पुणे, 14 अप्रैल (आ.प्र.) रविवार 13 अप्रैल की शाम को महम्मदवाड़ी, एनआईबीएम रोड और उंड्री जैसे दक्षिण पुणे क्षेत्रों के 200 से अधिक स्थानीय निवासियों ने बुनियादी नागरिक सुविधाओं की मांग करते हुए एनआईबीएम-उंड्री रोड पर वेदांत सोसायटी के बाहर मौन विरोध प्रदर्शन किया. महम्मदवाड़ी-उंड्री रेजिडेंट्स वेलफेयर डेवलपमेंट फाउंडेशन (एमयूआरडब्ल्यूडीएफ) द्वारा आयोजित आंदोलन में भाग लेने वाले निवासियों ने हाथों में तख्तियां लेकर एक बार फिर न्यूनतम मांग की, जो वे पिछले ढाई दशकों से कर रहे हैं. उनकी मांगें कोई बड़ी नहीं थीं, इनमें सिर्फ बुनियादी सुविधाएं, साफ पीने का पानी, सुरक्षित और चौड़ी सड़कें, अतिक्रमण मुक्त फुटपाथ, काम कर रही ड्रेनेज प्रणाली, नियमित पुलिस गश्त, सार्वजनिक परिवहन, गार्डन, प्लेग्राउंड, कम्युनिटी हॉल और एक अग्निशमन केंद्र शामिल हैं. महम्मदवाड़ी को 1995 में पुणे मनपा की सीमा में शामिल किया गया था और उंड्री को 2017 में. हालांकि 2025 में भी, उक्त क्षेत्रों के बड़े हिस्से में पाइप्ड पानी, पर्याप्त ड्रेनेज, स्ट्रीट लाइट और सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट की कमी है. सबसे चिंताजनक मुद्दे हैं - जर्जर सड़कें, अस्थिर जल आपूर्ति और बढ़ते हुए अतिक्रमण. हर साल हालात बदतर होते जा रहे हैं : दीपा चीमा एमयूआरडब्ल्यूडीएफ की संस्थापक-निदेशक दीपा चीमा ने कहा कि मैं पिछले 20 वर्षों से इलाके की निवासी हूं और हर साल हालात बदतर होते जा रहे हैं. यहां एक के बाद एक आवासीय परियोजनाएं तो खड़ी हो रही हैं, लेकिन आधारभूत ढांचे का नामोनिशान नहीं है. जब पानी, ड्रेनेज और सड़क जैसी बुनियादी सुविधाएं तक नहीं मिल रही हैं, तो नागरिक टैक्स क्यों भरें? हमने बार-बार संबंधित अधिकारियों से संपर्क किया, पत्र लिखे, अपीलें कीं लेकिन हमारा हर प्रयास व्यर्थ गया. अब बात सिर्फ सुविधाओं की नहीं रही, अब हम अपनी जान बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. महम्मदवाड़ी और उंड्री जैसे क्षेत्र भले ही आकर्षक रियल एस्टेट हब बन चुके हों, जहां आलीशान सोसायटियों और तेजी से उभरते वाणिज्यिक जोन की भरमार है, लेकिन हकीकत यह है कि अधिकांश निवासी आज भी निजी पानी के टैंकरों पर निर्भर हैं और जान जोखिम में डालकर गड्ढ ों से भरी सड़कों से गुजरने को मजबूर हैं. बार-बार शिकायत करने के बावजूद ठोस कार्रवाई नहीं हुई : रेणुका अग्रवाल एमयूआरडब्ल्यूडीएफ की एक मुख्य सदस्य रेणुका अग्रवाल ने कहा कि मनपा को बार-बार शिकायत करने और स्थानीय विधायक और सांसद से अपील करने के बावजूद, कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है. यह प्रदर्शन किसी इच्छा से नहीं, बल्कि मजबूरी से किया गया है. गरिमा और सुरक्षा के साथ जीना हमारा हक है.