विश्व एआई पर नहीं, ज्ञानोबा-तुकोबा के मंत्र पर चलेगा

99वें अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष और वरिष्ठ साहित्यकार वेिशास पाटिल ने कहा

    02-Dec-2025
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कोथरुड, 1 दिसंबर (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)

आज की दुनिया एआई की ओर बढ़ रही है, लेकिन एआई तकनीक की अपनी सीमाएं हैं. मानव बुद्धि सबसे महत्वपूर्ण है. आने वाला कल एआई पर नहीं, बल्कि ज्ञानोबातुकोबा के मंत्र पर चलेगा, ऐसे विचार वरिष्ठ साहित्यकार तथा 99 वें अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन के नियोजित अध्यक्ष वेिशास पाटिल ने व्यक्त किए. वे 30वीं तत्त्वज्ञ संतश्री ज्ञानेेशर-तुकाराम स्मृति व्याख्यानमाला के समारोप समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे. एमआइटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी, वेिशशांति केंद्र (आलंदी) और माईर्स एमआइटी, पुणे द्वारा संयुक्त रूप से इस व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया था. कार्यक्रम की अध्यक्षता एमकेसीएल के वरिष्ठ सलाहकार एवं वैज्ञानिक डॉ. विवेक सावंत ने की. इस अवसर पर वेिशशांति केंद्र (आलंदी) एवं माईर्स एमआइटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के संस्थापक अध्यक्ष प्रा. डॉ. वेिशनाथ दा. कराड, कार्याध्यक्ष डॉ. राहुल कराड़ समेत गणमान्य उपस्थित थे. समारोह में वेिशशांति के क्षेत्र में किए गए कार्यों के लिए उपस्थित सभी लोगों की ओर से डॉ. वेिशनाथ कराड का विशेष सम्मान किया गया. योगगुरु अनंत कोंडे और मारुति पाडेकर गुरुजी का भी मान्यवरों के हाथों सत्कार किया गया. इसी अवसर पर पीस स्टडीज की ओर से ‌‘सेंटर फॉर एक्सीलेंस इन संस्कृत एंड आयआरएस स्टडीज' पाठ्यक्रम की पुस्तिका का प्रकाशन किया गया. वेिशास पाटिल ने अपने संबोधन में कहा, माता जिजाऊ ने छत्रपति शिवाजी महाराज को वेिशशांति का आदर्श दिया. संतों के विचारों का उन पर गहरा प्रभाव था. शक्ति, युक्ति और भक्ति इन तीनों के संगम से उन्होंने स्वराज्य की स्थापना की और मानव जाति के कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया. इसी कारण शिवाजी महाराज सर्वश्रेष्ठ राजा बने. प्रा. डॉ. वेिशनाथ कराड़ ने कहा, भारतीय संस्कृति, परंपरा और दर्शन के संदेश को वेिशभर में फैलाने में इस व्याख्यानमाला की बड़ी भूमिका है. मनुष्य के रूप में समृद्ध होने का एकमात्र मार्ग संत मार्ग ही है. समारोह का स्वागत एवं प्रास्ताविक कुलपति डॉ. आर. एम. चिटणीस ने किया. सूत्रसंचालन अधिष्ठाता डॉ. मिलिंद पात्रे ने किया तथा आभार प्र-कुलपति डॉ. मिलिंद पांडे ने व्यक्त किए.  
 
‌‘स्व' की खोज ही वेिशशांति का मार्ग
कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ. विवेक सावंत ने कहा, विज्ञान और अध्यात्म के बीच का अद्वैत, यही हमारी संत परंपरा का मूल है. आज बहु-विषयक शिक्षा की अत्यंत आवश्यकता है, इसी से भारत आत्मनिर्भर बनेगा. विद्यार्थियों को ‌‘स्व' की खोज करना सिखाएं. ‌‘स्व' की खोज ही वेिशशांति का मार्ग है.