सफलता के लिए रिस्क लेना जरूरी : एस.जयशंकर

एनबीटी के पुणे बुक फेस्टिवल में आयोजित ‌‘लिट फेस्ट" में विदेश मंत्री ने कहा

    21-Dec-2025
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पुणे, 20 दिसंबर (आ.प्र.)

विदेश नीति में सफलता पाने के लिए विभिन्न देशों की रि-विजिट करनी पडती है. अपने उद्देश्य में सफलता मिलने के लिए अपनी कूटनीति को भी प्रभावी ढंग से रखना भी आवश्यक है. इसलिए कभी- कभी जिंदगी में रिस्क लेना भी जरुरी है. अगर हम अपने विचार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सही तरह से नहीं रखते, तो दुनिया आपको दबा देती है. इसलिए अपनी आवाज हमेशा उठानी चाहिए, यह विचार विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने व्यक्त किए. नेशनल बुक ट्रस्ट द्वारा पुणे बुक फेस्टिवल में आयोजित पुणे लिट फेस्ट में विदेश मंत्री एस. जयशंकर बोल रहे थे. उन्होंने डिप्लोमेसी टू डिस्कोर्स इस विषय पर अपने विचार रखे. ट्रस्ट के डायरेक्टर युवराज मलिक ने उनकी मुलाकात ली. नेशनल बुक ट्रस्ट के अध्यक्ष मिलिंद मराठे, पुणे बुक फेस्टिवल के मुख्य संयोजक राजेश पांडे, प्रसनजीत फडणवीस उपस्थित थे. अपनी किताब ‌‘द इंडिया वे' से एस.जयशंकर ने अपने विचार रखने को शुरूआत की. उन्हौने बडे लोगों की बायोग्राफी से लेकर फॉरेन पॉलिसी के बारे में भी अपने विचार रखे. विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने कहा कि, मेरे जीवन में हनुमान और श्रीकृष्ण की कूटनीति का ज्यादा प्रभाव रहा. एक डिप्लोमेट के तौर पर मुझे हनुमान और श्रीकृष्ण की कूटनीति का उपयोग हुआ. एक डिप्लोमैट को देश के हित को मद्देनजर उम्मीद से बढ़कर भी कूटनीति में अपना योगदान देता पडता है. अभी-अभी मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ओमान और अन्य देश की यात्रा करके आया हूं. गल्फ कंट्री पर भारत की संस्कृति का प्रभाव है. इसलिए गल्फ कंट्री भी भारत की तरफ व्यापार बढाने के लिए उत्सुक है. कंबडिया में तो मंदिरों की संख्या ज्यादा है. अमेरिका, चीन के साथ ही पडोसी देशों से भी अच्छे संबंध रखने के लिए कूटनीति (डिप्लोमेसी) आवश्यक है. युरोपियन देश भी भारत के साथ विभिन्न क्षेत्रों में पार्टनरशिप करना चाहते हैं. कोरोना काल में भारत से दुनिया के कई देशों को वैक्सीन भेजी गई है. बिजली,रेलवे,पानी और अन्य क्षेत्रों ंमें भी व्यापार के उद्देश्य से अन्य देशों की तरफ देखना चाहिए. कूटनीति की सफलता देश के नेतृत्व पर भी निर्भर रहती है. इसलिए मुझे हनुमान जी की कूटनीति पसंद है. रशिया के अध्यक्ष ब्लादिमीर पुतिन नें भारत के युवाओं को उनके देश में पढने लिखने और काम करने के लिए आमंत्रित किया है. भारत एक ग्लोबल ब्रांड की तरह उभर रहा है. यह विचार भी विदेशमंत्री एस. जयशंकर ने रखे. विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने कहा कि, बड़े लोगों ने अपने कार्यकाल में परिस्थिति अनुसार कैसे-कैसे निर्णय लिए होंगे. यह जानने के लिए मुझे बडे लोगों की बायोग्राफी पढना अच्छा लगता है. 1983 में जब भारत ने क्रिकेट वर्ल्ड कप जिता था. उस टीम में उप कप्तान मोहिंदर अमरनाथ थे. वे और मैं एक ही उम्र के हैं. मैने मोहिंदर अमरनाथ की बायोग्राफी भी पढी है.जीवन में सफल होने के लिए निर्णय लेना और अपना पसंदीदा करियर चुनना जरूरी है. आप बडे लोगों से क्या-क्या और कैसे सीखते है, यह भी आवश्यक है.