दीनानाथ अस्पताल के खिलाफ अदालत जाएंगे

एनसीपी शरदचंद्र पवार गुट के शहराध्यक्ष प्रशांत जगताप ने सख्त चेतावनी दी

    15-Apr-2025
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पुणे, 14 अप्रैल (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)

गर्भवती महिला की मौत के मामले में दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल के सामने पिछले दो दिनों में छोटे-बड़े सभी राजनीतिक दलों ने आंदोलन किए. इस आंदोलन में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की महिला शाखा ने तो संबंधित डॉक्टर के पिता के निजी क्लीनिक पर भी हमला कर दिया. अब इस घटना को दो हफ्ते बीत चुके हैं, फिर भी किसी को दोषी नहीं ठहराया गया है, न ही किसी के खिलाफ कोई अपराध दर्ज किया गया है. इस वजह से यह आलोचना हो रही है कि ये सारे आंदोलन केवल प्रचार पाने की होड़ में किए गए थे. तनिषा भिसे नामक गर्भवती महिला से इलाज के लिए 10 लाख रुपयों की मांग की गई. पैसे जुटा पाना संभव न होने पर परिजनों द्वारा उन्हें दीनानाथ अस्पताल से 25 किलोमीटर दूर एक अन्य अस्पताल में ले जाया, जहां उन्होंने दो जुड़वां बच्चियों को जन्म दिया, लेकिन इस दौरान उन्होंने अपनी जान गंवा दी. जब यह मामला मीडिया में आया, तो राजनीतिक दलों ने दीनानाथ अस्पताल के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाया. कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस (शरद पवार), शिवसेना (उद्धव ठाकरे), शिवसेना (एकनाथ शिंदे), आम आदमी पार्टी और अन्य करीब 25 संगठनों ने अस्पताल के मुख्य द्वार पर जोरदार प्रदर्शन किया. सांसद सुप्रिया सुले ने अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई की मांग की. युवक कांग्रेस ने अस्पताल के नाम के बोर्ड पर कालिख पोती. सभी की मांग थी कि अस्पताल पर कार्रवाई हो और संबंधित लोगों पर मुकदमा दर्ज हो. हालांकि अभी तक न तो सरकार ने, न ही मनपा प्रशासन ने कोई ठोस कदम उठाया है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी इस मामले में कोई स्पष्ट कार्रवाई नहीं की है. इस दौरान यह भी सामने आया कि अस्पताल ने मनपा का करोड़ों रुपयों का प्रॉपर्टी टैक्स बकाया रखा है, पर उस पर भी सिर्फ नोटिस तक ही कार्रवाई सीमित रही. अस्पताल ने शुरुआत में खुद की एक समिति बनाकर खुद को निर्दोष घोषित किया. राज्य सरकार ने फिर एक जांच समिति बनाई, जिसने सरकार को रिपोर्ट सौंपी है, लेकिन रिपोर्ट का विवरण सार्वजनिक नहीं किया गया. मनपा की गर्भवती महिला मृत्यु जांच समिति की रिपोर्ट में भी अस्पताल को निर्दोष बताया गया, जिससे लगता है कि प्रशासन का झुकाव अस्पताल को बचाने की ओर है. इससे अब आम जनता सवाल उठा रही है कि आंदोलन करने वाले राजनीतिक दल और संगठन अब चुप क्यों हैं? जब कोई कार्रवाई नहीं हो रही, तो वे शांत क्यों बैठे हैं? उनमें से कोई आवाज क्यों नहीं उठा रहा? ऐसा लग रहा है कि किसी भी राजनीतिक दल को अब इस मामले की चिंता नहीं है. कुछ नेताओं से बात करने पर उन्होंने कहा कि अब सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए.  
 
हमें पता है कि सरकार कोई कार्रवाई नहीं करेगी

हम बिल्कुल भी शांत नहीं बैठे हैं. हमें पता है कि सरकार इस पर कुछ नहीं करने वाली, इसलिए हम वकीलों से सलाह-मशविरा कर जल्द ही अदालत में याचिका दाखिल करने जा रहे हैं. न सिर्फ दीनानाथ, बल्कि हर अस्पताल को अपने मुनाफे का 2% हिस्सा आरक्षित रखना होता है, जिससे आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों का इलाज किया जा सके. हमारा आरोप है कि इस अस्पताल ने वह राशि कभी उपयोग में नहीं ली. इसी के खिलाफ हम अदालत का दरवाजा खटखटाने जा रहे हैं. - प्रशांत जगताप (शहराध्यक्ष, राष्ट्रवादी कांग्रेस शरदचंद्र पवार पार्टी)