फीटल मेिडसिन के भविष्य में एआई की अहम भूमिका

केईएम हॉस्पिटल द्वारा विशेषज्ञों के राष्ट्रीय परिषद का आयोजन संपन्न

    03-Dec-2025
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शिवाजीनगर, 2 दिसंबर (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)

केईएम हॉस्पिटल ने हाल ही में फीटल मेडिसिन पर एक राष्ट्रीय परिषद का आयोजन किया. इसमें, अलग-अलग विशेषज्ञों ने प्रीनेटल डायग्नोसिस, प्रेग्नेंसी के दौरान ट्रीटमेंट और फीटल मेडिसिन की एक खास उभरती हुई ब्रांच के तौर पर बढ़ती अहमियत पर मार्गदर्श किया. इस परिषद में, अलगअलग विशेषज्ञों ने मांओं और बच्चों पर जल्दी डायग्नोसिस और ट्रीटमेंट के असर पर अपने विचार रखे. इसमें यह बात सामने निकलकर आयी कि ख भविष्य में, खासकर फीटल मेडिसिन के फील्ड में अहम भूमिका निभाता है. परिषद में चर्चा हुई कि फीटल ग्रोथ के दौरान होने वाली अलग-अलग समस्याएं, जन्मजात गड़बड़ियां, जेनेटिक डिसऑर्डर और प्लेसेंटा (यूटेराइन लाइनिंग) की खराबी का जल्दी पता लगाया जा सकता है. इनका टारगेटेड ट्रीटमेंट करके, कुछ मामलों में, जन्म से पहले जान बचाने वाले प्रोसीजर (फीटल प्रोसीजर) किए जा सकते हैं. इस राष्ट्रीय परिषद में फीटल मेडिसिन के जाने-माने एक्सपर्ट डॉ. मणिकंदन कृष्णन, मेडिसकैन सिस्टम्स डायग्नोस्टिक अल्ट्रासाउंड, फीटल मेडिसिन एंड ट्रेनिंग सेंटर, चेन्नई के डायरेक्टर, प्रो. डॉ. सुरेश शेषाद्रि, जाने-माने फीटल मेडिसिन एक्सपर्ट डॉ. एस. सुदर्शन, केईएम हॉस्पिटल (पुणे) के फीटल मेडिसिन डिपार्टमेंट के हेड, डॉ. श्रीपद कर्हाड़े और कई दूसरे एक्सपर्ट्स ने अपनी प्रस्तुतियां दीं और सहभागियों का मार्गदर्शन किया. इस परिषद में बड़ी संख्या में गाइनेकोलॉजिस्ट, रेडियोलॉजिस्ट और फीटल मेडिसिन एक्सपर्ट्स शामिल हुए. परिषद का आयोजन करने में कमेटी के चेयरमैन डॉ. विवेक जोशी, सेक्रेटरी डॉ. श्रीपाद कर्हाड़े और डॉ. ेशेता गुगले ने नेतृत्व किया.  
 
फीटल मेडिसिन को लेकर कई स्तरों पर संशोधन

अभी, फीटल मेडिसिन में एआई पर रिसर्च हो रही है और इस पर स्टडी चल रही है कि क्या मशीन लर्निंग एल्गोरिदम की मदद से इमेज की स्टडी की जा सकती है और इसे अल्ट्रासाउंड मशीनों में कैसे शामिल किया जा सकता है. अगर ऐसा होता है, तो इन समस्याओं की पहचान प्राइमरी हेल्थ केयर लेवल पर भी की जा सकती है और आगे के डायग्नोसिस के लिए स्पेशलिस्ट के पास भेजा जा सकता है.