भारत काे अगले पायदान पर ले जाने की जिम्मेदारी युवा निभाएं

सिम्बायोसिस इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी के लवले कैम्पस में आयोजित दीक्षांत समारोह में विदेश मंत्री डॉ. एस.जयशंकर ने विद्यार्थियों से की अपील

    22-Dec-2025
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लवले, 21 दिसंबर (आ.प्र.)

आज भारत की पहचान उसकी प्रतिभा और कौशल के कारण बनी है. हमारी राष्ट्रीय छवि मजबूत हुई है और भारतीय पेशेवरों को उनकी मेहनती प्रवृत्ति और तकनीकी दक्षता के चलते दुनिया भर में मान्यता मिल रही है, ऐसा प्रतिपादन विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने किया. सिंबायोसिस इंटरनेशनल (डीम्ड यूनिवर्सिटी) का 22वां दीक्षांत समारोह शनिवार (20 दिसंबर) को सिम्बायोसिस इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी के लवले, पुणे परिसर में संपन्न हुआ. इस अवसर पर विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे. दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता सिम्बायोसिस के संस्थापक और अध्यक्ष तथा सिम्बायोसिस इंटरनेशनल (डीम्ड वेिशविद्यालय) के कुलाधिपति डॉ. एस.बी. मुजुमदार ने की. डिग्री प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए डॉ. जयशंकर ने उन्हें बधाई दी और बीते कुछ दशकों में भारत तथा वेिश में आए परिवर्तनों का उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि आज डिग्री प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों के पास व्यापक ज्ञान, अधिक आत्मवेिशास और अलग तरह का कौशल-संच है. भारत को अगले चरण पर ले जाने की जिम्मेदारी आप पर है. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि आज की दुनिया अधिक परस्पर जुड़ी हुई है और युवा पेशेवरों को बढ़ते पैमाने पर वैेिशक कार्यस्थलों पर काम करना पड़ेगा. अपने अध्यक्षीय भाषण में डॉ. मुजुमदार ने सर्वांगीण विकास के महत्व पर जोर देते हुए सफल और सार्थक जीवन के लिए तीन मूलभूत सिद्धांत प्रस्तुत किए. उन्होंने कहा कि साहसिक नवाचार, कम सौभाग्यशाली लोगों के प्रति करुणा और अपने कार्य के प्रति जुनून केवल सफलता के लिए ही नहीं, बल्कि आनंद के लिए भी आवश्यक हैं. विद्यार्थियों से अपनी मातृसंस्था से जुड़े रहने का आह्वान करते हुए उन्होंने वेिशविद्यालय को दूसरा घर बताया. उन्होंने कहा कि आपके पास दो माताएं हैं. एक जन्म देने वाली और दूसरी यह वेिशविद्यालय, जो आपके विचारों और व्यक्तित्व को आकार देती है. वेिशविद्यालय से हमेशा जुड़े रहें. सिम्बायोसिस के अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थियों पर संतोष व्यक्त करते हुए उन्होंने उन्हें सद्भावना का दूत बताया. उन्होंने कहा कि हमारे अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थी वसुधैव कुटुंबकम्‌‍ की अवधारणा का जीवंत उदाहरण हैं और वैेिशक एकता व सौहार्द का संदेश देते हैं. इस अवसर पर सिम्बायोसिस इंटरनेशनल वेिशविद्यालय की प्र-कुलपति डॉ. विद्या येरवड़ेकर, कुलपति डॉ. रामकृष्णन रमण, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विज्ञान संकाय के प्रोवोस्ट डॉ. राजीव येरवड़ेकर, रजिस्ट्रार डॉ. एम. एस. शेजुल सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे.  
 
वैश्वीकरण से अवसरों का दायरा विस्तृत

वैश्वीकरण के प्रभावों पर बोलते हुए डॉ. एस.जयशंकर ने कहा कि वैश्वीकरण ने अवसरों का दायरा बढ़ाया है, लेकिन इसके साथ ही दुनिया में मौजूद अवसरों और खतरों के प्रति सजग रहना भी आवश्यक है. उन्होंने कहा कि वैेशीकरण ने आपके अवसर बढ़ाए हैं, लेकिन वैेिशक स्तर पर हो रहे परिवर्तनों की समझ होना भी उतना ही महत्वपूर्ण है.