मां-बेटी का रिश्ता मार्गदर्शन, संस्कार और समझ का होता है

ससुराल में बेटी द्वारा अच्छे संबंध और गहरा रिश्ता बनाने के लिए समाज के गणमान्यों की राय

    30-Mar-2025
Total Views |
 
bfbf
पुणे, 29 मार्च (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
मां और बेटी का रिश्ता दुनिया के सबसे प्यारे और गहरे रिश्तों में से एक होता है. यह सिर्फ जन्म का संबंध नहीं, बल्कि भावनाओं, संस्कारों और आपसी समझ का बंधन भी है. बदलते समय के साथ इस रिश्ते में कई बदलाव आए हैं, लेकिन इसकी अहमियत हमेशा बनी रहती है. एक मां अपनी बेटी को बचपन से ही स्नेह, सुरक्षा और संस्कारों से सींचती है ताकि वह बड़े होकर अपने जीवन में हर चुनौती का सामना कर सके.शादी के बाद बेटियों का जीवन एक नया मोड़ लेता है, जहां उन्हें अपने नए परिवार में घुलने-मिलने और समायोजित होने की जरूरत होती है. ऐसे में मां का सही मार्गदर्शन उनके लिए सहारा बन सकता है. हालांकि, एक सीमा के बाद मां को बेटी के निजी जीवन में अधिक हस्तक्षेप करने से बचना चाहिए ताकि रिश्तों में अनावश्यक तनाव न आए. यह राय समाज के गणमान्यों ने दै. आज का आनंद के लिए प्रो. रेणु अग्रवाल से बातचीत में व्यक्त की. प्रस्तुत हैं उनकी बातचीत के प्रमुख अंश-  
 
मां को बेटी का मार्गदर्शन करना चाहिए

समय के साथ रिश्तों में बदलाव आ रहा है, और माता-पिता यदि बच्चों के मित्र बन जाएं तो वे उनसे हर बात साझा करते हैं. शादी के बाद बेटियां अपने नए घर में व्यस्त हो जाती हैं, लेकिन जब वे स्वयं मां बनती हैं, तब अपनी मां की भूमिका का सही अर्थ समझ पाती हैं. ससुराल में एडजस्ट करने का शुरुआती समय महत्वपूर्ण होता है और मां को बेटी का मार्गदर्शन करना चाहिए -रीना राजेश अग्रवाल, वाघोली
 

bfbf

बेटियों को ससुराल में सुख-दुख अपनाने चाहिए

सोशल मीडिया और आधुनिक जीवनशैली ने मां-बेटी के रिश्ते को प्रभावित किया है. बेटियों को बचपन से अच्छे संस्कार दिए जाते हैं ताकि वे अपने ससुराल में घुल-मिल सकें. हालांकि, शादी के बाद हर छोटी-बड़ी बात मां से साझा करने से बचना चाहिए. बेटियों को ससुराल को अपना घर समझकर वहां के सुख-दुख अपनाने चाहिए. -आरती विजय गर्ग, औंध रोड
 
 

bfbf

 
ससुराल में सास को मां की तरह देखने की आदत डालें

बेटियों को ससुराल में अपनी सास को मां की तरह देखने की आदत डालनी चाहिए. आजकल अधिकतर सासें अपनी बहू को बेटी की तरह अपनाती हैं, लेकिन बहुएं उन्हें मां की तरह नहीं अपनातीं, जिससे रिश्तों में खटास आ जाती है. यदि सास-बहू के बीच मां-बेटी का संबंध बने तो घर स्वर्ग बन सकता है. -अनीता सतीश अग्रवाल, प्राधिकरण
 

bfbf

संस्कृति और परंपराओं का सम्मान करना चाहिए

संस्कृति और परंपराओं का सम्मान बेटियों को शादी के बाद अपनी पारंपरिक और सांस्कृतिक पहचान बनाए रखनी चाहिए. शादी के दौरान वे सुहाग चिन्ह जैसे मंगलसूत्र, बिंदी, पायल पहनती हैं, लेकिन शादी के बाद वे इन्हें नजरअंदाज करने लगती हैं. यह पति के सम्मान और संस्कृति की दृष्टि से उचित नहीं है. परंपराओं का पालन करना बेटियों की पहचान को बनाए रखता है. - नीता सुरेश मित्तल, प्राधिकरण
 
 
bfbf

मां को बेटी के ससुराल में दखल नहीं देनी चाहिए

मां का जीवन में महत्व अविस्मरणीय है, लेकिन मां को बेटी के ससुराल में अधिक दखल देने से बचना चाहिए, क्योंकि इससे रिश्तों में दूरियां आ सकती हैं पहले लड़कियां मां से खुलकर बात करने में झिझकती थीं, लेकिन अब सोशल मीडिया के कारण वे अपने दिल की हर बात साझा कर सकती हैं. मां को चाहिए कि वे अपनी बेटी को अच्छी सलाह दें, लेकिन हर छोटी-बड़ी बात पर हस्तक्षेप न करें - अनीता शशिकांत महाजन, हुबली (कर्नाटक)
 
 

bfbf

बेटी को संस्कार और सिखाने की जिम्मेदारी

मां की हर मां चाहती है कि उसकी बेटी ससुराल में सभी का दिल जीत ले, लेकिन इसके लिए उसे बचपन से ही सहनशीलता, नम्रता और पारिवारिक मूल्यों का ज्ञान देना जरूरी है. टीनएज में मां को बेटी से मित्रवत व्यवहार करना चाहिए, ताकि वह हर समस्या को साझा कर सके. बेटियों को पढ़ाई के साथ-साथ पारिवारिक और सामाजिक जिम्मेदारियों का महत्व भी समझना चाहिए - मीना देवेंद्र गोयल, गांव लुहारी  
 

bfbf