पूरी तरह स्वास्थ्य से जुडा है. सिर के उस स्थान पर जहां मांग भरी जाने की परंपरा है, मस्तिष्क की एक महत्वपूर्ण ग्रंथी हाेती है, जिसे ब्रह्मरंध्र कहते हैं. यह अत्यंत संवेदनशील भी हाेती है. यह मांग के स्थान यानी कपाल के अंत से लेकर सिर के मध्य तक हाेती है. सिंदूर इसलिए लगाया जाता है क्याेंकि इसमें पारा नाम की धातु हाेती है.पारा ब्रह्मरंध्र के लिए औषधि का काम करता है. विवाह के बाद ही मांग इसलिए भरी जाती है क्याेंकि विवाह के बाद जब गृहस्थी का दबाव महिला पर आता है ताे उसे तनाव व चिंता और अनिद्रा जैसी बीमारिया आमताैर पर घेर लेती हैं.पारा एकमात्र ऐसी धातु है जाे तरल रूप में रहती है. यह मष्तिष्क के लिए लाभकारी है, इसकारण सिंदूर मांग में भरा जाता है. हालांकि बाजाराें मे मिलने वाले सिंदूर से कई लाेगाें काे रिएक्शन हाे जाता है इसलिए हम आपकाे आज घर में आसानी से बनाए जाने वाले सिंदूर का तरीका बता रहें है.
घर में सिंदूर बनाने का तरीका - सामग्री के ताैर पर 1 किलाे साबुत हल्दी, पावडर बनाया हुआ. आप चाहें ताे हल्दी पावडर का भी प्रयाेग कर सकती हैं. 40 ग्राम िफटकरी 120 ग्राम सुहागा 20-25 बूंद नींबू का रस 2 चम्मच तिल का तेल लें. सबसे पहले िफटकरी पावडर और सुहागा काे नींबू के रस के साथ मिक्स करें. िफर इसमें हल्दी पावडर डाल कर मिक्स करें. इस मिश्रण काे छाया में दाे से तीन दिनाें तक के लिये सुखा लें. आप पाएंगी कि हल्दी का रंग लाल हाे चुका हाेगा. एक बार जब यह पूरी तरह से सूख जाए तब इसमें तिल का तेल मिलाएं. पर ध्यान रखें कि इसका पेस्ट नहीं बनाना है. इसे पावडर के ही रूप में रखें. अब इस सिंदूर काे किसी डिब्बी में भर कर रख दें. आपका सिंदूर पूरी तरह से तैयार है, इसे जब मर्जी प्रयाेग करें. हल्दी त्वचा काे संक्रमण से बचाता है और एलर्जी भी नहीं हाेने देता.महिलाओं काे तनाव से दूर रखता है और मस्तिष्क हमेशा चैतन्य अवस्था में रखता है.