तलाक के बढ़ते मामलाें ने गुजारा-भत्ते के सवाल काे गंभीर किया

    27-Dec-2025
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पिछले दिनाें उच्चतम न्यायालय में तलाक का एक ऐसा ही मामला सामने आया, जहां पत्नी ने पति से किसी भी तरह का न ताे मुआवजा मांगा और न ही उससे गुजारा भत्ता लिया, बल्कि विवाह के समय सास ने जाे कंगन दिए थे, उसने वह भी वापस कर दिए. आपसी सहमति से तलाक के इस मामले पर शीर्श न्यायालय ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यह एक अनाेखा और दुर्लभ मामला है.न्यायालय की इस टिप्पणी का महत्व इसलिए भी है कि आम ताैर पर तलाक के मामलाें में महिलाएं भारी- भरकम मुआवजे के अलावा गुजारा भत्ता मांगती हैं. यहां तक कि नाैकरीशुदा महिलाएं भी ऐसा करती हैं. अलबत्ता, एक ऐसे ही मामले में अदालत ने हाल ही में कहा है कि आत्मनिर्भर महिला गुजारा भत्ता पाने की हकदार नहीं है. दूसरी तरफ, एक अन्य मामले में महिला ने पति से प्रतिमाह दाे लाख रुपये का गुजारा भत्ता मांगा.
 
कारण पूछने पर उसने बताया कि उसे पार्टी करने का शाैक है, महंगी ब्रांडेड चीजें ही उसे पसंद आती हैं, इसलिए अदालत उसे पति से दाे लाख रुपये दिलवाए. अदालत ने उसकी दलील काे नहीं माना था.हाल में गुजारा भत्ता काे लेकर एक वित्तीय सलाहकार कंपनी ने सर्वेक्षण किया है, जिससे पता चला है कि भारत में लगभग 42 प्रतिशत पुरुष गुजारा भत्ता देने के लिए कर्ज ले रहे हैं. इन पुरुषाें का कहना है कि तलाक के मामलाें में उन्हें अदालत में माेटी फीस देनी पड़ती है. इनमें से आधे ने इसके लिए पांच लाख रुपये से अधिक की फीस वकीलाें काे दी थी. सर्वे में भाग लेने वाले पुरुषाें की साल भर की आय का 38 प्रतिशत हिस्सा गुजारा भत्ता देने में चला जाता है. ऐसे में, साेचिए कि वे अपने और घर के अन्य सदस्याें के खर्च कैसे चलाते हाेंगे? देश में गुजारा भत्ता देने के लिए कर्ज लेने वालाें की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. आम ताैर पर अदालतें स्त्रियाें के पक्ष में फैसला सुनाती हैं.
 
गुजारा भत्ता की रकम भी इतनी ज्यादा हाेती है कि पति तनख्वाह से नहीं दे पाते. इन दिनाें, जब नाैकरियाें की काेई गारंटी नहीं. आज नाैकरी है, कल नहीं, मगर गुजारा भत्ता ताे देना ही है.ऐसे में, ्नया करें? बेंगलुरु मिरर के अनुसार, पिछले पांच वर्ष में अकेले कर्नाटक में तलाक के लगभग दाे लाख मामले दर्ज हुए हैं.साल 2023 -24 में इस दक्षिणी सूबे में 43,244 तलाक के केस निपटाए गए थे, और बहुत से निपटाए जाने थे.ऐसा नहीं कि सिर्फ दक्षिणी राज्याें में यह प्रवृत्ति बढ़ी है.तलाक के सबसे ज्यादा मामले वाले शीर्ष 10 राज्याें में उत्तर प्रदेश और बिहार भी शामिल हैं.विशेषज्ञाें का कहना है कि पहले ताे लड़कियाें की शादी जिससे भी हाे जाती थी, वे उसे निभाने काे मजबूर थीं, लेकिन अब जब वे शिक्षित हैं और उनमें से अनेक अपने पांवाें पर खड़ी हैं, ताे वे अपने फैसले खुद ले सकती हैं. तलाक के मामले इसीलिए बढ़ रहे हैं.
 
कि वे ऐसे किसी भी रिश्ते में रहना नहीं चाहतीं, जहां पटरी न बैठतर हाे. बहुत बार रिश्ताें में इतनी कड़वाहट आ जाती है कि लड़कियां पति और उसके परिवार काे सबक सिखाना चाहती हैं. ऐसे में मुआवजे और गुजारा भत्ते के रूप में बड़ी राशि मांगी जाती है.इस बदली हुई लड़की के अनुसार हमारी विवाह संस्था बदली नहीं है. अब भी लड़की, चाहे वह नाैकरी करती हाे, धनाेपार्जन करती हाे, ससुराल वाले उससे यही उम्मीद करते हैं कि वह दफ्तर जाने से पहले सारे काम निपटाकर जाए और ऑफिस से घर आकर सारे काम करे. दुनियादारी निभाएं. ऐसे में, लड़की नाैकरी, परिवार की जिम्मेदारियाें के बीच एक सैंडविच की तरह पिसने लगती है.किसी संबंध का टूटना दुखदायी हाेता है, दाेनाें पक्षाें के लिए ही. लेकिन साेशल मीडिया के इस दाैर में तलाक पार्टी, बे्रक अप पार्टी और अलगाव पार्टी देकर लाेग खुशी भी मनाते हैं.
 
एक नया ट्रेंड या झूठी शादियाें का है. जहां बस बारात नहीं हाेती, बाकी सारी रस्में हाेती हैं-मेंहदी, हल्दी, खान-पान. एक खबर के अनुसार, इन फेक शादियाें में लाेग दूर-दूर से भाग लेने आते हैं. इन सभी बाताें काे देखते हुए यह खयाल भी आता है कि अपने देश में बहुत सारी धाराएं एक साथ बह रही हैं. लाेग ऐसी शादी करना चहते हैं, जैसी किसी की नहीं हुई, जिसे हमेशा याद रखा जाए. इसीलिए विवाह का बाजार अरबाें-खरबाें रुपये तक जा पहुंचा है. विवाह के लिए लाेग भारी-भरकम कर्ज भी ले रहे हैं, फिर शादी ताेड़ भी रहे हैं. नकली शादी समाराेह कर रहे हैं. एक साथ ही कितनी तरह की चीजें नजर आ रही हैं, जिनके बारे में काेई फैसला नहीं दिया जा सकता. पड़ाेसी देश चीन में इसी साल तलाक काे लेकर एक ऐसा फैसला आया, जिसकी महिला संगठनाें ने तीखी आलाेचना की. पहले चीन में तलाक के बाद महिलाओं काे हर चीज, जैसे जमीन, जायदाद, पैसे आदि में बराबर हिस्सा मिलता था. -क्षमा शमा