यूनिविर्सटी चौक के ग्रेड-सेपरेटर को एस्टीमेट कमेटी की मंजूरी

जल्द शुरू होगा वास्तविक कार्य : लंबाई कम करने से मनपा को खर्च में 30 करोड़ रुपए की बचत होगी

    12-Apr-2025
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शिवाजीनगर, 11 अप्रैल (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)

शहर की यातायात की दृष्टि से महत्वपूर्ण यूनिवर्सिटी चौक पर प्रस्तावित ग्रेड-सेपरेटर के काम के प्रारंभिक एस्टीमेट को शुक्रवार को मनपा की एस्टीमेट कमेटी की बैठक में मंजूरी दे दी गई. शिमला ऑफिस की ओर से औंध की दिशा में जाने वाले इस ग्रेड-सेपरेटर की लंबाई कम करने का निर्णय लिया गया है. इस निर्णय के कारण खर्च में 30 करोड़ रुपये की बचत होगी और सेनापति बापट रोड की ओर से आने वाले यातायात को भी इस ग्रेड-सेपरेटर का उपयोग करने का अवसर मिलेगा. शहर की ट्रैफिक समस्याओं के समाधान के लिए पुणे मनपा, शहर ट्रैफिक पुलिस और पीएमआरडीए द्वारा विभिन्न कार्य किए जा रहे हैं. शहर के सबसे भीड़भाड़ वाले गणेशखिंड रोड पर यातायात को सुचारु करने के लिए यूनिवर्सिटी चौक पर दो-मंजिला फ्लाईओवर का निर्माण कार्य जल्द ही पूरा होने वाला है. इससे पाषाण और बाणेर दिशा में जाने वालों को बड़ी राहत मिलेगी. यूनिवर्सिटी चौक पर ग्रेड-सेपरेटर के निर्माण की भी योजना है. दो-मंजिला फ्लाईओवर का कार्य पूरा होने के बाद ग्रेड-सेपरेटर का कार्य शुरू करने का निर्णय पहले ही लिया गया था. फिलहाल फ्लाईओवर का काम पूरा होने के अंतिम चरण में है, इसलिए ग्रेड-सेपरेटर का कार्य भी जल्द शुरू किया जाएगा. इस ग्रेड-सेपरेटर का निर्णय जल्द कराने के लिए ट्रैफिक पुलिस ने भी मनपा को पत्र भेजा है. मनपा द्वारा बनाए जाने वाले इस ग्रेड-सेपरेटर के प्रस्ताव पर शुक्रवार को मनपा आयुक्त डॉ. राजेंद्र भोसले की अध्यक्षता में हुई एस्टीमेट कमेटी की बैठक में चर्चा की गई. पहले के प्रस्ताव के अनुसार ग्रेड-सेपरेटर का प्रारंभ गवर्नमेंट पॉलीटेक्निक से होना था, जिसमें सेनापति बापट रोड के यातायात को जोड़ने का प्रावधान नहीं था. लेकिन अब इसमें बदलाव करते हुए सेनापति बापट रोड के ट्रैफिक को भी इस ग्रेड- सेपरेटर से जोड़ने के लिए इसकी लंबाई कम करने का निर्णय लिया गया है. यह कार्य नए तकनीक से किया जाएगा, जिससे नागरिकों को परेशानी नहीं होगी. मनपा द्वारा इस काम को अत्यंत तेजी से करने का निर्णय लिया गया है. निर्धारित समय-सीमा से पहले ही इसे पूरा कर नागरिकों के लिए खोलने का प्रशासन का इरादा है. ग्रेड-सेपरेटर की लंबाई 300 मीटर कम करने से खर्च में 30 करोड़ रुपये की बचत होगी.