अनुभवी लोग स्वस्थ समाज व संतुलित भविष्य के निर्माण की प्रेरणा देते हैं

समाज के विभिन्न पेशों के सफल लोगों ने नयी पीढ़ी के युवाओं को ईमानदारी व मेहनत का संदेश दिया

    28-Dec-2025
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पुणे, 27 दिसंबर (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
समाज की असली ताकत उन लोगों से बनती है, जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्र में वर्षों का अनुभव, मेहनत और ईमानदारी से न केवल व्यक्तिगत सफलता प्राप्त की, बल्कि समाज को दिशा देने का कार्य भी किया. कानून, चिकित्सा, शिक्षा, पर्यावरण, अध्यात्म और खेल. ये सभी क्षेत्र समाज की मजबूत नींव हैं. इस बारे में प्रो. रेणु अग्रवाल ने समाज के ऐसे ही अनुभवी व्यक्तियों से बात की जिन्होंने अपने जीवनानुभव के आधार पर नई पीढ़ी के विद्यार्थियों और समाज के लिए प्रेरक संदेश दिए . इन विचारों का उद्देश्य केवल कैरियर की राह दिखाना नहीं, बल्कि जिम्मेदार नागरिक, स्वस्थ समाज और संतुलित भविष्य के निर्माण की प्रेरणा देना है. प्रस्तुत हैं उनकी बातचीत के प्रमुख अंश- प्रो. रेणु अग्रवाल (मो. 8830670849)  
 
सामूहिक जीवन में अध्यात्म महत्वपूर्ण

मेरी उम्र 56 वर्ष है और गेवराई, जिला बीड़ में मेरी निशा प्रोविजन स्टोर नामक किराना दुकान है, जिसकी शुरुआत मैंने वर्ष 2000 में की थी. बीते 25 वर्षों में निरंतर मेहनत के बल पर हमने अच्छी प्रगति की है. इसी के साथ वर्ष 2000 में ही मैंने जय महेश सुंदरकांड सत्संग मंडल की स्थापना भी की, जिसके माध्यम से हम पूरे भारत में संगीतमय सुंदरकांड का पठन करते हैं. मेरा मानना है कि जीवन में अध्यात्म का अत्यंत महत्व है. आध्यात्मिकता से आंतरिक शांति मिलती है और समाज में करुणा, प्रेम तथा भाईचारे की भावना का विकास होता है. इससे मजबूत और नैतिक समुदाय बनते हैं, जहाँ लोग एक-दूसरे से जुड़ाव महसूस करते हैं और मिलकर बेहतर दुनिया के निर्माण का प्रयास करते हैं. इस अख़बार के माध्यम से मैं समाज को यही संदेश देना चाहता हूँ कि हमारे आसपास जहां भी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक कार्यक्रमों का आयोजन हो, उसमें सभी को बढ़-चढ़कर भाग लेना चाहिए. -रामेेशर मिट्ठूलालजी बाहेती, जिला बीड़, महाराष्ट्र
 

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खेल, अनुशासन और स्वस्थ जीवन का मंत्र

मैं एक सिविल इंजीनियर हूँ तथा ट्रायथलोन खेल का अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी भी हूँ. मैंने वर्ष 2022 में एशियन गेम्स में भाग लेकर अपने देश का प्रतिनिधित्व किया है. ट्रायथलोन वेिश के सबसे कठिन खेलों में से एक है, जिसमें 1.5 किलोमीटर तैराकी, 40 किलोमीटर साइकिलिंग और 10 किलोमीटर दौड़. ये तीनों इवेंट बिना किसी अंतराल के पूरे करने होते हैं. इसलिए इस खेल के लिए शरीर का पूरी तरह तंदुरुस्त होना अत्यंत आवश्यक है, जिसके लिए रोजाना नियमित अभ्यास करना पड़ता है. साथ ही खान-पान का विशेष ध्यान रखना भी बहुत जरूरी होता है. समाज में यह भ्रम है कि खेलकूद करने वालों को नॉनवेज या अंडे का सेवन करना आवश्यक है, लेकिन अपने अनुभव के आधार पर मैं कहना चाहता हूँ कि मैंने आज तक न तो अंडे खाए हैं और न ही नॉनवेज. यदि रोजाना गाय का दूध पिया जाए और रात में भिगोए हुए चने सुबह खाए जाएँ, तो शरीर स्वाभाविक रूप से शक्तिशाली और स्वस्थ बना रहता है. मैं समाज को यह संदेश देना चाहता हूँ कि प्रतिदिन एक से दो घंटे व्यायाम अवश्य करें और अपने शरीर को तंदुरुस्त रखें. - शंतनु सचेंद्र शुक्ला, छत्रपति संभाजीनगर
 

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कानून, कैरियर और संविधान के मूल्य

मेरी उम्र 40 वर्ष है और मैं पेशे से वकील हूं. पिछले 15 वर्षों से वकालत के क्षेत्र में कार्य करते हुए मैंने सदैव गरीबों की सहायता की है और जिनके साथ अन्याय हुआ है, उन्हें न्याय दिलाने का ईमानदार प्रयास किया है. इसी सेवा-भाव से मुझे गहरा आंतरिक संतोष प्राप्त होता है. इस अख़बार के माध्यम से मैं नई पीढ़ी के विद्यार्थियों को यह संदेश देना चाहता हूँ कि आप इंजीनियरिंग, मेडिकल या किसी अन्य क्षेत्र में अपना कैरियर चुनें, परंतु लॉ की डिग्री अवश्य प्राप्त करें. कानून की शिक्षा न केवल आपको देश के कानूनों की समझ देती है, बल्कि आपके अपने क्षेत्र से जुड़े अधिकारों और कर्तव्यों से भी परिचित कराती है, जिससे आप अपने कैरियर में और अधिक प्रगति कर सकते हैं. हमारे संविधान में निहित समता, स्वतंत्रता और बंधुता जैसे मूल्यों का सम्मान करते हुए हमें सदैव धर्म से पहले देश को प्राथमिकता देनी चाहिए तभी हम सबकी सामूहिक तरक्की संभव है. - सिद्धार्थ वेिशनाथ पंडित, मोदीनगर, औरंगाबाद
 

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आयुर्वेद में स्वस्थ जीवन का मार्ग निहित
मेरी उम्र 51 वर्ष है और मैं विजय कॉलोनी, अजबनगर, छत्रपति संभाजीनगर में आयुर्वे दिक डॉक्टर के रूप में प्रैक्टिस कर रही हूं. वर्षों के अनुभव के आधार पर मैं यह कहना चाहूँगी कि आयुर्वेदिक उपचार में समय अवश्य लगता है, लेकिन यह रोग को बिना किसी साइड इफेक्ट के जड़ से समाप्त करता है. दुर्भाग्यवश आज के समय में कई रोगियों में धैर्य की कमी देखने को मिलती है, फिर भी हम उन्हें समझाने और सही मार्गदर्शन देने का पूरा प्रयास करते हैं. अब समाज में आयुर्वेद के महत्व को लेकर जागरूकता बढ़ रही है. यदि कोई विद्यार्थी इस क्षेत्र में आना चाहता है तो मैं यही कहूंगी कि आयुर्वे द हमारे पुरखों द्वारा सिखाई गई स्वस्थ जीवन जीने की कला है और इसमें नए विद्यार्थियों के लिए बहुत अच्छा स्कोप है. समाज के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए नए विद्यार्थियों और हम सभी का सहयोग आवश्यक है. -डॉ. रेखा रवींद्र शिरसाठ, अजबनगर, छत्रपति संभाजीनगर
 
 
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प्रकृति, अध्ययन और कैरियर की दिशा
मैंने एनिमल साइंस विषय में पीएचडी की है और न्यू आर्ट्स, साइंस एंड कॉमर्स कॉलेज, अहमदनगर में 37 वर्षों तक अध्यापन का कार्य किया है. वर्तमान में मैं सेवानिवृत्त हूं बचपन से ही मुझे प्रकृति का निरीक्षण करना अत्यंत प्रिय रहा, इसी रुचि के कारण मैंने एनिमल साइंस को अपने अध्ययन और अध्यापन का विषय बनाया. इस अख़बार के माध्यम से मैं विद्यार्थियों को यही संदेश देना चाहूंगा कि हम कोई भी विषय क्यों न पढ़ें, अपने आसपास की प्रकृति का अवलोकन करना अत्यंत आवश्यक है. आज के समय में एनिमल साइंस और एनवायरनमेंटल साइंस में अनेक करियर विकल्प उपलब्ध हैं, जिनके माध्यम से विभिन्न शासकीय और अर्द्धशासकीय नौकरियाँ भी प्राप्त की जा सकती हैं. इस क्षेत्र में कैरियर बनाने के लिए सबसे पहले अपने शहर या गांव की प्राकृतिक संपदा का अध्ययन कीजिए और उसके संरक्षण व संवर्धन के उपायों पर विचार कीजिए. प्रकृति ईेशर की अमूल्य धरोहर है, जिसे समझना और सहेजना हम सभी की जिम्मेदारी है. -प्रो. डॉ. सुधाकर कुऱ्हाड़े अहिल्यानगर
 

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पर्यावरण संरक्षण : आज की जिम्मेदारी, कल का भविष्य
मैं औरंगाबाद स्थित निसर्ग मित्र मंडल का सचिव हूं. तथा महाराष्ट्र पक्षी मित्र संघटना का एग्जीक्यूटिव मेंबर भी हूं. समाज में पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से निसर्ग मित्र मंडल की ओर से समय-समय पर व्याख्यान, स्लाइड शो और नेचर कैंप जैसे विविध कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. पर्यावरण में बढ़ते विभिन्न प्रकार के प्रदूषण को रोकने के लिए हम सभी को प्रतिबद्ध होकर प्रयास करने की आवश्यकता है. युवा पीढ़ी से मेरा यही कहना है कि जीवन में तरक्की की दौड़ में इतना आगे न निकल जाएँ कि उसकी कीमत हमें पर्यावरण को दूषित करके चुकानी पड़े. यदि आज हम पर्यावरण की रक्षा करेंगे, तभी हमारा भविष्य सुरक्षित और उज्ज्वल होगा. इस अख़बार के माध्यम से मैं समाज को यह संदेश देना चाहता हूँ कि हमें ऐसी पीढ़ी बनना है जो पर्यावरण से जितना ले, उससे कहीं अधिक वापस लौटाएं - किशोर गठड़ी, सचिव, निसर्ग मित्र मंडल, छत्रपति संभाजीनगर

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