये की कीमत वाली चीज को खुले में रखने जैसा है. इसलिए, अब लोग इन्वेस्टमेंट के तौर पर सिक्के या बार खरीदने की तरफ झुक रहे हैं.उनकी सोच ऐसी है कि जब भी उन्हें जशरत होगी, वे अपने प्रोडक्ट बना लेंगे. इसके बावजूद, चांदी, यानी बार या सिक्कों की डिमांड अयादा नहीं बढ़ी है. इसका कारण यह है कि पिछले साल चांदी में लगभग 150 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. अब जब कीमतें 150 प्रतिशत बढ़ गई हैं, तो लोग थोड़ा हिचकिचा रहे हैं, कह रहे हैं कि कीमतें बहुत बढ़ गई हैं, चलो इनके थोड़ा कम होने का इंतजार करें.
सवाल- चांदी की कीमतें वैेिशक स्तर पर तय होती हैं. इसके मुख्य कारण क्या हैं..? वहां क्या स्थिति है.. ?
जवाब- चीन और अमेरिका ने चांदी को ‘रेयर मिनरल' की कैटेगरी में डाल दिया है. अब जब इसे उस कैटेगरी में डाल दिया गया है, तो दोनों देश कभी भी इसके ट्रेड को कंट्रोल कर सकेंगे. यानी चीन ने ऐसा किया है. चीन ने ऐलान किया है कि 1 जनवरी से इसका एक्सपोर्ट बंद कर दिया जाएगा. इसलिए, चीन से विदेशों में चांदी एक्सपोर्ट नहीं की जा सकेगी, जो दुनिया की कुल डिमांड का लगभग 17 प्रतिशत थी. अब, अगर सप्लाई 17 प्रतिशत कम हो जाती है, तो डिमांड और सप्लाई के बीच उतना ही गैप आ जाएगा. सप्लाई में यह नेगेटिव गैप कीमतों में बढ़ोतरी का कारण बनेगा. क्योंकि फिजिकल चांदी की इतनी कमी हो जाएगी.
सवाल- क्या अमेरिका और चीन जैसे दूसरे देशों की कोई पॉलिसी है..? क्या कीमतें इसलिए बढ़ रही हैं क्योंकि ये सभी देश चांदी पर पूरा कंट्रोल रखने की कोशिश कर रहे हैं?
जवाब- अब, इस पृष्ठभूमि में, अमेरिका ने भी यही पॉलिसी अपनाई है कि अगर चीन एक्सपोर्ट नहीं करेगा, तो दुनिया भर में कमी हो जाएगी. तो अगर हमें चांदी की जशरत पूरी करने के लिए अपने ही देश में इस पर डिपेंड रहना पड़ा, तो हम इसका एक्सपोर्ट भी बंद कर देंगे, इसीलिए उन्होंने अब इसे मरेयर मिनरलफ भी डाल दिया है. इसे रेयर मिनरल कहने के बाद, उनके पास जो भी सरप्लस होगा, उसी हिसाब से उनका एक्सपोर्ट कम हो जाएगा.
सवाल - मेक्सिको दुनिया में सबसे अयादा सिल्वर बनाता है. उनकी अब इसमें क्या भूमिका है?
जवाब- मेक्सिको सबसे अयादा सिल्वर बनाता है. क्योंकि वहां कॉपर और जिंक की खदानें हैं. कॉपरजिंक का मेन बाय-प्रोडक्ट सिल्वर है. लेकिन फिलहाल वहां लेबर में बहुत दिक्कत है. इसलिए, वहां कई खदानें बंद हैं, कोई माइनिंग नहीं हो रही है. लेबर में दिक्कत और सैलरी को लेकर जो भी है, उसकी वजह से सैलरी पर बातचीत अभी पूरी नहीं हो पा रही है. थाईलैंड में एक रिफाइनरी किसी तकनीकी वजह से बंद हो गई है. इसलिए, वहां से भी रिफाइनिंग नहीं हो पाएगी. कुल मिलाकर हर तरफ से वैेिशक सप्लाई पर दबाव बन रहा है.
सवाल-दुकानों में जाकर चांदी खरीदना महंगा हो रहा है. लेकिन निवेश के बारे में बात करें तो ईटीएफ जैसे विकल्प फायदेमंद साबित हो सकते हैं.
जवाब- फिलहाल जेपी मॉर्गन ने 750 मिलियन औंस की बाय पोजीशन खोली है. यानी, उन्हें डिलीवरी में जो भी चांदी मिलेगी, वह सिस्टम से बाहर चली जाएगी. क्योंकि आम तौर पर, जब फंड या ईटीएफ चांदी खरीदते हैं या सोना खरीदते हैं, तो एक बार खरीदा गया सोना या चांदी कई सालों के लिए सिस्टम से बाहर चला जाता है, जब तक कि उसे दोबारा बेचा न जाए. वे ऐसे रोजाना खरीदने और बेचने के फैसले नहीं लेते, उनके पास लॉन्ग टर्म होता है. इसलिए, उस चांदी का एक बड़ा हिस्सा ईटीएफ और हेज फंड के जरिए बाहर गया है.
सवाल- क्या यह तेजी चीन और अमेरिका के रेयर अर्थ मिनरल घोषित करने का नतीजा है या दूसरे डेवलपमेंट की वजह से उन दोनों देशों ने इसे रेयर मिनरल घोषित किया है?
जवाब- उन्हें ऐसा इसलिए करना पड़ा क्योंकि जब चीन ने कहा कि वह एक्सपोर्ट नहीं करेगा, तो कमी हो जाएगी. सिल्वर इंडस्ट्रियल इस्तेमाल, सोलर, बैटरी, टेलीकॉम, स्पेस टेक्नोलॉजी के लिए जशरी है. क्या होगा अगर यह उपलब्ध न हो..? तो उन्होंने इसे उस रेयर अर्थ कैटेगरी में डाल दिया. अगर इसे उस कैटेगरी में डाल दिया जाता है, तो इसे सरकार की इजाजत के बिना एक्सपोर्ट नहीं किया जा सकता.
सवाल - तो क्या बाकी सभी देश अपने लेवल पर यह पॉलिसी तय कर पाएंगे?
जवाब- बिलकुल करेंगे. इस तेजी का मतलब है कि यह स्थिती शायद और बढ़ेगी, अभी ओवरऑल पिक्चर यही है. अभी जो कीमतें है, वह कुछ दिनों में सस्ती लगेंगी, सिल्वर इतना बढ़ सकता है. वे कह रहे हैं कि यह अभी 10 साल में 10 गुना बढ़ेगा. अगर आज यह 66 डॉलर है, तो यह 10 महीने पहले के मुकाबले अभी दोगुना है. अगर किसी ने तब ऐसा अनुमान लगाया होता कि सिल्वर की कीमतें दोगुना हो जाएंगी, तो तब शायद कोई यकीन नहीं करता.
सवाल- दुकान में काउंटर पर आकर चांदी खरीदना महंगा हो गया है. फिर जो ग्राहक है या निवेशक हैं, उनके पास क्या विकल्प हैं?
जवाब-जिस भाव में चांदी मिले, खरीदते रहे. चाहे तो ईटीएफ में खरीदते रहें. जीएसटी और खरीदी की कीमतों में जो अंतर रहता है, उसका उन्हें फायदा मिलेगा. सवाल- इन सब की वजह से दुकानदारों को क्या दिक्कत आ रही है.? बिक्री कम होने के साथ साथ क्या कुछ और दिक्कतें भी हैं.? जवाब-बिक्री काफी कम हो गई है. कैपिटल अयादा खर्च हो रहा है. रिस्क बढ़ रहा है.
सवाल-भारतीय ग्राहकों की दृष्टी एक सवाल यह है कि अगले साल, बस पांच या छह महीनों के बाद भारतीय पंचांग के हिसाब से अधिक मास (पुरुषोत्तम मास) आएगा. हमारे यहां उस दौरान अपने दामाद को चांदी की चीजें गिरट करने का रिवाज है. क्या उसपर भी असर होगा?
जवाब- असर तो बिलकुल होगा. जो लोग पहले अधिक मास में चांदी की प्लेट और कटोरी गिरट करते थे, वे अब शायद चम्मच और कटोरी देंगे.
सवाल- इस बीच अचानक से प्लैटिनम की कीमतों में भारी तेजी देखने को मिल रही है. उस बाजार में क्या स्थिती है..?
जवाब- प्लैटिनम इतने लंबे समय से, पिछले कुछ सालों से एक नजरअंदाज किया जाने वाला मेटल था. क्योंकि यह 2300 डॉलर प्रति औंस से 800 डॉलर प्रति औंस पर आ गया था. उस गिरावट की वजह से, लोगों का इसके लिए जो अट्रैक्शन था, वह कम हो गया. लेकिन अचानक अब यह 1980 डॉलर प्रति औंस हो गया है. भारतीय बाजारों में यह 30,000 रुपये प्रति 10 ग्राम पर आ गया था, जो अब 60,000 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गया है. हम लगातार सोने और चांदी की बात कर रहे थे, लेकिन प्लैटिनम पर किसी ने ध्यान नहीं दिया. पिछले साल प्लैटिनम में 130 प्रतिशत की ग्रोथ हुई है और पिछले 8 दिनों में 20 प्रतिशत की ग्रोथ हुई है. यानी यह सोने और चांदी से अयादा है, लेकिन इसे नजरअंदाज किया गया.
अभी का भाव भी हमें सस्ता लगेगा
कई सेंट्रल बैंकों ने अब चांदी खरीदना शुरू कर दिया है क्योंकि उन्होंने इसे कीमती धातु और रिजर्व धातु का दर्जा दिया है. चीन और अमेरिका से सप्लाई बंद होने वाली है. मेक्सिको से सप्लाई में दिक्कत है. थाईलैंड में एक रिफाइनरी बंद हो गई है. अगर हम यह सब देखें तो कुछ दिनों में चांदी का अभी का भाव भी हमें सस्ता लगेगा, चांदी इतनी ऊपर जा सकती है. - अमित मोडक, कमोडिटी एक्सपर्ट
अभूतपूर्व तेजी की संभावना
अगले दो सालों में चांदी की कीमत दोगुनी हो सकती है, बशर्ते इसकी सप्लाई पर जो रुकावट है, उस सप्लायर पर लगी सीमाएं वैसी ही रहनी चाहिए. और हेज फंड या ईटीएफ को बड़े पैमाने पर बिकवाली नहीं करनी चाहिए.अगर तेजी का दबाव जारी रहता है, तो चांदी नई ऊंचाई पर पहुंच जाएगी. पहले कभी न हुई तेजी की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. इस बार तेजी स्पेक्युलेटिव या सटोरिया वाली नहीं है, बल्कि सप्लाई में कमी की वजह से है.
हाई मेल्टिंग पॉइंट की वजह से प्लैटिनम की डिमांड
प्लैटिनम भी एक रेयर मेटल है. इसका प्रोडक्शन भी बहुत अयादा नहीं होता. इसकी इंडस्ट्रियल डिमांड भी है. बैटरी, ईवी में भी इसकी डिमांड है. एक रेयर मिनरल होने के नाते, इसके हाई मेल्टिंग पॉइंट की वजह से इसकी डिमांड है. तो अगर सभी रेयर मिनरल रेयर हो जाएंगे, सच में रेयर, तो प्लैटिनम भी इससे अलग नहीं होगा. लेकिन अभी प्लैटिनम में कोई ईटीएफ अवेलेबल नहीं है, इसलिए अगर कोई इसे इन्वेस्टमेंट के तौर पर खरीदना चाहता है, तो उसे इसे फिजिकली खरीदना होगा.