संविधान के प्रति अटूट निष्ठा ही सच्ची शिक्षा का मूल

सूर्यदत्त में आयोजित अल्पसंख्यक अधिकारों पर विशेष संगोष्ठी में डॉ. संजय बी. चोरडिया ने कहा

    24-Dec-2025
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बावधन, 23 दिसंबर (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)

समग्र शिक्षा के साथ-साथ विद्यार्थियों में संवैधानिक मूल्यों का संवर्धन अत्यंत आवश्यक है. केवल डिग्री प्राप्त करना ही वास्तविक शिक्षा नहीं है; बल्कि समाज के प्रत्येक वर्ग के अधिकारों का सम्मान करना और भारतीय संविधान के प्रति अटूट निष्ठा रखना ही सच्ची शिक्षा का मूल है, ऐसे विचार सूर्यदत्त ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट के संस्थापक अध्यक्ष प्रो. डॉ. संजय बी. चोरडिया ने रखे. वे सूर्यदत्त लॉ कॉलेज और सूर्यदत्त इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ साइंसेज कॉलेज ऑफ फिजियोथेरेपी द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित ङ्गअंतरराष्ट्रीय अल्पसंख्यक अधिकारफ विषयक विशेष संगोष्ठी में बोल रहे थे. इस सत्र में मुख्य वक्ता विजयदीप मुंजणकर ने भारतीय संविधान के अंतर्गत अल्पसंख्यकों के संरक्षण के महत्व को गहराई से स्पष्ट किया. अपने शोधपूर्ण वक्तव्य में उन्होंने अनुच्छेद 14 (कानून के समक्ष समानता) और अनुच्छेद 15 (भेदभाव का निषेध) जैसे मूल अधिकारों की आधारशिला पर प्रकाश डाला. सूर्यदत्त ग्रुप की ए.वी.पी. स्नेहल नवलखा ने उल्लेख किया कि ऐसे उपक्रम विद्यार्थियों में संवैधानिक चेतना और सामाजिक उत्तरदायित्व की भावना विकसित करते हैं, जिससे वे वैेिशक स्तर पर परिपक्व नेतृत्व के रूप में उभरने में सक्षम होते हैं. फिजियोथेरेपी कॉलेज की प्राचार्या डॉ. सीमा रेठरेकर, लॉ कॉलेज की प्राचार्या केतकी बापट तथा प्राध्यापिका डॉ. मोनिका सेहरावत ने संस्था की मूल्य-आधारित शिक्षा पद्धति पर विशेष बल दिया. इस अवसर पर आर्यन मुसळे, वरद भैरवकर और सारा जाधव इन विद्यार्थियों ने भी अपने विचार व्यक्त किए. कार्यक्रम में दोनों महाविद्यालयों के प्राध्यापक, शिक्षकेतर कर्मचारी तथा विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित थे. इस आयोजन का उद्देश्य केवल शैक्षणिक जानकारी देना नहीं, बल्कि विद्यार्थियों में राष्ट्रीय एकता, मानवाधिकारों के प्रति जागरूकता और समाज के प्रत्येक वर्ग के प्रति सम्मान की भावना विकसित करना था.