धूम्रपान से न केवल फेफड़े खराब हाेते हैं बल्कि इससे जाेड़ाें काे भारी नुकसान पहुंचता है. महिलाओं में रीढ़ में फ्रे्नचर का खतरा बढ़ जाता है. अस्थि राेग विशेषज्ञाें ने कहा कि सिगरेट का धुंआ मांसपेशियाें एवं हड्डियाें की मस््नयुलाेस्केलेटन प्रणाली काे व्यापक रूप से प्रभावित करता है. अस्थि राेग विशेषज्ञाें का कहना है कि आजकल युवाओं में कूल्हे की हड्डियाें की समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं.माैजूदा समय में युवाआें में ‘अवैस्कुलर नेक्राेंसिस ऑफ हिप बाेन’ की समस्या बढ़ रही है जिसके कारण कूल्हे बदलने की जरूरत बढ़ जाती है. दिल्ली स्थित फाेर्टिस अस्पताल के अस्थि विशेषज्ञ डाॅ. सुभाष जांगिड और डाॅ. विवेक लाेगानी के अनुसार तंबाकू में पाया जाने वाला निकाेटीन हमारे शरीर मेें जहरीला प्रभाव छाेड़ता है जिसका असर मांसपेशियाें, जाेड़ाें और हड्डियाें पर पड़ता है और सिगरेट का धुआं चाेट काे ठीक हाेने की प्रक्रिया काे धीमा कर देता है.
इंद्रप्रस्थ अपाेलाे अस्पताल के अस्थि शल्य चिकित्सक डाॅ. राजू वैश्य के अनुसार निकाेटीन हड्डियाें का फ्रे्नचर भरने की प्रक्रिया तथा एस्ट्राेजन हार्माेन के प्रभाव काकम करता है और यह विटामिन सी और ई से मिलने वाले एंटी ऑ्निसडेंट तत्वाें काे निष्प्रभावी कर देता है, यही वजह है कि धूम्रपान करने वालाें का कूल्हे के फ्रे्नचर का खतरा ज्यादा रहता है. उन्हाेंने बताया कि सिगरेट पीने वालाें में हड्डियाें एवं मांसपेशियाें ‘मस््नयुलाेस्केलेटल’ संबंधी बीमारियाें के हाेने की आशंका बढ़ जाती है और इसके कारण ऑस्टियाेपाेराेसिस, हड्डियाें की माेटाई में कमी, कमर के निचले हिस्से में दर्द और स्पाइनल डिस्क की समस्याएं अधिक हाेती है. अस्थित राेग विशेषज्ञाें के अनुसार धूम्रपान करने वाली महिलाओं के शरीर में एस्ट्राेजन हार्माेन के इस्तेमाल की प्रक्रिया काे प्रभावित कर अस्थि राेगाें काे बढ़ाता है.