मनुष्य काे अब स्वतंत्र विचार सिखाया जाए

    23-Dec-2025
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Osho
 
शिक्षक के माध्यम से मनुष्य के चित्त काे परतंत्रताओं की अत्यंत सूक्ष्म जंजीराें में बांधा जाता रहा है. यह सूक्ष्म शाेषण बहुत पुराना है. शाेषण के अनेक कारण हैं-धर्म हैं, धार्मिक गुरु हैं, राजतंत्र हैं, समाज के न्यस्त स्वार्थ हैं, धनपति हैं, सत्ताधिकारी हैं.सत्ताधिकारी ने कभी भी नहीं चाहा है कि मनुष्य में विचार हाे, क्याेंकि जहां विचार है, वहां विद्राेह का बीज है. विचार मूलतः विद्राेह है. क्याेंकि विचार अंधा नहीं है, विचार के पास अपनी आंखें हैं. उसे हर कहीं नहीं ले जाया जा सकता. उसे हर कुछ करने और मानने काे राजी नहीं किया जा सकता है. उसे अंधानुयायी नहीं बनाया जा सकता है. इसलिए सत्ताधिकारी विचार के पक्ष में नहीं हैं, वे विश्वास के पक्ष में हैं. क्याेंकि विश्वास अंधा है.और मनुष्य अंधा हाे ताे ही उसका शाेषण हाे सकता है.
 
और मनुष्य अंधा हाे ताे ही उसे स्वयं उसके ही अमंगल में संलग्न किया जा सकता है.मनुष्य का अंधापन उसे सब भांति के शाेषण की भूमि बना देता है. इसलिए विश्वास सिखाया जाता है, आस्था सिखाई जाती है, श्रद्धा सिखाई जाती है. धर्माें ने यही किया है. राजनीतिज्ञाें ने यही किया है. विचार से सभी भांति के सत्ताधिकारियाें काे भय है. विचार जाग’त हाेगा ताे न ताे वर्ण हाे सकते हैं, न वर्ग हाे सकते हैं. धन का शाेषण भी नहीं हाे सकता है. और शाेषण काे पिछले जन्माें के पाप-पुण्याें के आधार पर भी नहीं समझाया और बचाया जा सकता है. विचार के साथ आएगी क्रांति-सब तलाें पर और सब संबंधाें में-राजनीतिज्ञ भी उसमें नहीं बचऔर राष्ट्राें की सीमाएं भी नहीं बचेंगी. मनुष्य काे मनुष्य से ताेड़ने वाली काेई दीवाल नहीं बच सकती है. इससे विचार से भय है, पूंजीवादी राजनीतिज्ञाें काे भी, साम्यवादी राजनीतिज्ञाें काे भी.
 
और इस भय से सुरक्षा के लिए शिक्षा के ढांचे की ईजाद हुई है. यह तथाकथित शिक्षा सैकड़ाें वर्षाें से चल रहे एक बड़े षडयंत्र का हिस्सा है. धर्म पुराेहित पहले इस पर हावी थे, अब राज्य हावी है.विचार के अभाव में व्यक्ति निर्मित ही नहीं हाे पाता है. क्याेंकि व्यक्तित्व की मूल आधारशिला ही उसमें अनुपस्थित हाेती है. व्यक्तित्व की मूल आधारशिला क्या है? क्या विचार की स्वतंत्र क्षमता ही नहीं? लेकिन स्वतंत्र विचार की ताे जन्म के पूर्व ही हत्या कर दी जाती है. गीता सिखाई जाती है, कुरान और बाइबिल सिखाए जाते हैं, कैपिटल और कम्युनिस्ट मैनिेस्टाे सिखाए जाते हैं-उनके आधार पर, उनके ढांचे में विचार करना भी सिखाया जाता है! ऐसे विचार से ज्यादा मिथ्या और क्या हाे सकता है? ऐसे अंधी पुनरुक्ति सिखाई जाती है और उसे ही विचार करना कहा जाता ह