मां-बेटे का अनूठा रिश्ता: हालात बदले लेकिन अपनापन वही

बेटा कैरियर, रिश्तों और परिवार की नई भूमिकाओं में व्यस्त होता है, वहीं मां उसके हर कदम पर साथ रहती है

    13-Apr-2025
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पुणे, 12 अप्रैल (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)

वक्त बदलता है, जिरमेदारियां बढ़ती हैं, और रिश्तों की परिभाषाएं भी धीरे-धीरे बदलती हैं, लेकिन मां और बेटे के बीच का प्यार कभी नहीं बदलता. आज की तेज रफ्तार जिंदगी में जहां बेटा अपने कैरियर, रिश्तों और परिवार की नई भूमिकाओं में व्यस्त हो जाता है, वहीं मां अपने कदम पीछे रखकर भी उसके हर कदम पर साथ बनी रहती है. बस थोड़ा और खामोश, थोड़ा और गहरा होकर. अब रिश्ते सिर्फ प्यार तक सीमित नहीं हैं, बल्कि समझ, स्पेस और आपसी सम्मान भी जशरी हैं. मां को बहू को अपनाने की समझ दिखानी होती है, और बेटे को मां और पत्नी के बीच वो संतुलन बनाना होता है जो पूरे परिवार की नींव बन सके.यह राय समाज के वरिष्ठ जनों ने दै.आज का आनंद के लिए प्रो.रेणु अग्रवाल से बातचीत में व्यक्त की. प्रस्तुत हैं उनकी बातचीत के प्रमुख अंश-  प्रो. रेणु अग्रवाल (मो. 8830670849)
मां का मार्गदर्शन जीवन भर साथ रहता है

मां बेटे को प्यार, देखभाल और जीवन के मूल्य देकर उसे एक मजबूत और जिम्मेदार व्यक्ति बनाती है. शादी के बाद बेटा नई जिम्मेदारियों में व्यस्त हो जाता है, लेकिन मां का प्यार और मार्गदर्शन कभी कम नहीं होता. बेटा अपनी पत्नी को भी उतना ही महत्व दे जितना वह अपनी मां को देता है, और मां को भी अपने बहू- दामाद से अच्छे संबंध बनाकर पूरे परिवार में सामंजस्य बनाए रखना चाहिए.
 -सुनीता रवींद्र अग्रवाल, बिबवेवाड़ी
 

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मां को समझदारी से स्पेस देना चाहिए

शादी से पहले बेटा अक्सर मां के बहुत करीब होता है, लेकिन शादी के बाद उसकी जिम्मेदारियां बढ़ जाती हैं. मां को समझदारी से बेटे को स्पेस देना चाहिए ताकि वह अपने वैवाहिक जीवन में संतुलन बना सके. मां को यह भी याद रखना चाहिए कि बहू भी एक नया रिश्ता निभा रही है और उसे अपनाने का दायित्व मां का है.
- सुनीता अग्रवाल, कोथरुड
 

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 सम्मान, शिक्षा और संस्कार में मां की अहम भूमिका

एक मां का कर्तव्य है कि वह बेटे को न सिर्फ पढ़ा-लिखा कर आत्मनिर्भर बनाए बल्कि उसे यह भी सिखाए कि महिलाओं का सम्मान करना जीवन का एक मूलभूत मूल्य है. शादी के बाद माँ को बेटे-बहू के रिश्ते में सौहार्द बनाए रखने की कोशिश करनी चाहिए, जबकि बेटे को अपने माता-पिता की बातें समझदारी से सुननी चाहिए.
- राखी विशाल अग्रवाल, औंध रोड
 

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 बेटे को मां और पत्नी के बीच सेतु बनना चाहिए

शादी के बाद मां कभी-कभी खुद को अलग महसूस करने लगती है, लेकिन ऐसे में बेटे की भूमिका बहुत अहम हो जाती है. उसे दोनों रिश्तों में संतुलन बनाए रखना चाहिए ताकि परिवार में सामंजस्य बना रहे.
- अभिषेक विनोदकुमार अग्रवाल, बाणेर

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 भावनाएं वही रहती हैं, बस भूमिका बदल जाती है

मां का अपने बेटे के लिए प्यार कभी कम नहीं होता, लेकिन समय के साथ उसकी अभिव्यक्ति बदल जाती है. मां को बेटे को अच्छे संस्कार देकर समय पर निर्णय लेने की स्वतंत्रता देनी चाहिए ताकि वह नए रिश्तों में ढल सके. बेटे को भी चाहिए कि वह अपनी मां और पत्नी दोनों को समान सम्मान दे.
 - रेखा मनोज अग्रवाल, टिंगरेनगर
 

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मां की चिंता बेटे से दूर रहकर भी बनी रहती है

मां शादी से पहले बेटे की हर जशरत का ध्यान रखती है, लेकिन शादी के बाद जब बेटा नई जिरमेदारियों में बंध जाता है, तो मां खुद को पीछे कर लेती है फिर भी उसकी चिंता और स्नेह दूर रहकर भी वैसा ही बना रहता है.
-दीपक बंसल, फाउंडर अग्रवाल बिजनेस कनेक्ट  
 
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