दत्तक प्रक्रिया से लेकर वसीयत, उपभोक्ता अधिकार, 498 जैसे मामले या घरेलू उत्पीड़न की स्थिति जीवन में ऐसे सवाल अचानक सामने आते हैं और सही मार्गदर्शन बेहद जरूरी हो जाता है. यहां एड. बीएस धापटे ने दै.आज का आनंद के पाठकों के लिए कानूनी प्रश्नों के स्पष्ट, सरल और उपयोगी उत्तर दिए हैं. प्रस्तुत हैं उनकी बातचीत के प्रमुख अंश- एड. भालचंद्र धापटे मोबाइल-9850166213
सवाल-हमारी शादी को पांच साल हो चुके हैं. बच्चे न होने के कारण हम गोद लेने का विचार कर रहे हैं. तो गोद लेने की प्रक्रिया क्या है?
उत्तर- भारत में दत्तक प्रक्रिया अदालत की देखरेख में जुवेनाइल जस्टिस एक्ट 2015 और CARA Regulations के अनुसार होती है. पहले CARA की वेबसाइट पर पंजीकरण करना होता है. इसके बाद अधिकृत एजेंसी आपका होम स्टडी रिपोर्ट बनाती है, जिसमें घर, आर्थिक स्थिति और पालन-पोषण की क्षमता की जाँच होती है. रिपोर्ट स्वीकृत होने पर उपलब्ध बच्चों की सूची से मिलान किया जाता है और प्री-अडॉप्शन फोस्टर केयर अवधि मिलती है. अंत में जिला न्यायालय में दत्तक आदेश मिलता है, जिसके बाद बच्चा कानूनी रूप से आपका होता है.
सवाल-मेरे पिता ने एक हाथ से लिखा हुआ वसीयत पत्र बनाया है, लेकिन वह नोटराइज नहीं है. वसीयत में संपत्ति मुझे दी गई है. क्या यह संपत्ति मुझे मिलेगी या भाई को भी हक होगा? और कानूनी स्थिति क्या होगी?
उत्तर- हाथ से लिखी वसीयत वैध होती है यदि वह स्पष्ट, स्वेच्छा से लिखी गई हो और दो गवाहों के हस्ताक्षर हों. नोटराइज होना जरूरी नहीं है. यदि वसीयत में संपत्ति आपके नाम है तो आपका हक बनता है, पर भाई वसीयत पर आपत्ति कर सकता है. विवाद होने पर अदालत गवाहों, पिता की मानसिक स्थिति और वसीयत की सत्यता जांचती है. वसीयत सही साबित होने पर संपत्ति आप को मिलेगी, अन्यथा सभी वारिसों में बाँट सकती है.
सवाल-मैंने कुछ दिन पहले टीवी खरीदा था जो अभी वारंटी में है, लेकिन वह खराब हो गया है. मुझे क्या करना चाहिए?
उत्तर- बिल और वारंटी कार्ड के साथ अधिकृत सर्विस सेंटर में शिकायत दर्ज करें. कंपनी को वारंटी के अनुसार मरम्मत, पार्ट बदलने या गंभीर दोष होने पर टीवी बदलने की जिम्मेदारी होती है. विलंब या समस्या होने पर लिखित जवाब माँग सकते हैं और आवश्यकता पड़ने पर जिला उपभोक्ता आयोग में शिकायत दर्ज कर समाधान और क्षतिपूर्ति माँग सकते हैं.
सवाल-मेरी पत्नी ने मेरे खिलाफ 498A की एफआईआर दर्ज की है. मुझे सबसे पहले क्या करना चाहिए?
उत्तर-पहला कदम है अदालत से अग्रिम जमानत के लिए आवेदन करना. एफआईआर की प्रति लेकर कॉल रिकॉर्ड, संदेश, खर्च और अन्य साक्ष्य सुरक्षित रखें. पुलिस जाँच में सहयोग करें, पर वकील की सलाह बिना बयान न दें. मामला झूठा लगे तो पत्नी के खिलाफ कानूनी कार्यवाही कर सकते हैं. जरूरत पड़ने पर अदालत परामर्श या मध्यस्थता भी उपलब्ध कराती है.
सवाल-मेरे पति मिलिट्री में हैं और घर पर नहीं रहते, लेकिन ससुरालवालों ने मुझे परेशान कर घर से निकाल दिया है. मैं क्या करूँ?
उत्तर- महिला को वैवाहिक घर में रहने का अधिकार घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 में दिया गया है. पुलिस या महिला संरक्षण अधिकारी के पास शिकायत कर संरक्षण आदेश, निवास का अधिकार और आर्थिक सहायता मांग सकती हैं. अदालत सुरक्षित निवास या घर में पुनः प्रवेश का आदेश दे सकती है. पति की नौकरी कोई अपवाद नहीं है, उसकी जिम्मेदारी बनी रहती है. आप घरेलू हिंसा मामले में हर्जाना भी मांग सकती हैं.